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Friday 12 October 2018 04:06:57 PM
पुद्दुचेरी। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पुद्दुचेरी में जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में चिकित्सा क्षेत्र में स्नातक कर रहे चिकित्सकों से कहा है कि गुणवत्ता, करुणा, नैतिकता और इक्विटी उनके जीवन के मार्गदर्शन सिद्धांत होने चाहिएं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जेआईपीएमईआर चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता का 200 वर्ष पुराना केंद्र है और भारत के शीर्ष पांच मेडिकल कॉलेजों में से एक है। उन्होंने संस्थान की सराहना की और कहा कि यह संस्थान एक ऐसे अस्पताल का प्रबंधन भी करता है, जो सबसे ग़रीब श्रेणी के लोगों को 90 प्रतिशत चिकित्सा उपचार नि:शुल्क उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि देश का यह छठा सबसे बेहतर अस्पताल है, जो न सिर्फ इस क्षेत्र के ग़रीब लोगों के लिए, बल्कि पड़ोसी राज्यों के लिए भी एक बड़ा वरदान साबित हो रहा है। उपराष्ट्रपति ने संस्थान को टेली मेडिसिन और टेलीकॉंफरेंसिंग सेवाओं के क्षेत्र में भी नवाचारों को प्रोत्साहन देने के लिए बधाई दी।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि जीआईपीएमईआर को शिक्षा, रोगी उन्मुख अनुसंधान और सेवा उत्कृष्टता में नवाचारों के माध्यम से भारत में स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए एक रोलमॉडल बनना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने क्षेत्रीय कैंसर केंद्र की कैंसर के इलाज हेतु दी गई उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा की भी सराहना की, जिसके तहत अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण और त्वरित आर्क हाई टेक्नोलॉजी जैसे महंगे उपचारों को पूरी तरह से नि:शुल्क प्रदान किया है। वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें अपने सभी नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल सहित देश में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सक्रिय सार्वजनिक एवं निजी साझेदारी के माध्यम से इस क्षेत्र की प्रगति में तेजी लाने में सहायता मिल सकती है। उपराष्ट्रपति ने स्नातकों को स्मरण कराया कि उन्हें देश की विशाल आबादी की स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों को देखते हुए सस्ती और गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करनी चाहिएं। उन्होंने कहा कि सस्ती और अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना वास्तव में चुनौती रही है, लेकिन भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना इस चुनौती को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जिसके प्रभावी कार्यांवयन से देश के स्वास्थ्य परिदृश्य में गुणात्मक परिवर्तन होगा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा चिकित्सक एक हताश व्यक्ति में भी आशा की किरण जगा सकते हैं, इसलिए मरीजों के इलाज के लिए उनको हमेशा मुस्कुराहट और करुणाभाव के साथ तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेआईपीएमईआर जैसे महान संस्थान के नेतृत्व में युवा चिकित्सकों के पास मानव जीवन को बदलने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल उपलब्ध है। यह संस्थान भारत और बिम्सटेक देशों बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड के लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों को जोड़ता है। गौरतलब है कि जेआईपीएमईआर को 1823 में फ्रांसीसी सरकार ने पुडुचेरी में स्थापित किया था। उपराष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र और पुरस्कार भी वितरित किए। दीक्षांत समारोह में पुद्दुचेरी की उपराज्यपाल डॉ किरण बेदी, पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा, पुद्दुचेरी के स्वास्थ्य मंत्री मल्लादी कृष्ण राव, पुद्दुचेरी विधानसभा में विपक्ष के नेता एन रंगसामी, चिकित्सक, चिकित्सा छात्र और उनके माता-पिता भी उपस्थित थे।