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Friday 18 January 2019 01:16:35 PM
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भारत में जिंक कार्बनड्राई सेल बैटरियों की कीमतें तय करने के लिए गुटबंदी करने के मद्देनज़र पैनासोनिक एनर्जी इंडिया कंपनी लिमिटेड और गोदरेज एंड बॉयस मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड पर जुर्माना लगाते हुए अंतिम ऑर्डर जारी किया है। सीसीआई ने पैनासोनिक के संदर्भ में प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 की धारा 46 के प्रावधानों का उपयोगकर जुर्माने में 100 प्रतिशत कमी करने को मंजूरी दी है, इसके साथ ही भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग कम जुर्माना नियमन 2009 को भी ध्यान में रखा है। सीसीआई ने इस अधिनियम की धारा 19 के प्रावधानों के तहत स्वयं इस मामले पर संज्ञान लिया था। अधिनियम की धारा 46 के तहत पैनासोनिक के खुलासे के आधार पर ऐसा किया गया। इसके साथ कम जुर्माने वाले नियमन को भी ध्यान में रखा।
सीसीआई को इस मामले में एकत्रित साक्ष्य के आधार पर ड्राई सेल बैटरियों की संस्थागत बिक्री के बाज़ार में पैनासोनिक और गोदरेज के बीच द्विपक्षीय सहायक गुटबंदी के बारे में जानकारी मिली थी, जिन साक्ष्यों में बैटरियों की आपूर्ति के लिए पैनासोनिक और गोदरेज के बीच हुए लिखित समझौते में प्रतिस्पर्धा रोधी अनुच्छेद और इन दोनों कंपनियों के महत्वपूर्ण प्रबंधकीय अधिकारियों के बीच ईमेल के जरिए हुए संवाद भी शामिल हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर सीसीआई ने यह पाया कि पैनासोनिक और गोदरेज अधिनियम की धारा 3 (3) ए के प्रावधानों का उल्लंघन कर कीमतों को लेकर आपसी सहमति के प्रतिस्पर्धा रोधी आचरण में संलग्न रही हैं और यह 13 जनवरी 2012 से लेकर 30 नवंबर 2014 तक जारी रहा। उल्लेखनीय है कि 13 जनवरी 2012 को पैनासोनिक एवं गोदरेज में एक लिखित समझौता हुआ था और 30 नवंबर 2014 को गोदरेज ने इस समझौते को रद्द कर दिया था।
सभी प्रासंगिक कारकों या तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पैनासोनिक पर जुर्माना जनवरी 2012 से लेकर नवंबर 2014 तक हर वर्ष उसके मुनाफे के डेढ़ गुने की दर से लगाया गया है और यह धनराशि कुल मिलाकर 31.76 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसी तरह गोदरेज पर जुर्माना जनवरी 2012 से लेकर नवंबर 2014 तक प्रत्येक वर्ष उसके कारोबार के 4 प्रतिशत की दर से लगाया गया है। यह धनराशि कुल मिलाकर 85 लाख रुपये आंकी गई। पैनासोनिक के मामले में प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 की धारा 46 के प्रावधानों के तहत जुर्माना या पेनाल्टी में शत-प्रतिशत कमी करने को मंजूरी दी गई है, इसके साथ ही कम जुर्माने वाले विनियमनों को भी ध्यान में रखा गया है।