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Friday 08 March 2013 05:16:39 AM
अजमेर। हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के सज्जादानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने देश की सीमा से भारतीय सैनिक का सिर काट कर ले जाने की अमानवीय घटना, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और उनके धर्म स्थलों की असुरक्षा के विरोध स्वरूप पाक प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
सज्जादानशीन एवं दरगाह के धर्म प्रमुख ने ई-मेल से भेजे बयान में बताया कि पौराणिक पंरपराओं के अनुसार दरगाह ख्वाजा साहब में किसी राष्ट्राध्यक्ष की अगुवानी सर्व प्रथम उनके द्वारा की जाती है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए उन्होंने कई राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपतियों का सूफी परंपराओं के अनुसार स्वागत किया है और आर्शीवाद देकर उन्हें विदाई दी है। पाक प्रधानमंत्री की प्रस्तावित अजमेर यात्रा को लेकर दरगाह के आध्यात्मिक धर्मगुरू सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने यह फैसला लिया है कि वह पाक प्रधानमंत्री की दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहने के लिए जिला प्रशासन को दरगाह में अपनी उपस्थिति एवं पास के लिए पत्र नहीं लिखेंगे और इस यात्रा का बाहिष्कार करेंगे।
पाक प्रधानमंत्री की यात्रा का बहिष्कार करने के तफसील से कारण बताते हुए दरगाह दीवान के कहा कि सीमा पर षडयंत्र एवं कायरतापूर्ण तरीके से भारतीय सेना के जवान का सिर काट कर ले जाना और शहीद का सिर वापस नहीं लौटाना न सिर्फ अंतराष्ट्रीय सैन्य परंपराओं का उलंघन एवं मानवीय मूल्यों का हनन है, बल्कि इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांतों की खिलाफवर्जी भी है, क्योंकि पाकिस्तान एक इस्लामिक गणराज्य है लेकिन बड़ा अफसोस है कि वहां इस्लामी शिक्षाओं का पालन नहीं किया जा रहा है, जबकि इस्लाम यह स्पष्ट निर्देश देता है कि पड़ोसियों के साथ शांति व सदाचार का व्यवहार करना चाहिए, जिससे आपस में नफरत का माहौल पैदा न हो।
उन्होंने कहा कि पाक राजनीतिज्ञ इलामिक मूल्यों की अवहेलना करते हुए भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर बेकसूर लोगों की जान लेते हैं, जबकि सभी मामलों में देश की सरकार की ओर से आधिकारिक विरोध दर्ज करवाने के बावजूद पाक सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाकर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं करती है। उन्होंने कहा कि बेहतर यह होता कि पाक प्रधानमंत्री भारतीय शहीद का सिर ससम्मान भारत लाते और देश के प्रधानमंत्री को सौंपकर पाक सैनिकों की और से भारत की जनता और शहीदों के परिवारों से क्षमा याचना करके फिर अजमेर दरगाह जियारत को आते, जिससे दोनों मुल्कों के बीच नए तरीके से मधुर संबंधों की स्थापना की शुरूआत होती।
इस्लाम धर्म प्रमुख ने साफ तौर पर कहा कि पाक की ओर से लगातार इस प्रकार की कायरतापूर्ण एवं शर्मनाक घटनाएं कारित किए जाने के बावजूद एक इस्लामिक धर्म गुरू एवं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख की हैसियत से वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहकर उनका स्वागत सत्कार करते हैं तो यह देश के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने के साथ सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहे सैनिकों और शहीदों के बलिदान का अनादर होगा।
उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह भारतीय उप महाद्वीप में मुसलमानों का सबसे बड़ा धर्म स्थल है और मैं ख्वाजा का वंशज एवं इस दरगाह का आध्यात्मिक प्रमुख होने के नाते उनकी धार्मिक यात्रा का बहिष्कार कर रहा हूं, इस पर पाक प्रधानमंत्री स्वःविवेचना करें कि उनकी यह हाजरी कूबूल होगी?