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Tuesday 28 August 2018 02:56:01 PM
नैरोबी/ नई दिल्ली। भारत-केन्या संयुक्त व्यापार समिति की आठवीं बैठक 22 से 25 अगस्त तक केन्या के नैरोबी में हुई। भारत सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और केन्या सरकार के उद्योग व्यापार तथा सहकारिता मंत्री पीटर मुन्या ने बैठक की सह अध्यक्षता की। बैठक के दौरान चर्चाओं में केन्या के बिग फोर एजेंडा के कार्यांवयन में भारत के योगदान पर प्रमुखता से बातचीत की गई। वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने केन्या की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए वहां निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के लिए अधिक अनुसंधान और विकास कार्यों पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय कारोबारियों से अपील की वह केन्या के साथ द्विपक्षीय व्यापार सहयोग के प्राथमिक क्षेत्रों की पहचान के लिए बाज़ार सर्वेक्षण कराएं।
सुरेश प्रभु ने केन्या में बसे भारतीय समुदाय के लोगों से संवाद किया और उन्हें भारत सरकार की उपलब्धियों और उसके द्वारा शुरू की गई विभिन्न विकास गतिविधियों की जानकारी दी। नैरोबी प्रवास के दौरान सुरेश प्रभु ने केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केनियाटा और उपराष्ट्रपति विलियम रूटो से भी मुलाकात की। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं व्यापारियों का शिष्टमंडल भी सुरेश प्रभु के साथ नैरोबी गया था। हिंद महासागर क्षेत्र में पड़ोसी देश होने के नाते भारत और केन्या के बीच लम्बे समय से व्यापारिक रिश्ते बने हुए हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच नजदीकी संपर्क रहा है। भारत केन्या का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के साथ ही केन्या में विदेशी निवेश के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत-केन्या संयुक्त व्यापार समिति की पिछली बैठक फरवरी 2015 में नई दिल्ली में हुई थी।
एजेंडे में खाद्य सुरक्षा, किफायती आवास, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाएं और विनिर्माण, द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार और उसमें विविधता, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने की केन्या की तत्परता, विद्युत संचरण में भारत सरकार द्वारा विस्तारित 220 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक की क्रेडिट लाइनों का कार्यांवयन, लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों का विकास, रिवेटेक्स कारखानों का पुनरुद्धार और कृषि मशीनीकरण, उच्चस्तरीय विचार-विमर्श के दौरान किए गए निर्णयों के कार्यांवयन, स्वास्थ्य क्षेत्र, नीली अर्थव्यवस्था और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्रों में सहयोग, डब्ल्यूटीओ से संबंधित मुद्दे और भारत द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल थे।