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Monday 6 August 2018 05:49:20 PM
तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज तिरुवनंतपुरम में केरल विधानसभा की हीरक जयंती समारोह के समापन आयोजन के रूपमें ‘लोकतंत्र का त्योहार’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अवसर पर कहा कि राजनीति, सार्वजनिक जीवन और लोकतंत्र की गुणवत्ता समाज के आवश्यक तत्वों के प्रतिबिंब होते हैं और केरल विधानसभा, इसकी बहसें एवं परिचर्चाएं और मानवीय मूल्य राज्य की परंपराओं का दर्पण हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली सदियों में भी केरल की सामाजिक संरचना ने बहस और संवाद को प्रोत्साहित किया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य, श्रीनारायण गुरु और अय्यंकली जैसे दूरदर्शी समाज सुधारकों ने यही रास्ता दिखाया है और विभिन्न मतों जैसे हिंदू, इस्लाम, ईसाई, यहूदी को मानने वालों को यही बात प्रेरित करती रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई व्यक्ति एक मत विशेष को मान सकता है, अन्य किसी मत को मान सकता है या मत को बिलकुल नहीं मान सकता है, यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि बहस और परस्पर मेल-मिलाप की संस्कृति केरल के जीवन का डीएनए रहा है और इसे संरक्षित रखा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 60 वर्ष के दौरान केरल विधानसभा के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक हिंसा एक विरोधाभास के रूपमें विद्यमान है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है और राज्य एवं इसके लोगों की गौरवशाली परंपराओं के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक समूहों और नागरिकों को ऐसी प्रवृत्तियों की रोकथाम के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहस, मतभेद और असहमति पूरी तरह स्वीकार्य हैं और हमारी राजनीति में इनका स्वागत किया जाना चाहिए, हिंसा का हमारे संविधान में कोई स्थान नहीं है।