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Thursday 29 November 2018 03:02:35 PM
पणजी। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह का 28 नवम्बर को गोवा के तेलीगांव में श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में शानदार समापन हुआ, जिसमें केंद्रीय पर्यटन मंत्री केजे एल्फोंस, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, आयुष राज्यमंत्री श्रीपद नाइक, गोवा के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री विजय सरदेसाई, सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव अमित खरे, फिल्म अभिनेता अनिल कपूर, रकूल प्रीत, चित्रांगदा सिंह, डायना पेंटी, कीर्ति सुरेश, आईएफएफआई 2018 के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार विजेता डेन वोलमेन, सांसद मनोज तिवारी, अनिल कपूर, अरबाज खान, भारतीय पेनोरामा ज्यूरी के प्रमुख राहुल रवैल, ओमप्रकाश मेहरा, कबीर बेदी और राजनीतिक एवं सिनेमा से जुड़ी अनेक हस्तियां शामिल हुईं। फिल्म महोत्सव में इन 9 दिनों में 67 देशों की 220 से अधिक फिल्में दिखाई गईं। फिल्म महोत्सव की शुरूआत अंग्रेजी फिल्म द एस्पर्न पेपर्स के वर्ल्ड प्रीमियर के साथ हुई, जर्मन फिल्म शिल्ड लिप्स के वर्ल्ड प्रीमियर के साथ समारोह का भव्य समापन हुआ।
हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, लेखक, पटकथा लेखक और संवाद लेखक सलीम खान को सिनेमा में उनके जीवनपर्यंत योगदान के लिए आईएफएफआई-2018 विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत दिग्गज फिल्म निर्माता को सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए 10 लाख रुपये की नकद पुरस्कार राशि, प्रमाणपत्र, शॉल और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान उनके पुत्र अरबाज खान ने प्राप्त किया। सलीम खान ने 70 के दशक में भारतीय सिनेमा में एक क्रांति लाई थी। उन्होंने बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर स्वरूप को नई दिशा दी थी। उन्होंने मसाला फिल्म और डाकू प्रधान फिल्मों जैसी नई विधाएं विकसित कीं। भारतीय पेनोरामा वर्ग में 26 फीचर फिल्में और 21 गैर-फीचर फिल्में दिखाई गईं। हालांकि इस वर्ष केंद्र बिंदु में इजराइल, झारखंड प्रमुख राज्य था। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य को आईएफएफआई के केंद्र बिन्दु में रखा गया। प्रमुख इजराइली फिल्म निर्माता डेन वोलमेन को उद्घाटन समारोह में लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया। इस वर्ष आईएफएफआई के एक अन्य नए वर्ग में खेलों इंडिया पहल के विस्तार के रूपमें छह भारतीयों के जीवन पर आधारित फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
सर्गेई लोज़नित्सा की निर्देशित फिल्म डोनबास ने 49वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर पुरस्कार जीता है। स्वर्ण मयूर पुरस्कार में 40 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, ट्रॉफी और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है। पुरस्कार राशि निर्माता और निदेशक में बराबर-बराबर बांटी जाती है। डोनबास फिल्म पूर्वी यूक्रेन के एक क्षेत्र में हुए युद्ध की कहानी है, जिसमें अलगाववादी गिरोहों को बड़े पैमाने पर हत्याओं और लूटपाट के साथ-साथ सशस्त्र संघर्ष को दर्शाया गया है। डोनबास के माध्यम से उत्सुक रोमांचों की श्रृंखला को दर्शाया गया है। यह फिल्म एक क्षेत्र या राजनीतिक व्यवस्था की कहानी नहीं है, बल्कि ऐसे विश्व की कहानी है, जो सच्चाई के बाद नकली पहचान की दुनिया में खो गई है। डोनबास सर्वेश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए यूक्रेन द्वारा आधिकारिक रूपसे भेजी गई फिल्म है। केन्स फिल्म महोत्सव 2018 में इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ निदेशक के लिए ‘यूएन सर्टेन रिगार्ड’ जीता है। लिजो जोस पेलिसरी को ई.मा.यू. के लिए सर्वश्रेष्ठ निदेशक पुरस्कार प्रदान किया गया।
लिजो जोस पेलिसरी ने अपनी 2018 की फिल्म 'ई.मा.यू' के लिए सर्वश्रेष्ठ निदेशक का पुरस्कार जीता है। यह फिल्म मृत्यु पर एक आश्चर्यजनक व्यंग्य है और यह मानव जीवन को किस तरह प्रभावित करती है, इस फिल्म में दर्शाया गया है। केरल के एक तटीय चेलानम गांव की कहानी पर आधारित ये फिल्म एक ऐसे बेटे की दुर्दशा को दर्शाती है, जो अपने पिता का अच्छे से अंतिम संस्कार करने की कोशिश करता है, उसके रास्ते में अप्रत्याशित रूपसे अनेक बाधा और विभिन्न वर्गों से प्रतिक्रियाएं आती हैं। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ निदेशक के लिए रजत मयूर और 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया है। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार चेम्बन विनोद को 'ईशी' की ई.मा.यू. में की गई भूमिका के लिए दिया गया है। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार लारियासा फिल्म में की गई भूमिका के लिए अनास्ताशिया पस्तोविट को प्रदान किया। उन्होंने युक्रेनियन फिल्म 'वैन दा ट्री फॉल' में एक किशोर लड़की की भूमिका के लिए प्रदान किया गया है। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री को रजत मयूर ट्रॉफी 10-10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। मिल्को लाज़रोव की फिल्म 'आगा' को विशेष जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह फिल्म यकुटिया के एक बुजुर्ग दंपत्ति सेडना और नानूक की कहानी पर केंद्रित है, जिन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विशेष जूरी पुरस्कार में 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, रजत मयूर और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है।
फिलीपींस के अल्बर्तो मॉन्तेरास II को उनकी पहली फिल्म ‘रेस्पेतो’ के लिए बेहतरीन फीचर फिल्म निर्देशक का पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रवीण मोरछाले द्वारा निर्देशित ‘वॉकिंग विद दी विंड’ ने आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक जीता, जिसे इंटरनेशनल काउंसिल फॉर फिल्म, टेलीविजन एंड ऑडियो-विजुअल कम्यूनिकेशन, पेरिस और यूनेस्को ने शुरू किया है। गांधी पदक के मानकों के जरिए पुरुषों और महिलाओं में शांति स्थापना के लिए यूनेस्को का बुनियादी अधिकार प्रदर्शित होता है, खासतौर से मानव अधिकार, अंतर-सांस्कृतिक संवाद और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की विविधता तथा संवर्धन के बारे में। ‘वॉकिंग विद दी विंड’ में हिमालय के इलाके के एक 10 वर्षीय बालक की कहानी है, जो गलती से अपने दोस्त के स्कूल की कुर्सी तोड़ देता है। पहाड़ी इलाके में स्कूल जाने के लिए वह 7 किलोमीटर का सफर रोज तय करता है। जब वह अपने गांव में कुर्सी लाने का फैसला करता है तो यह सफर उसके लिए भारी मुसीबत और चुनौती बन जाता है। बियेट्रिज सीगनर की निर्देशित स्पेनी फिल्म ‘लॉस साइलेंसियोस’ का आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक वर्ग के तहत विशेष उल्लेख किया गया।