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Wednesday 17 October 2018 04:40:55 PM
बांदा। बांदा में साहित्यिक हस्तियों का मिलनपूर्वक उत्सव हुआ, जिसमें स्मृतियां थीं, सम्मान था और नई पीढ़ी का अनुकरणीय मार्गदर्शन था। अवसर था-बांदा में डीसीडीएफ कवि केदारनाथ अग्रवाल सभागार में बुद्धिजीवियों विशिष्ट नागरिकों युवा लेखकों की उपस्थिति में लोकोदय प्रकाशन का पुस्तक विमोचन एवं नवलेखन सम्मान समारोह। सम्मान समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक कर्ण सिंह चौहान ने की। सम्मान समारोह के मुख्य वक्ता वरिष्ठ लेखक एवं संपादक अशोक त्रिपाठी, वरिष्ठ कवि नासिर अहमद सिकंदर, इंडिया इनसाइड पत्रिका के सम्पादक अरुण सिंह और युवा आलोचक अजीत प्रियदर्शी थे। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में छत्तीसगढ़ के युवा कवि और कथाकार किशन लाल को उनके उपन्यास ‘किधर जाऊँ’ के लिए वर्ष 2015 का ‘लोकोदय नवलेखन सम्मान’ दिया गया। वरिष्ठ आलोचक कर्ण सिंह चौहान ने उन्हें स्मृति चिन्ह और प्रशस्तिपत्र प्रदानकर सम्मानित किया। नासिर अहमद सिकंदर ने उत्तरीय एवं अशोक त्रिपाठी ने उन्हें पांच हजार रुपये मूल्य की पुस्तकों का सेट भेंट किया।
कथाकार किशन लाल ने इस अवसर पर अपनी रचना प्रक्रिया पर बोलते हुए कहा कि उन्होंने इसमें अपने जीवन के उन क्षणों को लिखा है, जिनसे वे गुजरे हैं। इंडिया इनसाइड पत्रिका के सम्पादक अरुण सिंह ने कहा कि किशनलाल का ‘किधर जाऊँ’ यथार्थ का अनुभूत वर्णन है तथा व्यक्ति और समाज के बीच व्याप्त तमाम अंतर्विरोधों और उनके प्रभावों का दस्तावेज़ है। युवा कवि बृजेश नीरज ने किशन लाल का मान पत्र पढ़ा। समारोह के दूसरे सत्र में बाबू केदारनाथ अग्रवाल के प्रिय शिष्य एवं वरिष्ठ कवि जयकांत शर्मा के नवीनतम कविता संग्रह ‘घुटनों पर चलती उम्मीद की किरण’ तथा बांदा के युवा कवि रामकरण साहू के कविता संग्रह ‘गाँव का सोंधापन’ और ‘मुक्तावली’ का विमोचन किया गया। जयकांत शर्मा एवं रामकरण साहू ने अपनी कृतियों से चुनी हुई रचनाओं का पाठ किया।
जयकांत शर्मा की कविताओं पर युवा आलोचक अजीत प्रियदर्शी ने कहा कि उनकी कविताएं पीड़ा बोध की बेहद कुदरती अभिव्यक्ति हैं, जहां चुकी हुई उम्मीदों में जिजीविषा की प्रबल आग है। अहमदाबाद से आए रामशंकर मिश्र ने जयकांत शर्मा के साथ अपनी यादों को साझा किया। इतिहासकार मदन सिंह ने जयकांत शर्मा को बधाई देते हुए उनकी कविताओं के प्रकाशन को बांदा के लिए उपलब्धि बताया। जयकांत शर्मा के मित्र और केदार टीम के सक्रिय साथी शक्तिकांत ने जयकांत शर्मा की कविताओं के प्रकाशन के लिए लोकोदय प्रकाशन तथा जनवादी लेखक संघ बांदा को धन्यवाद दिया। टिल्लन रिछारिया ने इस अवसर पर कहा कि बांदा में मित्रों का ऐसा मिलन अपनी पुरानी स्मृतियों तक ले जाता है, हमें बाबू केदार