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Thursday 4 October 2018 05:43:56 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने हैदराबाद में यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर वुमेन के दीक्षांत समारोह में शिक्षा को सामाजिक बदलाव का माध्यम बताते हुए कहा है कि खासकर भारत जैसे देश में महिलाओं के सशक्तिकरण की नींव इससे ही पड़ती है। उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं पिछड़ी रहीं तो कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता और एक महिला को शिक्षित करने से केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा परिवार सशक्त बनता है। लैंगिक असमानता के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने लोगों को आगाह किया कि विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को पीछे रखने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने रूढ़ियों और पुराने चलन की दीवारों को गिराने का आह्वान करते हुए कहा कि देश की आधी आबादी को अपनी बात कहने और सुनने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाना एक तरह से पूरे समाज को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सिर्फ रोज़गार के लिए नहीं होती, बल्कि इससे व्यक्ति के ज्ञान और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है, जिससे वह सशक्त बनता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि महिलाओं की जरूरत हर क्षेत्र में है, उन्हें बराबरी का अधिकार देने के लिए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक क्षेत्र को सशक्त बनाना होगा। उन्होंने लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को जरूरी बताया और इस संदर्भ में स्वामी विवेकानंद के उस कथन का उदाहरण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं की स्थिति बेहतर बनाए बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं है, क्योंकि कोई भी पक्षी केवल एक पंख से नहीं उड़ सकता। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के सकारात्मक परिणामों पर विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर महिलाएं शिक्षित हुईं तो इससे शिशु और बाल मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिलेगी, उनकी कमाई करने की क्षमता बढ़ने से बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वेंकैया नायडू ने अपनी शिक्षा पूरी कर कॉलेज से निकल रहे छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि वे जिस क्षेत्र में भी जाएं, अपनी प्रतिभा और कौशल की छाप छोड़ें। उन्होंने छात्रों से औसत दर्जे का नहीं, बल्कि बेहतरीन प्रदर्शन करने की अपील की।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार का केंद्र बनने के मामले में खास प्रगति नहीं करने की बात करते हुए कहा कि हम लोग ज्ञान प्राप्ति के मामले में तो अच्छे हैं, लेकिन ज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया दे पाने में उस स्तरपर सक्षम नहीं हो पाए हैं, हम कुछ नया तभी कर सकते हैं, जब हम अपनी शिक्षा प्रणाली में ऐसे बदलाव लाएं, जो युवा मस्तिष्क को रचनात्मकता और कौशल के साथ नई सोच के लिए प्रेरित कर सकें। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे कॉलेजों को उत्कृष्टता और नवाचार का केंद्र बनाने के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित करें। उन्होंने छात्रों को अपनी मातृभाषा, माता-पिता, जन्म स्थान, मातृ भूमि और गुरु को कभी न भूलने जैसी पांच अहम बातों पर जीवनभर अमल करने की नसीहत दी। दीक्षांत समारोह में तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मोहम्मद महमूद अली, उस्मानिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस रामा चंद्रन, यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर वुमेन की प्रधानाचार्य प्रोफेसर रोजा रानी और अध्यापक, छात्र और उनके अभिभावक भी उपस्थित थे।