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Wednesday 1 August 2018 12:25:16 PM
रुड़की। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता श्रीगोपाल नारसन ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य का डबल इंजन फेल हो चुका है। उन्होंने कहा कि लोकसभा के पांच साल पूरे होने मे कुछ ही समय बचा है, लेकिन उत्तराखंड के सांसद अपनी सांसद निधि अभी तक पूरी खर्च नहीं कर पाए हैं, जो इस बात का सबूत है। प्रमाण के तौरपर उन्होंने जानकारी जुटाई कि उत्तराखंड से सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय टमटा 25 करोड़ में से मात्र 6.78 करोड़, जनरल बीसी खंडूरी 7.32 करोड़, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक 13.87 करोड़, भगतसिंह कोश्यारी 17.55 करोड़ और रानी लक्ष्मी शाह 9.14 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई हैं, जबकि उनकी सांसद निधि का करोड़ों रुपया विकास कार्यों में खर्च होने की बांट जोह रहा है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अब जबकि लोकसभा चुनाव के मात्र 10 माह बचे हैं, उत्तराखंड के हिस्से के अभी 70 करोड़ रुपये खर्च नहीं होपाए हैं, सांसदों ने इन साल में मात्र 154.80 करोड़ रुपये का काम कराया या सिफारिशें की हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए जारी 85 करोड़ रूपये में से अभी 17.76 करोड़ रुपये खर्च होने बाकी हैं, देशभर की बात करें तो सांसद निधि के 2138.07 करोड़ रुपये जिलों के बैंकों में पड़े हैं, इस राशि पर ब्याज मिलने से यह रकम लगातार बढ़ती जा रही है। गौरतलब है कि सासंदनिधि योजना वर्ष 1993-94 में शुरू की गई थी, तब मात्र पांच लाख रुपए दिए जाते थे, वर्ष 1994-94 में इसे बढ़ाकर करोड़ रुपए कर दिया गया, वर्ष 1998-99 में इसे बढ़ाकर दो करोड़ और 2011-12 में पांच करोड़ रुपए सालाना कर दिया गया, अब इसे भी बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये तक करने की मांग हो रही है, जबकि मौजूदा राशि को ही खर्च करने के लाले पड़े हैं।
श्रीगोपाल नारसन ने उल्लेख किया कि संसदीय व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार प्रत्येक सांसद को उनके संसदीय क्षेत्र में विशेष कार्य कराने के लिए सांसद निधि के तहत हर साल पांच-पांच करोड़ रुपए देती है, लोकसभा के 543 सांसदों ने मौजूदा जुलाई माह के पहले सप्ताह तक जितने कार्यों की सिफारिश की अथवा जितने कार्य हुए, उनके बारे मे सरकारी आंकड़े बताते हैं कि यही गति रही तो इस राशि के समय पर खर्च होने की उम्मीदकम ही है। इस लोकसभा के सांसदों के लिए कुल 9107.50 करोड़ रुपये रिलीज हुए हैं, निर्धारित समयावधि में खर्च नहीं होने से इस राशि पर ब्याज भी जुड़ गया, जिससे जिला प्रशासन के खाते में इस मद में 9796.41 करोड़ रुपये हो गए हैं। उनका कहना है कि अभी भी 2138.07 करोड़ रुपये बिना खर्च के जिलों में पड़े हैं, जो उत्तराखंड के सांसदों की जनता के प्रति उदासीनता का प्रमाण है, जिसका उत्तराखंड की जनता को उनसे जवाब मांगना चाहिए।