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Friday 11 January 2019 04:42:32 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली में जीएसटी परिषद की 32वीं बैठक में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम यानी छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा है कि वस्तुओं से जुड़ी कंपोजीशन स्कीम से लाभ उठाने के लिए पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में वास्तविक टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये की जाएगी और विशेष श्रेणी वाले राज्य अपने यहां कंपोजीशन सीमा के बारे में एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि कंपोजीशन स्कीम के तहत अनुपालन को सरल बनाया जाएगा, अबसे एक वार्षिक रिटर्न ही दाखिल करने की जरूरत होगी, लेकिन करों का भुगतान आगे भी तिमाही आधार पर ही होगा।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वस्तुओं के आपूर्तिकर्ताओं के लिए जीएसटी के पंजीकरण और भुगतान से छूट के लिए 40 लाख रुपये और 20 लाख रुपये की दो आरंभिक सीमाएं होंगी, राज्यों के पास एक सप्ताह के भीतर इनमें से किसी एक सीमा के बारे में निर्णय लेने का विकल्प होगा, जबकि सेवा प्रदाताओं के लिए पंजीकरण हेतु आरंभिक सीमा आगे भी 20 लाख रुपये ही बनी रहेगी और विशेष श्रेणी वाले राज्यों के मामले में यह आरंभिक सीमा 10 लाख रुपये रहेगी। उन्होंने कहा कि 6 प्रतिशत की टैक्स दर के साथ सेवाओं के उन आपूर्तिकर्ताओं के लिए एक कंपोजीशन स्कीम उपलब्ध कराई जाएगी, जिनका वार्षिक कारोबार पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपये तक होगा। उन्होंने कहा कि यह योजना ऐसे सेवा प्रदाताओं और वस्तुओं एवं सेवाओं के ऐसे आपूर्तिकर्ताओं के लिए मान्य होगी, जो वर्तमान में उपलब्ध वस्तुओं से जुड़ी कंपोजीशन स्कीम के लिए पात्र नहीं हैं। इन्हें करों के तिमाही भुगतान के साथ एक वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा।
वित्तमंत्री ने कहा कि ये निर्णय 1 अप्रैल 2019 से लागू हो जाएंगे और छोटे करदाताओं को जीएसटीएन द्वारा नि:शुल्क एकाउंटिंग एवं बिलिंग सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा। अरुण जेटली ने यह भी जानकारी दी कि अचल संपत्ति यानी रियल एस्टेट सेक्टर के आवासीय खंड को बढ़ावा देने हेतु एक कंपोजीशन स्कीम पेश करने के प्रस्ताव पर गौर करने के लिए सात सदस्यीय मंत्री समूह गठित किया जाएगा। लॉटरियों से जुड़ी जीएसटी दरों की संरचना पर गौर करने के लिए एक मंत्री समूह गठित किया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि जीएसटी परिषद ने केरल राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर उपकर (सेस) लगाने को मंजूरी दे दी है, जिसकी दर 1 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी और जिसकी अवधि 2 साल से अधिक नहीं होगी।