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Tuesday 15 January 2019 04:41:24 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार में आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप एस पुरी ने दिल्ली में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलोजी चैलेंज-इंडिया का शुभारंभ करते हुए कहा है कि बेहतरीन आवासों के निर्माण के लिए नई उभरती आपदाओं से उबरने में सक्षम पर्यावरण अनुकूल किफायती एवं त्वरित निर्माण प्रौद्योगिकियों की तलाश करने की जरूरत है। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत बड़े पैमाने पर निर्माण को दुनियाभर में उपलब्ध बेहतरीन निर्माण प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने के एक अवसर के रूपमें इस्तेमाल करते हुए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि जीएचटीसी-इंडिया का उद्देश्य एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से वैश्विक स्तरपर उपलब्ध नवोन्मेषी निर्माण प्रौद्योगिकियां प्राप्त करना है। हरदीप पुरी ने कहा कि यह कार्यक्रम सतत तरीके से कम लागत और अच्छी गुणवत्ता वाले निर्माण सहित अल्पावधि में रहने को तैयार आवास उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयासरत है और यह भारत में अनुसंधान एवं विकास की भावी प्रौद्योगिकियों को भी बढ़ावा देना चाहता है।
आवास राज्यमंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में परिवर्तन संसाधनों और पर्यावरण के अनुकूल पद्धतियों के सर्वोत्तम इस्तेमाल के साथ न्यूनतम समय और लागत में बड़े पैमाने पर आवास निर्माण की चुनौतियों से निपटने में भी सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि जीएचटीसी-इंडिया की संकल्पना देश में निर्माण क्षेत्र में आवश्यक महत्वपूर्ण बदलावों को समर्थ बनाने के लिए की गई है। जीएचटीसी-इंडिया चैलेंज के तीन संघटक हैं ग्रेंड एक्स्पो कम कॉन्फ्रेंस का संचालन करना, दुनियाभर की प्रमाणित प्रदर्शनीय प्रौद्योगिकियों की पहचान करना और चुनिंदा आईआईटी में इंक्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना और आशा इंडिया कार्यक्रम के जरिए सम्भावित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देना। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि भवन निर्माण उद्योग में शामिल सभी हितधारकों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, डेवलेपर्स और तकनीकी संस्थान चैलेंज में शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा कि आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय वर्ष 2022 तक सभी पात्र लाभार्थियों को हर मौसम के अनुकूल पक्के मकान उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी मिशन का कार्यांवयन कर रहा है।
केंद्रीय आवास मंत्रालय में सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि वर्ष 2022 तक लगभग एक करोड़ मकानों का निर्माण करने की विधिमान्य मांग के विपरीत आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने अबतक लगभग 70 लाख मकानों को मंजूरी दी है, जिनमें से लगभग 37 लाख स्थापित हो चुके हैं और लगभग 15 लाख मकानों का निर्माण पूरा करके लाभार्थियों को उनका आवंटन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुदृढ़ प्रकिया सुनिश्चित करने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने किफायती मकानों के निर्माण के लिए नवोन्मेषी और वैकल्पिक निर्माण प्रौद्योगिकियों को धीमे और सीमित रूपसे अपनाने के व्यापक कारणों की पहचान करने के लिए राज्य/ संघशासित प्रदेशों की सरकारों, आईआईटी, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श का आयोजन किया है। दुर्गाशंकर मिश्र ने बताया कि यह हस्तांतरण संयुक्तराष्ट्र के निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, नए शहरी एजेंडे और पेरिस जलवायु समझौते की दिशा में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक, नवोन्मेषी और फास्ट ट्रेक प्रौद्योगिकियों का लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, निर्माण में तेजी लाना, औद्योगिक तथा निर्माण संबंधी अपशिष्ट का उपयोग, वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी, जल का सर्वोत्तम इस्तेमाल, बढ़ती श्रम उत्पादकता, लागत में कटौती, सुरक्षित और आपदा से उबरने में सक्षम मकान और सभी प्रकार के मौसम के अनुकूल आदि है।
सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि इस तरह का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण राष्ट्र को विश्व की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं तथा निर्माण क्षेत्र में उनके सटीक मानदंडों के बराबर लाएगा। दुर्गाशंकर मिश्र ने बताया कि हितधारकों को प्रतिनिधि के तौरपर भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, जिनमें अकादमिक, तकनीकी संस्थानों के छात्र, प्रौद्योगिकीविद, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, अनुसंधान एवं विकास संस्थान, आवास बोर्ड और राज्य लोकनिर्माण विभाग, सरकारी एजेंसियां, डेवलेपर्स, उद्यमी आदि शामिल हैं। कार्यक्रम में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं मिशन निदेशक अमृत अभिजात, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और निर्माण उद्योग के विविध हितधारक मौजूद थे।