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देश में ई-अदालतों की महत्‍वाकांक्षी परियोजना

अदालत और पुलिस के बीच आंकड़ों का सीधा आदान-प्रदान

न्‍यायमूर्ति मदन लोकुर ने तेलंगाना राज्‍य में की शुरूआत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 20 December 2018 03:18:04 PM

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हैदराबाद। अंत: प्रचालनीय अपराधिक न्‍याय प्रणाली के अध्‍यक्ष और ई-समिति उच्‍चतम न्‍यायालय के प्रभारी न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने कॉंफ्रेंसिंग के जरिए तेलंगाना राज्‍य के वारंगल जिले में अदालतों और पुलिस के बीच आंकड़ों के सीधे इलेक्‍ट्रॉनिक आदान-प्रदान की शुरूआत की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि ई-अदालतें अपराधिक न्‍याय प्रदान करने वाली प्रणाली के अन्‍य स्‍तंभों के साथ अंत: प्रचालनीय हो गई हैं। उन्होंने कहा कि यह एक महत्‍वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्‍य अपराधियों पर नज़र रखने के नेटवर्क और प्रणालियों को विभिन्‍न चरणों में ई-अदालतों और ई-जेल डेटाबेस के साथ-साथ अपराधिक न्‍याय प्रणाली के अन्‍य स्‍तंभों जैसे फोरेंसिक, अभियोजन और किशोर न्‍याय गृहों से जोड़ना है।
न्‍यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने कहा कि देशभर की जिला और अधीनस्‍थ अदालतों का कम्‍प्‍यूटरीकरण करते हुए ई-अदालत परियोजना ने कार्यांवयन के अंतिम चरण तक पहुंचकर मिशन मोड परियोजना के सभी उद्देश्‍यों को हासिल कर लिया है। उन्होंने बताया कि ई-अदालतों में अब आईटीसी सक्षम 16,755 जिले और अधीनस्‍थ अदालतें हैं, राष्‍ट्रीय न्‍यायिक डेटा ग्रिड सभी साझेदारों को मामलों की ऑनलाइन जानकारी प्रदान करता है और वेब, ई-मेल, एसएमएस, मोबाईल एप्‍लीकेशन, बूथों और न्‍यायिक सेवा केंद्रों के जरिए नागरिकों के अनुकूल अदालत से संबंधित जानकारी की सेवाएं अब हकीकत बन चुकी हैं। सचिव (न्‍याय) डॉ आलोक श्रीवास्‍तव ने दो स्‍तंभों को जोड़ने के लिए ई-समिति, नेशनल इंफोर्मेटिक्‍स सेंटर और तेलंगाना के पुलिस विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा कि अपराधिक न्‍याय प्रदान करने की प्रणाली के इन दो महत्‍वपूर्ण स्‍तंभों यानी अदालतों और पुलिस स्‍टेशनों के बीच जुड़ाव अंत: प्रचालनीय आपराधिक न्‍याय प्रणाली की सफलता का केंद्र है। उन्होंने कहा कि वारंगल में इस सफलता के साथ तेलंगाना के अन्‍य सभी जिलों और राज्‍यों में भी न्‍यायिक व्‍यवस्‍था और पुलिस में सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के इस्‍तेमाल और दोनों स्‍तंभों को जोड़ने की संभावना बढ़ गई है।
डॉ आलोक श्रीवास्‍तव ने कहा कि अब अदालतें पुलिस से सीधे एफआईआर और चार्जशीट के आंकड़े प्राप्‍त कर सकती हैं, यदि पुलिस की प्रणाली में इलेक्‍ट्रॉनिक रूपमें एफआईआर तैयार है, आईसीजेएस इंटरफेस अदालत को उपयोग में लाए जा सकने वाले एफआईआर आंकड़ों के तैयार होने के बारे में संकेत देगा, इसके बाद अदालत को एफआईआर संख्‍या, आरोपी के नाम, अपराध का विवरण, समय, तारीख, घटना के स्‍थान, गिरफ्तारी आदि का विवरण मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि अदालतें पुलिस से प्राप्‍त इलेक्‍ट्रॉनिक आंकड़ों को उपयोग में ला सकेंगी बदले में अदालतें रिमांड का पूर्ण विवरण, जामनत का विवरण, सम्‍पत्ति छोड़ने आदि की जानकारी पुलिस को देंगी। पुलिस प्रत्‍येक एफआईआर के अपडेट और रिमांड, बेल, अथवा सम्‍पत्ति छोड़ने के बारे में अदालत के पारित आदेशों को देख सकेंगी।
इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍वरूप में पुलिस के पास चार्जशीट तैयार हो जाने पर, इसे आईसीजीएस, इंटरफेस के जरिए अधिसूचित किया जाएगा और अदालतें चार्जशीट आंकड़ों को उपयोग में ला सकेंगी। इन विवरणों के अलावा कानून, अनुच्‍छेद, गिरफ्तारी की तारीख़, बेल पर अथवा जेल में, अपराध के अन्‍य विवरणों, चार्जशीट संख्‍या, एफआईआर संख्‍या अदालत को भेजा जाएगा। अदालत इन आंकड़ों को प्रयोग में लाकर मामला सूचना प्रणाली में स्‍वीकार कर सकती है, बदले में अदालत पुलिस को सीएनआर संख्‍या संपर्क भेजेगी, सीएनआर संख्‍या मामला, पक्षों, वकीलों, पंजीकरण की तारीख़, पहली सुनवाई और सुनवाई की अगली तारीख़ तथा मामले के सम्‍पूर्ण इतिहास और बिजनेस का विवरण देगी। मामला पूरी तरह समाप्‍त हो जाने तक सीएनआर संख्‍या संपर्क की मदद से पुलिस को प्रतिदिन मामले के सम्‍पूर्ण विवरण के साथ अपडेट मिलते रहेंगे। पुलिस को समय-समय पर अदालत के अंतिम आदेश एवं फैसले सहित आदेश और फैसले मिलते रहेंगे।

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