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Thursday 13 December 2018 03:15:49 PM
मुंबई। भारतीय नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने गहरे समुद्र में पहली पनडुब्बी बचाव प्रणाली को मुंबई की नौसेना गोदी में औपचारिक रूपसे शामिल किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ पश्चिमी नौसेना कमान वाइस एडमिरल गिरिश लूथरा, पूर्व सीएनएस और मूल उपकरण निर्माता मेसर्स जेम्स फिशर एंड सन्स प्राइवेट लिमिटेड और ब्रिटेन के वरिष्ठ प्रबंधक मौजूद थे। एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि भारतीय नौसेना के लिए गहरे समुद्र में चलने वाली पनडुब्बी के बचाव की क्षमता हासिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि नौसेना की गहरे समुद्र में पनडुब्बी की बचाव प्रणाली को विश्वभर में वर्तमान में संचालित अत्याधुनिक प्रणालियों में से एक माना जा रहा है और यह किसी भी खराब पनडुब्बी को 650 मीटर गहरे समुद्र में बचा सकती है।
भारतीय नौसेना सिन्धुघोष, शिशुकुमार, कलवाड़ी वर्गों की पनडुब्बियों के साथ-साथ परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों का संचालन करती है। पनडुब्बियों के संचालन माध्यम और उसकी प्रकृति उन्हें उच्च जोखिम लेने योग्य बनाती हैं, ऐसी स्थिति में खराब पनडुब्बी के लिए समुद्र में तलाशी और बचाव के परम्परागत तरीके निष्प्रभावी हो जाते हैं, इस खाई को पाटने के लिए नौसेना ने तीसरी पीढ़ी की आधुनिक पनडुब्बी बचाव प्रणाली प्राप्त की है। भारतीय नौसेना विश्व नौसेना के ऐसे खास देशों के समूह में शामिल हो गई है, जो ऐसे विशिष्ट उपकरणों को संचालित करते हैं, जिनके पास खराब पनडुब्बी से चालक दल की तलाश करने, उसका पता लगाने और बचाव की उत्तम क्षमता है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। भारतीय नौसेना इस नई क्षमता का संचालन और तैनाती नौसेना की नवगठित पनडुब्बी बचाव इकाई (पश्चिम) के चालक दल द्वारा मुंबई में अपने केंद्र से करेगी।