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हमारा उद्देश्य समावेशी व सतत विकास-नायडू

'भारत के युवा नवोन्मेषी बुद्धिमान और प्रतिभा सम्पन्न हैं'

आंध्र लोयोला कॉलेज के संस्थापक की जन्म शताब्दी

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Monday 7 January 2019 02:06:57 PM

venkaiah naidu addressing the gathering at the birth centenary celebrations of fr. theo mathias sj

विजयवाड़ा। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत का उद्देश्य समावेशी और सतत विकास है और इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए देश के युवाओं को एकजुट होना होगा, जो नवोन्मेषी, बुद्धिमान और प्रतिभा सम्पन्न हैं। उन्होंने कहा कि देश के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए युवाओं को संस्कृति के संरक्षण और प्रकृति की रक्षा करने का प्रयत्न करना होगा। उपराष्ट्रपति ने ये विचार आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के आंध्र लोयोला कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य फादर थेओ माथियास एसजे के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उपराष्ट्रपति ने फादर माथियास के मिशनरी उत्साह और अथक परिश्रम की सराहना की, जिसके कारण आंध्र लोयोला कॉलेज अस्तित्व में आया। उन्होंने कहा कि फादर माथियास ने अपनी दृष्टि और प्रतिबद्धता की गहराई से तेलुगु लोगों के दिल और दिमाग पर विजय प्राप्त की थी।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि महान संस्थाएं केवल नियमों पर नहीं, बल्कि रीति-रिवाजों, परंपराओं और प्रथाओं पर भी चलती हैं। उन्होंने फादर मथियास के समय की पाबंदी, अनुशासन, सम्मान और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए प्रशंसा व्यक्त की, जो आजतक इस महान संस्थान में फलता-फूलता रहा है। वेंकैया नायडू ने धन की कमी, योग्य शिक्षकों का अभाव, बुनियादी ढांचे की कमी, गुणवत्ता और क्षमता से संबंधित मुद्दों जैसी उच्चशिक्षा से जुड़ी चुनौतियों की चर्चा की और कहा कि भारत में शैक्षिक ढांचे को मजबूत करने के लिए शिक्षा के अधिकार कानून के कार्यांवयन के बाद भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वेंकैया नायडू ने युवाओं से जातिगत भेदभाव, हिंसा, कट्टरता और पूर्वाग्रह जैसी घृणित सामाजिक बुराइयों से मुक्त होने तथानए और प्रगतिशील मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने इस बात की पुष्टि करते हुए कि भारत हमेशा से धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता, स्वीकृति और शांति के मूल्यों के साथ जुड़ा रहा है, युवाओं को प्रेरित किया कि वे हमेशा देश के कालातीत संवैधानिक मूल्यों के प्रति हमेशा अपनी निष्ठा बनाए रखें। उन्होंने कहा कि अपने संवैधानिक मूल्यों, मनुष्यों, राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए हमारी प्रतिबद्धता ही सच्चे राष्ट्रवाद और देशभक्ति का सार है। वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने एवं हर भारतीय में अंतर्निहित रूपसे विद्यमान प्रतिभा, कौशल और शिल्प कौशल को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम एक बहुत ही जटिल दुनिया में रहते हैं, जहां झूंठ सच के साथ आसानी से घुल-मिल जाता है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि बदलता मीडिया परिदृश्य और नए सोशल मीडिया का समावेश सभी को सही निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए 'सही जवाब खोजना' अधिक चुनौतीपूर्ण बना रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में ज्ञान कौशल और क्षमता के अलावा युवाओं के पास एक मजबूत नैतिक दिशा सूचक यंत्र होना चाहिए, जो उन्हें नई दुनिया के इन नैतिक दुविधाओं के समाधान में मार्गदर्शन करेगा एवं उन्हें उनके कैरियर तथा व्यक्तिगत जीवन में आनेवाली समस्याओं से निपटने में मदद करेगा। उन्होंने शैक्षिक संस्थानों में नैतिक विज्ञान को एक अनिवार्य विषय बनाने और युवाओं में पर्यावरणीय निर्वहनीयता को लेकर जागरुकता पैदा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

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