का दौर याद आ रहा है। जलेस बांदा के सदस्य वरिष्ठ कवि रामौतार साहू ने कहा कि जयकांत की कविताएं भय मुक्ति की कविताएं हैं, उन्होंने संसार के सबसे बड़े भय को अपनी रचनात्मक ऊर्जा से जीता है। वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा ने कहा कि जयकांत शर्मा का कवि रूप आने वाली पीढ़ियों को प्रोत्साहित करेगा तथा बाबू केदार से चली आ रही परम्परा को नई पीढ़ी से जोड़ेगा।
मुख्य वक्ता अशोक त्रिपाठी ने कहा कि जनपद बांदा में अपने सभी मित्रों को एक साथ देखकर उस दौर का बांदा याद आ रहा है। उन्होंने कहा कि जयकांत शर्मा के बहाने आज हम सभी एक मंच पर हैं, इसके लिए आयोजक लोकोदय प्रकाशन का आभार। वरिष्ठ कवि नासिर अहमद सिकंदर ने कहा कि जयकांत शर्मा की कविताएं ‘काल से होड़’ की कविताएं हैं, वह मृत्यु से मुठभेड़ करते हैं और जीतते हैं, उनका यही भाव शमशेर और केदारनाथ अग्रवाल से उन्हें जोड़ता है। बांदा में दूसरी बार उपस्थित हुए और कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ आलोचक कर्ण सिंह चौहान ने वर्ष 1973 के प्रलेस सम्मेलन की यादों को साझा किया। उन्होंने कहा कि बांदा के स्मृति लेखक संगठनों में वैचारिक समझ, स्वायत्तता व लोकतांत्रिक मूल्यों की स्मृति है। उन्होंने कहा कि पार्टी नीति और लेखक स्वतंत्रता साथ नहीं चल सकती है, लेखक संगठन को अन्य जनसंगठनों जैसे नहीं चलाया जा सकता है, लेखक सवाल उठाता है, इसीलिए पार्टी को दिक्कत होती है।
कर्ण सिंह चौहान ने कहा कि बांदा में केदारबाबू के बाद मैंने सोचा सब कुछ समाप्त हो गया होगा, लेकिन यहां अब भी केदार हैं, उनके शब्द हैं। उन्होंने कहा कि अगर केदार बाबू आज का बांदा देख रहे होंगे तो बड़े खुश होंगे। कार्यक्रम को नागेंद्र सिंह, प्रयुक्ति संपादक मुकुंद मित्र ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में मेहमानों का स्वागत जलेस उपाध्यक्ष और ‘मुक्ति चक्र’ पत्रिका के सम्पादक गोपाल गोयल ने किया। वक्ताओं का आभार वरिष्ठ कवि और जलेस बांदा के उपाध्यक्ष जवाहर लाल जलज ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बांदा की धरती आज धन्य हुई है। गोष्ठी का संयोजन युवा कवि प्रद्युम्न कुमार सिंह का था। युवा गजलकार और जलेस उपसचिव कालीचरण सिंह, जलेस कोषाध्यक्ष एवं युवा गीतकार नारायण दास गुप्त ने मेहमानों को अंगवस्त्र पहनाया। मीडिया रिपोर्ट का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार व जलेस उपाध्यक्ष अरुण खरे ने निर्वहन किया। कार्यक्रम का संचालन जलेस बांदा के अध्यक्ष उमाशंकर सिंह परमार ने किया। अशोक त्रिपाठी, जीतू, बाबू लाल गुप्त, डीडी सोनी, आनंद सिन्हा, अर्जुन सिंह, सत्येंद्र गुप्ता, अरुण निगम, बांदा के लेखक, पत्रकार, समाज सेवी, अधिवक्ता, बाबू केदारनाथ अग्रवाल के शिष्य और शुभचिंतक समारोह में उपस्थित थे।