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Tuesday 13 November 2018 03:57:22 PM
नई दिल्ली। भारत में आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए वित्तपोषण की जरूरत पर पंद्रहवें वित्त आयोग ने दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया, जिसे 15वें वित्त आयोग, एनडीएमए, यूएनडीपी और विश्व बैंक ने संयुक्त रूपसे आयोजित किया। उद्घाटन सत्र में वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, आयोग के सदस्य, प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा, विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद कमाल, विभिन्न देशों एवं बीमा क्षेत्र के प्रतिनिधियों और सार्वजनिक वित्त के विशेषज्ञों ने भी शिरकत की।
पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने इस अवसर पर हितधारकों की बढ़ती संख्या, जटिलता के कारण जोखिम, जवाबदेही और संसाधनों की बदलती तिकड़ी को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन के बदलते आयाम पर प्रकाश डाला। उन्होंने सार्वजनिक, निजी और बहुपक्षीय संस्थानों में आपदा जोखिम प्रबंधन के वित्तपोषण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन के न्यूनीकरण पहलू पर गौर करने की जरूरत पर भी विशेष बल दिया। प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने कहा कि ‘यथास्थिति’ बनाए रखने से काम नहीं चलेगा, आपदा एवं त्वरित कदमों पर केंद्रित अवधारणा के बजाय अब न्यूनीकरण, अनुकूलन और ठोस तैयारी करने की दिशा में बदलाव की बयार बह रही है।
प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने कहा कि भारत भी ‘सेंडाई फ्रेमवर्क’ पर एक हस्ताक्षरकर्ता देश है, जिसके तहत सुदृढ़ व्यवस्था में निवेश को भी इसकी चार प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है। उन्होंने राज्यों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए त्वरित कदम उठाने की जरूरत पर विशेष बल दिया, क्योंकि आपदा सुदृढ़ता की गतिविधियों से संबंधित नवाचार करने में राज्य ही सबसे आगे रहते हैं। उन्होंने 15वें वित्त आयोग से यह पता लगाने का अनुरोध किया कि क्या राज्यों के पास उपलब्ध धनराशि पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ दोनों के ही पास धनराशि की उपलब्धता में संतुलन स्थापित करने की जरूरत है।