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Saturday 28 July 2018 03:28:53 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने यह सुखद आशा व्यक्त की है कि देश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना है, क्योंकि देशभर में जारी बाघ गणना के प्रारंभिक संकेतकों से ऐसा लगता है। उन्होंने कहा कि बाघ संरक्षण के लिए सामाजिक आंदोलन प्रारंभ करने की आवश्यकता है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि समय-समय पर बच्चों की सहायता से हमारे देश में बाघों के संरक्षण पर सामाजिक आंदोलन प्रारंभ किए गए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ वर्ष पहले डेंगू के बारे में जागरुकता फैलाने और पोलियो उन्मूलन आंदोलन में बच्चों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह बच्चों को बाघ संरक्षण के लिए जागरुकता में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने यहां एक सप्ताह तक चलने वाले विश्व बाघ दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बाघ संरक्षण को हरित शुभकार्य आंदोलन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि उनके संरक्षण के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण में एक छोटे से भी हरितकार्य के योगदान को भूलना नहीं चाहिए। डॉ हर्षवर्धन ने भारतीय चिड़ियाघरों के वन्यजीवों के स्वास्थ्य तथा पोषण प्रबंधन पर एक मैनुअल भी जारी किया, जिसमें चिड़ियाघरों में वन्यजीव अवसंरचना निर्माण और दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने संबंधी बातें शामिल हैं। मैनुअल में टीकाकरण की समयसारिणी, कृमिनाशक और स्वास्थ्य संबंधी बातें भी हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव सीके मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि प्रश्न केवल बाघ संरक्षण का नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली बनाने का है। उन्होंने बच्चों की भूमिका के महत्व को बताते हुए कहा कि बच्चे समाज पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
वन और जलवायु परिवर्तन सचिव सीके मिश्रा ने जीव और मानव संघर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानवजाति ने ही बाघों के क्षेत्र में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण में बहुत सारी उपलब्धियां हासिल हुईं हैं, लेकिन अभी और कुछ करना शेष है। महानिदेशक एवं वन्य तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में विशेष सचिव डॉ सिद्धांत दास ने कहा कि जिस तरह से हमारे देश में बाघों का संरक्षण हो रहा है, उस तरह भारत अपने बाघों की आबादी दोगुना करने की राह पर है। उन्होंने बाघ को शीर्ष प्रजाति बताते हुए कहा कि बाघों को बचाकर खाद्य श्रृंखला के सभी जीवों को बचाया जाता है और यदि बाघ की संख्या बढ़ रही है तो यह इस बात का संकेत है कि देश में जल सुरक्षा बढ़ रही है और बाघ संरक्षण का कार्य हमें जल संकट से बचाएगा। उन्होंने कहा कि बाघ की सुरक्षा के लिए लगभग 50 हिरण, हिरणों के लिए पर्याप्त घास वाली जमीन तथा घासों के लिए नमी आवश्यक है।
विश्व बाघ दिवस समारोह में दिल्ली के विभिन्न स्कूलों के बच्चे, शिक्षक, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी, संरक्षण सहयोगी व्लर्ड वाइल्डलाइफ फंड, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और ग्लोबल टाइगर फोरम के अधिकारी भी शामिल हुए। प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को मनाए जाने वाले विश्व बाघ दिवस से पहले युवा पीढ़ी में जागरुकता के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें कहानी और कविता लेखन, पेंटिंग, प्रहसन तथा नुक्कड़ नाटक, क्विज प्रतियोगिता और पर्यावरण मंत्रालय परिसर में प्रदर्शनी प्रमुख थी।