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Thursday 6 September 2018 03:28:30 PM
चेन्नई। वित्त आयोग ने चेन्नई में तमिलनाडु सरकार के साथ इस क्षेत्र के अग्रणी अर्थशास्त्रियों के साथ तीसरे परामर्श का आयोजन किया, जिसमें 11 जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विशिष्ट कार्यक्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ एनके सिंह ने इस अवसर पर मीडिया को बताया कि कुछ आवश्यक धारणाओं को समझने में डोमेन विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों के साथ बातचीत एवं चर्चाएं करने से वित्त आयोग को ढेरसारी जानकारियां मिली हैं, जो आयोग केलिए उपयुक्त सिफारिशें पेश करने की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि बैठक में प्रस्तुत किए गए कुछ सुझावों में ऐसे परिवर्तनीय आंकड़े शामिल हैं, जिन्हें सांकेतिक जीडीपी एवं वास्तविक जीडीपी वृद्धिदर से जुड़ी महंगाई दर का आकलन करते समय ध्यान में रखने की जरूरत है।
डॉ एनके सिंह ने कहा कि इसी तरह उन जोखिमों और चुनौतियों को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है, जो वर्ष 2020 से वर्ष 2025 तक की अवधि के लिए संबंधित अनुमान व्यक्त करने की दृष्टि से अहम हैं और जो वित्त आयोग के लिए निर्धारित अवधि है। उन्होंने बताया कि आयोग को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण पर इसके प्रभावों से निपटने के लिए संबंधित व्यवस्था को मजबूत करने के तरीकों के बारे में भी कई सुझाव प्राप्त हुए और यही नहीं, अनुकूलन और तटीय क्षरण के संदर्भ में इस मसले से निपटने के लिए भी अनेक सुझाव आयोग को प्राप्त हुए हैं। अर्थशास्त्रियों ने ध्यान दिलाया कि जलवायु परिवर्तन इत्यादि से होने वाली आपदाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए केवल इनमें सिर्फ कमी करने के मौजूदा तरीकों पर ही ध्यान केंद्रित करने के बजाय उपयुक्त या अनुकूलन रणनीतियों में अधिक निवेश करना मददगार साबित होगा।
अर्थशास्त्रियों ने परामर्श में केवल वन का दायरा बढ़ाने के बजाय पारिस्थितिकीय संरक्षण के व्यापक परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इससे पहले आयोग ने विभिन्न राजनीतिक दलों, व्यापार एवं उद्योग जगत और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। सभी प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने इसमें शिरकत की। उन्होंने आयोग से तमिलनाडु जैसे बढ़िया प्रदर्शन करने वाले राज्यों को दंडित न करने का अनुरोध किया। इस संबंध में वित्त आयोग ने राज्यों और केंद्र के मामले में निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाने की बात कही। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने इस दौरान उद्योग और कृषि के लिए भूमि अधिग्रहण एवं पानी की उपलब्धता तथा हरित ऊर्जा के लिए ग्रिड विकास से संबंधित मुद्दे उठाए।