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Tuesday 20 November 2018 03:37:29 PM
चंडीगढ़। भारत सरकार में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग के तत्वावधान में वर्ष 2017-18 के पहले क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन उत्तर-1 एवं उत्तर-2 क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यांवयन कार्यालयों ने चंडीगढ़ में किया। दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड से आए केंद्र सरकार के कार्मिकों ने सम्मेलन में भाग लिया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य इन क्षेत्रों में केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं नगर राजभाषा कार्यांवयन समितियों के हिंदी भाषा में उत्कृष्ट करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान करना था, ताकि संघ की राजभाषा नीति के कार्यांवयन और प्रचार-प्रसार को बढ़ावा मिल सके।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल हुए। उन्होंने प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए और कहा कि हिंदी भाषा से ऐसे करोड़ों लागों की भावनाएं जुड़ी हैं, जो हिंदी में सोचते हैं, हिंदी में बोलते हैं और जिनके जीवन में हिंदी रची-बसी है। उन्होंने कहा कि हिंदी भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ भारत की भावनात्मक एकता को मजबूत करने का सशक्त जरिया भी है। उन्होंने कहा कि हमें यह सदैव स्मरण रखना होगा कि हिंदी भारत के जन-मानस की भाषा है, परंतु सभी क्षेत्रीय भाषाएं भी यहां की सभ्यता और संस्कृति की पोषक हैं। किरेन रिजिजू ने कहा कि पंजाब में बोली जानेवाली पंजाबी भाषा भी बहुत लोकप्रिय भाषा है और जन-जन से जुड़ी हुई है।
गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकारी कामकाज में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और इसका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी न केवल स्वतंत्रता के समय की प्रमुख भाषा रही थी, बल्कि स्वतंत्रता के पश्चात भी इसने देश को जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इस अवसर पर भारतीय उच्चशिक्षा संस्थान शिमला के उपाध्यक्ष डॉ चमन लाल ने कहा कि कोई भी भाषा उपयोग से विकसित होती है और हमें हिंदी भाषा का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हिंदी भाषा से परिचय और लगाव बढ़ाने की आवश्यकता है। पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह ने कहा कि सरल और अच्छी हिंदी की बात की जानी चाहिए न कि हिंदी के व्याकरण के साथ उलझना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी से जुड़े अनुवादकों, पत्रकारों, शिक्षकों के बीच तालमेल होना चाहिए।
राजभाषा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ बिपिन बिहारी की अध्यक्षता में सम्मेलन का आयोजन किया गया। संयुक्त सचिव ने राजभाषा विभाग के हिंदी के संवर्धन के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि विभाग में नए तकनीकी टूल्स जैसे कंठस्थ का मोबाइल वर्जन और मेमोरी आधारित अनुवाद टूल का भी विकास करवाया गया है। उन्होंने सभी कार्यालयों, बैंकों, उपक्रमों, बोर्डों इत्यादि को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें मूल कार्य हिंदी में करना चाहिए तथा हिंदी कार्यांवयन को आगे बढ़ाना चाहिए। सम्मेलन में राजभाषा विभाग के निदेशक संदीप आर्य ने राजभाषा कार्यांवयन की स्थिति पर प्रकाश डाला।