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Saturday 29 September 2018 05:13:16 PM
नई दिल्ली। ये चित्र किसी सिद्धहस्त चित्रकार के बनाए हुए हैं, मगर नहीं। आपको बड़ा आश्चर्य होगा 'मगर नहीं' जानकर। वास्तव में ये चित्र एक लेखक के बनाए हुए हैं और इनमें निहित विशेष ताज़गी यह बताती है कि यह किसी सिद्धहस्त चित्रकार का बड़ा कमाल है। इस चित्रकारी का सच यह है कि सुप्रसिद्ध कथाकार और नाटककार असग़र वजाहत ने बनाए हैं ये चित्र। असग़र वजाहत के चित्रों की प्रदर्शनी के उद्घाटन पर विख्यात कला समीक्षक और लेखक प्रयाग शुक्ल ने भी यही बात कही। प्रयाग शुक्ल ने कहा कि यह असग़र वजाहत की बड़ी विनम्रता है कि वे कहते हैं कि मैं चित्रकार नहीं, बल्कि लेखक हूं, लेकिन उन्होंने तो रंगों के प्रयोग और प्रस्तुतिकरण की विविधता से सबको चौंका दिया है। ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसायटी की कलावीथी में आयोजित इस प्रदर्शनी में पंखुरी सिन्हा, सीरज सक्सेना, विष्णु नागर और मंगलेश डबराल ने काव्य पाठ भी किया। प्रदर्शनी के क्यूरेटर तथा काव्य पाठ का संयोजन कर रहे प्रयाग शुक्ल ने दिल्ली के सांस्कृतिक परिदृश्य में इसे एक यादगार अनुभव बताया है।
मंगलेश डबराल ने 'रात और दिन', 'मेरा दिल', 'सुनो शब्दार्थ' और 'भूत' कविताओं का काव्य पाठ किया, वहीं विष्णु नागर ने अपने संग्रह 'घर के बाहर घर' से कुछ मर्मस्पर्शी कविताएं सुनाईं। असग़र वजाहत नेप्रयाग शुक्ल को प्रदर्शनी का श्रेय देते हुए कहा भी कि उनके उत्साहवर्धन से ही यह प्रदर्शनी सम्भव हुई है। ज्ञातव्य है कि असग़र वजाहत के कमाल के चित्रों की ऐसी प्रदर्शनी पहलीबार लगी है, यद्यपि पिछले माह ही हंगरी के शहर बुदापेश्त में उनके चित्रों का प्रदर्शन हुआ था। नया पथ के सम्पादक मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, आलोचना के सम्पादक संजीव कुमार, आलोचक रेखा अवस्थी, कथाकार वंदना राग, कवि लीलाधर मंडलोई, कथाकार मधुसूदन आनंद, बनास जन के सम्पादक पल्लव, समीक्षक श्याम सुशील, लेखक मधुकर उपाध्याय, प्रकाशक मीरा जौहरी और साहित्य एवं कला प्रेमी इस अवसर पर उपस्थित थे। चित्र प्रदर्शनी 4 अक्टूबर तक चलेगी और समापन की पूर्व संध्या पर 3 अक्टूबर को 'कला और कविता में अमूर्तन' विषय पर एक परिसंवाद भी आयोजित किया जाएगा।