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Wednesday 26 September 2018 11:32:32 AM
लखनऊ। कृष्णमाला वेलफेयर फाउंडेशन विकासनगर ने भारतीय भाषा संस्थान भारत सरकार के भाषा प्रसार कार्यक्रम के अंतर्गत पंजाबी भाषा प्रसार संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें पंजाबी भाषा की स्थिति एवं विकास के आयामों पर चर्चा की गई। संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ केके त्रिपाठी ने पंजाबी भाषा के इतिहास पर बोलते हुए कहा कि यह भाषा 15वीं शताब्दी से भी पुरानी है, जिसमें गुरू नानक साहब की अमृतवाणी का जिक्र मिलता है।
पंजाबी भाषा प्रसार संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता और पंजाबी भाषा साहित्य के मर्मज्ञ डॉ मोहित सेठ ने पंजाबी समुदाय के प्राचीन धार्मिक ग्रंथ आदि ग्रंथ की चर्चा करते हुए कहा कि यह ग्रंथ सोलहवीं शताब्दी के पूर्व का है, जिसमें नानक साहब सहित सात अन्य गुरूओं की वाणियां संग्रहित हैं। उन्होंने कहा कि पंजाबी साहित्य का यह प्राचीन एवं दुर्लभ ग्रंथ है। उन्होंने गुरू गोबिंद सिंह के दशम ग्रंथ के वीर साहित्य चंडी दी वार का वृहद वर्णन करते हुए पंजाबी भाषा के सूफी कवियों एवं उनकी साहित्यिक रचनाओं पर चर्चा की।
साहित्यकार नीरा भसीन ने आधुनिक पंजाबी साहित्य का जिक्र किया और पंजाबी साहित्य के नवप्रवर्तक प्रोफेसर मोहन सिंह की प्रयोगवादी मौलिक दृष्टि का जिक्र करते हुए समाज एवं प्रकृति से जुड़ी रचनाओं पर प्रकाश डाला। आधुनिक पंजाबी भाषा साहित्य की ख्यातिप्राप्त साहित्यकार एवं गीतकार अमृता प्रीतम की चर्चा करते हुए नीता भसीन ने उनकी साहित्यिक रचनाओं सहित उनके लेखन के क्षेत्र में प्रथम महिला साहित्यकार होने व उनके फिल्मों और टीवी सीरियल में पटकथा एवं गीतों के माध्यम से योगदान के बारे में जानकारी दी।
गंगोत्री फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक डॉ प्रदीप शुक्ल ने पंजाबी भाषा के विकास और प्रसार के लिए उसे राज्य की सरकारी प्रयोग की भाषा बनाने के साथ उसकी अनिवार्यता प्राथमिक शिक्षा से स्नातक स्तर तक करने का अनुरोध किया। संगोष्ठी में जगदम्बा त्रिपाठी ने पंजाबी संस्कृति एवं उसके सौहार्दपूर्ण त्योहारों का जिक्र करते हुए उनके कार्यों व कार्यों के प्रति कठोर अनुशासन की बात की। संगोष्ठी के अध्यक्षीय अभिभाषण में कृष्णमाला वेलफेयर फाउंडेशन की सचिव और प्रबंध निदेशक डॉ माला त्रिपाठी ने पंजाबी भाषा के प्रसार के लिए भारतीय भाषा संस्थान के प्रयासों की सराहना की।