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कंपनी अपराधों के मामलों पर कानून कठोर रहे!

कंपनी कानून पर गठित समिति ने जेटली को सौंपी रिपोर्ट

रिपोर्ट में छह और दो श्रेणियों में की समिति ने सिफारिशें

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 28 August 2018 03:05:46 PM

committee on company law report submitted to jaitley

नई दिल्ली। कंपनी कानून-2013 और संबद्ध मामलों के अंतर्गत अपराधों से निपटने और वर्तमान ढांचे की समीक्षा के लिए भारत सरकार की जुलाई 2018 में गठित समिति ने कॉरपोरेट अनुपालन को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने की सिफारिश करते हुए समिति की अध्‍यक्षता कर रहे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास ने केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति ने सभी दंड विषयक प्रावधानों का विस्तृत विश्लेषण किया, जिन्हें अपराधों की प्रकृति के आधार पर उस समय आठ श्रेणियों में बांट दिया गया था। समिति ने सिफारिश की कि छह श्रेणियों को शामिल करते हुए गंभीर अपराधों के लिए वर्तमान कठोर कानून जारी रहना चाहिए, जबकि दो श्रेणियों के अंतर्गत आने वाली तकनीकी अथवा प्रक्रियात्मक खामियों के लिए निर्णय की आंतरिक प्रक्रिया होनी चाहिए।
समिति का मानना था कि इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और कॉरपोरेट के बेहतर अनुपालन को बढ़ावा देने के दोहरे मकसद को पूरा किया जा सकेगा। इससे विशेष अदालतों में दायर मुकद्मों की संख्या भी कम होगी, जिससे बदले में गंभीर अपराधों का तेजी से निपटारा होगा और गंभीर अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज हो सकेगा। कॉरपोरेट धोखेबाजी से जुड़ा अनुच्छेद 447 उन मामलों पर लागू रहेगा, जहां धोखेबाजी पाई गई है। रिपोर्ट में अन्य बातों के अलावा राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण को न्यायाधिकरण के समक्ष मौजूद शमनीय अपराधों की संख्या में पर्याप्त कटौती के जरिए मुक्त करने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में कॉरपोरेट शासन प्रणाली जैसेकि व्यवसाय शुरू करने की घोषणा, पंजीकृत कार्यालय का संरक्षण, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा, पंजीकरण और शुल्क प्रबंधन, हितकारी स्वामित्व की घोषणा और स्वतंत्र निदेशकों की स्वतंत्रता से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को शामिल किया गया है।
समिति की प्रमुख सिफारिशें हैं कि नियमित अपराधों के मामले में निर्णय देने से विशेष अदालतों को छुटकारा दिलाने के लिए कॉरपोरेट अपराधों की नए सिरे से समीक्षा, 81 शमनीय अपराधों में से 16 को विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्र से हटाकर आंतरिक ई-निर्णय के लिए अपराधों की नई श्रेणियां बनाना, जहां अधिकृत निर्णय अधिकारी (कंपनियों के रजिस्ट्रार) चूककर्ता पर दंड लगा सकेंगे, शेष 65 शमनीय अपराध अपने संभावित दुरूपयोग के कारण विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्र में ही रहेंगे,इसी प्रकार गंभीर कॉरपोरेट अपराधों से जुड़े सभी अशमनीय अपराधों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने की सिफारिश की गई है, फैसलों का ई-निर्णय और ई-प्रकाशन करने के लिए पारदर्शी ऑनलाइन मंच तैयार करना, दंड लगाने के समय पर चूक साबित करने के लिए सहवर्ती आदेश को अनिवार्य करना, ताकि बेहतर तरीके से पालन हो सके। कंपनी कानून-2013 के अनुच्छेद 441 के अंतर्गत अपराधों की शमनीयता के लिए वित्तीय सीमाओं को बढ़ाने के साथ क्षेत्रीय निदेशक का अधिकार क्षेत्र बढ़ाना, अनुच्छेद 2(41) के अंतर्गत कंपनी के वित्तीय वर्ष में बदलाव को मंजूरी देने की केंद्र सरकार को अधिकार प्रदान करना और कानून के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत सार्वजनिक कंपनियों को निजी कंपनियों में बदलना।
समिति की बाकी सिफारिशें हैं-कॉरपोरेट अनुपालन और कॉरपोरेट शासन से जुड़ी सिफारिशें जैसे ‘मुखौटा कंपनियों’ से बेहतर तरीके से निपटने के व्यावसायिक प्रावधानों की दोबारा शुरूआत की घोषणा करना, सार्वजनिक जमा के संबंध में बृहत्तर प्रकटीकरण, खासतौर से ऐसे लेन-देन के संबंध में जिसे कानून के अनुच्छेद 76 के अंतर्गत सार्वजनिक जमा की परिभाषा से मुक्त कर दिया गया है, ताकि जनहित के नुकसान को रोका जा सके,सृजन, सुधार और लेनदार के अधिकार से जुड़े दस्तावेजों को भरने के लिए समय-सीमा में भारी कटौती तथा जानकारी नहीं देने के लिए दंड विषयक कड़े प्रावधान, कंपनी के एक बार अनुच्छेद 90(7) के अंतर्गत महत्वपूर्ण लाभकारी स्वामित्व से जुड़े प्रतिबंध हासिल करने पर, ऐसे शेयरों के संबंध में जिनके स्वामित्व का पता नहीं है, ऐसे शेयरों को निवेशक शिक्षा और सर्वेक्षण कोष को हस्तांतरित कर दिए जाने चाहिए, यदि असली स्वामी ऐसे प्रतिबंधों का एक वर्ष के भीतर स्वामित्व का दावा नहीं करता, पंजीकरण नहीं करने की प्रक्रिया के लिए पंजीकृत कार्यालय का रखरखाव नहीं करना, स्वीकृति योग सीमा के बाहर निदेशक का पद रखना, ताकि ऐसे निदेशकों को अयोग्य ठहराया जा सके और स्वतंत्र निदेशकों की आय के प्रतिशत के मामले में मेहनताने की सीमा लागू करना, ताकि किसी प्रकार के वित्तीय संबंधों से बचा जा सके, जो कंपनी के बोर्ड में उसकी स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
समिति के सदस्यों में कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक, शरदूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष शरदूल एस श्रौफ, एजेडबी एंड पार्टनर के संस्थापक प्रबंध सहयोगी अजय बहल, जीएसए एसोसिएट्स के वरिष्ठ सहयोगी अमरजीत चौपड़ा, फिक्की के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ बिरला, स्मार्ट ग्रुप की साझेदार और कार्यकारी निदेशक प्रीति मल्होत्रा और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव और समिति के सदस्य सचिव केवी आर मूर्ति शामिल हैं।

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