स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 27 July 2018 01:09:52 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस संगठनों का आह्वान किया है कि वे प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में नवाचार उपायों के लिए आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ें। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के छात्रों को हर वर्ष इंटर्नशिप के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए, ताकि नई विकसित प्रौद्योगिकियों की अड़चनों को दूर किया जा सके। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के युवा पुलिस अधीक्षकों के द्वितीय सम्मेलन में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने विभिन्न मुद्दों, समस्याओं, असफलताओं और सफलताओं को एक दूसरे के साथ साझा करें और मिलकर प्रयास करें तो हम शांति व्यवस्था, सीमा सुरक्षा, आतंकवाद और उग्रवाद का कारगर एवं प्रभावी मुकाबला करने में अपनी क्षमता में सुधार कर सकेंगे।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार पुलिस आधुनिकीकरण कार्यक्रम को जोरशोर से चलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमने पुलिसबलों को आधुनिक एसएक्स-95 और ब्रेटा हथियार दिए हैं, भीड़ और जनाक्रोश से निपटने के लिए पुलिसबलों को घातक एवं गैरघातक हथियारों के इस्तेमाल की जरूरत है और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने घातक एवं गैरघातक हथियारों के परीक्षण और विकास के लिए एक अनुसंधान परियोजना शुरू की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने सोशल मीडिया के जरिए जानकारियों को जमा करने के लिए एक सोशल मीडिया प्रयोगशाला बनाने के विषय में परियोजना अध्ययन रिपोर्ट भी साझा की है। गृहमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाने से घरेलू निर्माण में तेजी और आयातों में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि हम शस्त्र और उन्नत उपकरणों के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर हैं, लेकिन अपनी आवश्यकतानुसार उन्नत प्रौद्योगिकियों के घरेलू निर्माण की दृष्टि से विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग करके हम अपनी क्षमता का विकास और आयात पर निर्भरता कम कर सकते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें इस समय उपलब्ध प्रौद्योगिकियों का बेहतरीन उपयोग करना चाहिए और विभिन्न उपायों के आधार पर समस्याएं दूर करने के लिए नए तरीके से विचार करना चाहिए। गृहमंत्री ने कहा कि पुलिसबलों का जटिल अपराधों और ऐसे अपराधियों के साथ मुकाबला है, जिनके पास स्वचालित हथियार मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपराधों की निगरानी और विश्लेषण पर ध्यान देना होगा एवं अपराध को उसकी शुरूआत में ही समाप्त करने के लिए तरीके और तकनीक विकसित करनी होंगी। गृहमंत्री ने कहा कि कई एजेंसियां और संगठन अपराध डाटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, इससे आगाह करने वाला पुलिसकार्य विकसित होगा और परिणामस्वरूप न केवल अपराधों को रोका जा सकेगा, बल्कि आतंकवादी गतिविधियों एवं नक्सली हमलों पर भी लगाम लगेगी। गृहमंत्री ने कहा कि हम अपनी विशाल तटरेखा की सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी इस्तेमाल कर रहे हैं, हमारे पास नौसेना, तटरक्षक और समुद्री पुलिसबलों के साथ मिलकर तटों की सुरक्षा के लिए बहुआयामी व्यवस्था है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि वर्ष 2005-06 में गृह मंत्रालय की तटीय सुरक्षा योजना के तहत मछली पकड़ने वाली नौकाओं और ट्रॉलरों को रेडियोफ्रिक्वेंसी पहचान प्रणाली एवं जीपीएस आधारित तकनीकों से लैस कर दिया गया है और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, राष्ट्रीय तटीय पुलिस व्यवस्था अकादमी को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है, जहां तटीय पुलिस व्यवस्था मानक विश्वस्तरीय हैं। गृहमंत्री ने कहा कि पुलिसकार्य में ड्रोन या यूएवी एक उपयोगी नई प्रौद्योगिकी के रूपमें उभरे हैं, यूएवी के उपयोग का रोडमैप तैयार करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक कार्यबल का गठन किया है, जिसमें पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो अहम भागीदार है। गृहमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी से अपराध जांच प्रक्रियाओं में बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने अभी हाल में एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिससे डीएनए फिंगरप्रिंटिंग वैध प्रमाण बन जाएगी, हर जिले में दुष्कर्म जांच किट उपलब्ध कराई जा रही है, साइबर फोरेंसिक प्रकोष्ठ को भी मजबूत बनाया जा रहा है और नागरिकों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के संबंध में मोबाइल ऐप विकसित करने के लिए पुलिस बलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के निदेशक राजीव सिंह ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि पुलिस आधुनिकीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता इस तथ्य से साबित हो जाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वार्षिक पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन के दौरान पुलिस अधिकारियों के साथ दो से तीन दिन उपस्थित थे। ब्यूरो के महानिदेशक डॉ एपी माहेश्वरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने बड़े पैमाने पर पुलिस कार्य में सुधार किया है और इसे नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके अलावा इसे सेफ-सिटी और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं एवं सोशल मीडिया विश्लेषण में भी लागू किया जा रहा है। दो दिवसीय सम्मेलन में 100 से अधिक पुलिस अधीक्षक एवं राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिसबलों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।