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स्त्री मुखर तो हुई है-कथाकार सुधा अरोड़ा

हिंदू कालेज दिल्ली में 'लेखक से भेंट' पर रचना पाठ

'स्‍त्री का स्‍त्री और पुरुषवादी स्त्रियों से संघर्ष जारी है'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 31 July 2018 02:58:20 PM

writer sudha arora

नई दिल्ली। हिंदू कालेज दिल्ली में हिंदी साहित्य सभा का 'लेखक से भेंट' आयोजन हुआ, जिसमें सुप्रसिद्ध कथाकार सुधा अरोड़ा ने देशभर में नारी सशक्तिकरण के अभियान पर अपने मुखर विचार रखे और कटाक्ष भी किए। सुधा अरोड़ा का कहना है कि स्त्री मुखर तो हुई है। वे कहती हैं कि स्‍त्री की शक्ति ज्यादा धारदार हुई है तो उसके संघर्ष भी गहन और लंबे होंगे, वह संघर्ष कर रही है-पुरुषों के मोर्चे पर पुरुषों के साथ और अपने मोर्चे पर पुरुषवादी स्त्रियों के साथ, यह उसका दोहरा संघर्ष है। वे कहती हैं कि वक्त बदलने के साथ स्‍त्री के संघर्ष का स्वरूप बहुत बदला है, बस नहीं बदली है तो स्‍त्री के संघर्ष की प्रकृति। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष दोहरा तिहरा नहीं, चहुंमुखा है और लंबा भी, जो बहुत जल्‍दी समाप्‍त होने वाला नहीं है, यह चल रहा है और आगे भी चलेगा।
'लेखक से भेंट' में सुधा अरोड़ा ने कहा कि सकारात्‍मक ऊर्जा, शक्ति, प्रकृतिगत लचीलेपन और दूरदर्शिता से स्त्री स्थितियों को बदल पाने में सक्षम होगी, किसी भी प्रगतिशील समाज के विकास और उन्‍नति के लिए यह जरूरी भी है। उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी दो बहुचर्चित कहानियों 'रहोगी तुम वही' तथा 'सत्ता संवाद' का पाठ भी किया। रहोगी तुम वही' में पितृसत्तावादी मनोरचना के संवादों को श्रोताओं ने भरपूर सराहा। कहानी के एक संवाद में उन्होंने कहा कि तुमने अपना यह हाल कैसे बना लिया? चार किताबें लाकर दीं तुम्हें, एक भी तुमने खोलकर नहीं देखी।...ऐसे ही बीवियों के शौहर फिर दूसरी खुले दिमागवाली औरतों के चक्कर में पड़ जाते हैं और तुम्हारे जैसी बीवियां घर में बैठकर टसुएं बहाती हैं?...पर अपने को सुधारने की कोशिश बिलकुल नहीं करेंगी। उन्होंने हालिया प्रकाशित अपने कविता संग्रह 'कम से कम एक दरवाजा' से दो कविताओं का पाठ भी किया।
रचना पाठ के बाद युवा विद्यार्थियों से सवाल-जवाब सत्र में उन्होंने कहा कि यह संक्रमण का समय है, जब चीज़ें बदल रही हैं, ऐसे में समस्याओं का श्वेत श्याम में स्पष्ट विभाजन नहीं हो सकता, वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'पर्सनलाइज पोलिटिकल' का मुहावरा युग सत्य है, क्योंकि इसने हमें चीज़ों को साफ़ देखने का रास्ता बताया है। हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ रचना सिंह ने सुधा अरोड़ा का स्वागत किया। कार्यक्रम के संयोजक छात्र विनीत कांडपाल ने लेखक परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विभाग अध्यापक डॉ हरींद्र कुमार, डॉ बिमलेंदु तीर्थंकर और डॉ पल्लव सहित अनेक विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे। विभाग के वरिष्ठ अध्यापक डॉ रामेश्वर राय ने पुस्तकें भेंटकर सुधा अरोड़ा का अभिनंदन किया। छात्र सौरभ ने आभार व्यक्त किया।

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