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सिनेमेटोग्राफ संशोधन बिल पर सुझाव दें!

फिल्मों की चोरी व इंटरनेट पर प्रदर्शन के‌लिए कड़ा दंड

फिल्म उद्योग और सरकार दोनों को ही आर्थिक हानि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 9 January 2019 04:21:04 PM

suggest cinematograph amendment bill

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय फिल्म पायरेसी विशेषकर पायरेसी वाली फिल्म का इंटरनेट पर प्रदर्शन रोकने के लिए सिनेमेटोग्राफ अधिनियम (संशोधन) 1952 में सक्षम प्रावधान जोड़ना चाहता है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि फिल्मों की पायरेसी यानी चोरी और इंटरनेट पर इसके प्रदर्शन से फिल्म उद्योग और सरकार को आर्थिक हानि होती है। सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952 की धारा 7 में फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन के प्रमाणन के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर कड़े दंड का प्रावधान है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952 की धारा 7 में उपधारा 4 को जोड़ना चाहता है।
सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952 की उपधारा 4 में कई मुख्य बातों को शामिल किया गया है, जैसे कॉपीराइट अधिनियम 1957 के प्रावधान समेत कोई अन्य कानून जो लागू हैं, के बावजूद यदि कोई व्यक्ति किसी ऑडियो विजुअल का प्रदर्शन करता है, जहां सिनेमेटोग्राफ फिल्मों के प्रदर्शन की सुविधा हो या कॉपीराइट अधिकार वाले व्यक्ति की अनुमति के बिना ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग करता है या किसी सिनेमेटोग्राफ फिल्म, विजुअल रिकॉर्डिंग या ध्वनि रिकॉर्डिंग या इसके किसी हिस्से की प्रतिलिपि बनाता है या बनाने का प्रयास करता है तो उसे अधिकतम 3 वर्ष के कारावास की सजा हो सकती है एवं उसपर अधिकतम 10 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है या उसे दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट के अधिनियम व नियम खंड में सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952 का अवलोकन किया जा सकता है। सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952 बिल के मसौदे पर 14 जनवरी 2019 तक प्रतिक्रिया या सुझाव दिए जा सकते हैं। प्रतिक्रिया या सुझाव ई-मेल पते jsfilms.inb@nic.in पर भेजे जा सकते हैं। इसके अलावा डाक के माध्यम से भी प्रतिक्रिया या सुझाव सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (फिल्म) कमरा संख्या 545, ए विंग शास्त्रीभवन डॉ राजेंद्र प्रसाद रोड नई दिल्ली-110001 पते पर भेजे जा सकते हैं।

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