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Tuesday 30 October 2018 12:32:29 PM
नई दिल्ली। प्रख्यात जैन संत एवं आदिवासी जनजीवन के प्रेरक गणि राजेंद्र विजय ने कहा है कि जैन समाज सदैव मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह के मानवसेवा से जुड़े सिद्धांतों की आज ज्यादा आवश्यकता है। सांसद राजीव रंजन के आवास पर आयोजित धर्मयोग मानवसेवा यज्ञ समारोह को संबोधित करते हुए गणि राजेंद्र विजय ने मानवसेवा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। आचार्य श्रीमद विजय इंद्रदिन्न सूरीश्वरजी की 96वीं जयंती एवं आचार्य विद्याभूषण सन्मति सागरजी महाराज की 69वीं जयंती पर सुखी परिवार फाउंडेशन एवं धर्मयोग फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में निर्धन, निराश्रित एवं असहाय बीमार बंधुओं में वस्त्र और भोजन सामग्री का वितरण किया गया।
गणि राजेंद्र विजय ने सुखी परिवार फाउंडेशन द्वारा देशभर में संचालित हो रही सेवा एवं परोपकार की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने भगवान महावीर के संदेश ‘जिओ और जीने दो’ का सार बताते हुए मानव सेवा को ही सर्वोपरि बताया। इस अवसर पर डॉ योगभूषणजी महाराज ने कहा कि हमारा खान-पान, रहन-सहन सात्विक होगा तो हम अपने जीवन को सुखी, स्वस्थ, समृद्ध और शक्तिशाली बना पाएंगे। बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, शराब आदि नशे का त्याग करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी देश में यह विज्ञापन नहीं मिलता कि नशा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है या जीवन खुशहाल बनता है, इसलिए जीवन को स्वस्थ, समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए आज ही बुरे व्यसनों का त्याग करें।
जैन संतों की प्रेरणा से अनेक लोगों ने अपनी जेबों से बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू निकालकर उनके चरणों मे रख दिए और सदाचारी बनने का संकल्प किया। कार्यक्रम के संयोजक और सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक ललित गर्ग ने उन्नतशील समाज के लिए ग़रीबी को एक अभिशाप बताते हुए कहा कि संतुलित समाज निर्माण का संकल्प ग़रीबी का संबोधन मिटाकर ही हासिल किया जा सकता है। समारोह में विशम्बर दयाल बाबूजी, योगांशी धर्मयोगी, गौतम कुमार शर्मा, संजय झा, महेश साहू, कौशलेंद्रजी, अभय जैन, सरला जैन, राखी जैन, राहुल वत्स सहित जैन समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।