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Saturday 13 October 2018 02:05:47 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के 16वें दीक्षांत समारोह में बीटेक, बीफार्मा, एमबीए, एमसीए, एमटेक, एमफार्मा, पीएचडी सहित अन्य पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक और उपाधियां प्रदान कीं। इस वर्ष प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ में 61,619 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। राज्यपाल ने इस अवसर पर डॉ आरए माशेलकर को मानद् उपाधि एवं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी सृजन पाल सिंह को ‘एलुम्यनाई अवार्ड’ देकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं से कहा कि वे अपने मन, वचन एवं कर्म से जीवनपर्यंत अपने को इस उपाधि के अनुरूप सिद्ध करते रहें।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि विद्यार्थी अपने माता-पिता एवं गुरूजनों का सदैव सम्मान करें, जिन्होंने उनको आकाश में उड़ने के लिए पंखों में ताकत दी है। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए प्रमाणिकता, गुणवत्ता एवं कठिन परिश्रम की आवश्यकता है, सूचना तकनीक ने विश्व की दूरियों को कम कर दिया है, इस समय अंतर्राष्ट्रीयस्तर की स्पर्धा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आगे बढ़ने में कभी असफलता मिले तो घबराए नहीं, बल्कि उसका कारण तलाशकर दोबारा प्रयास करें, विज्ञान के परिवर्तन को समझें और रोज नया ज्ञान सीखने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ‘शार्टकट’ से जीवन की प्रगति रुक सकती है। राम नाईक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं प्रारम्भ की हैं, इसी तरह से प्रदेश सरकार भी युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है। राम नाईक ने कहा कि युवाओं के पास विकल्प है कि वे नौकरी करना चाहते हैं या स्वरोज़गार शुरू करके औरों को भी नौकरी देना चाहते हैं।
डॉ आरए माशेलकर ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अपना गुरू, मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि विद्यार्थी डॉ कलाम से प्रेरणा प्राप्त करें, रामेश्वरम के एक नाविक परिवार से संबंध रखने वाले डॉ कलाम ने ज्ञान के आधार पर भारत के राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया, उनकी सादगी, मानवता एवं उदार मन अपने आपमें एक आदर्श है। उन्होंने पर्वतारोही अरुणिमा सिंह और स्वपना बर्मन का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो दिव्यांगता भी सफलता के बीच बाधा नहीं बन सकती। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षित करने वाले माता-पिता बधाई के योग्य हैं, जिन्होंने आजीवन तोहफे के रूपमें अपने बच्चों को शिक्षित किया है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व में सशक्त देश बनाने की जिम्मेदारी आज की युवा पीढ़ी के कंधों पर है। डॉ आरए माशेलकर ने विद्यार्थियों को सफलता के मंत्र बताए और कहा कि अपनी आकांक्षाओं को संभव बनाएं, ऐसा करने के लिए नज़र सितारों पर हो न कि पैरों की ओर, कड़ी मेहनत का हमेशा फल मिलता है।
डॉ आरए माशेलकर ने कहा कि असंभव कहकर छोड़ देना आसान है पर जो प्रयास करते हैं, वही विजयी होते हैं। उन्होंने कहा कि हमेशा समाधान का हिस्सा बने न कि समस्याओं का और कड़ी मेहनत का कोई पर्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि मानवीय सफलता, कल्पना, मानवीय धैर्य की कोई सीमा नहीं होती है, इसलिए स्वयं को सीमित न करें। उन्होंने विद्यार्थियों को डॉ कलाम से जुड़े कई संस्मरण सुनाए। प्राविधिक शिक्षामंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि दीक्षांत समारोह उपाधि प्राप्त करने वालों के लिए एक विशिष्ट अवसर होता है, विद्यार्थी देश के लिए उत्तम संसाधन हैं, उनसे समाज को बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे डॉ कलाम के मापदंडों को अपने जीवन में उतारें। कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने स्वागत उद्बोधन के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की और कुलसचिव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव, प्राविधिक शिक्षा सचिव भुवनेश कुमार, संकायाध्यक्ष, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सदस्य, अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, महाविद्यालय के प्राचार्य, छात्र-छात्राएं एवं अभिभावक उपस्थित थे।