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प्‍लास्टिक के अंधाधुंध इस्‍तेमाल से खतरा-नायडू

'प्‍लास्टिक के इस्‍तेमाल एवं री-साइकिल पर जागरुकता जरूरी'

चेन्‍नई में सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक की स्वर्ण जयंती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 24 January 2019 05:21:38 PM

centrail institute of plastic engineering and technology

चेन्‍नई। उपराष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि प्‍लास्टिक को जिम्‍मेदारी और समझदारी से इस्‍तेमाल करना चाहिए तथा इस्‍तेमाल के बाद उसे उचित तरीके से री-साइकिल किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने ये बातें आज चेन्‍नई में सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। यह संस्‍थान प्‍लास्टिक और सहयोगी उद्योगों के विकास का काम करता है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि एक तरफ बेहतर भौतिक सुविधाओं के जरिए जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास हो रहा है तो दूसरी तरफ प्‍लास्टिक के अंधाधुंध इस्‍तेमाल से खतरा पैदा हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि प्लास्टिक को री-साइकिल करने और प्लास्टिक उत्पादों के दोबारा इस्तेमाल के विषय के बारे में लोगों में जागरुकता और शिक्षा जरूरी है।
उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू ने पर्यावरण का उल्‍लेख करते हुए कहा कि प्‍लास्टिक उत्‍पादों के टिकाऊपन और लम्‍बे समय तक उसके कायम रहने से पर्यावरण को गंभीर खतरा है। उन्‍होंने कहा कि एक बार इस्‍तेमाल की जाने वाली प्‍लास्टिक सामग्री को लैंडफिल के लिए लगातार इस्‍तेमाल किया जाता है। उन्‍होंने कहा कि फालतू प्‍लास्टिक का ढेर हर जगह नज़र आता है, जिसके मद्देनज़र यह आवश्‍यक है कि हम प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल जिम्‍मेदारी से करें और उसे सही तरीके से री-साइकिल करें। उपराष्‍ट्रपति ने सिपेट को बधाई दी कि उसने 50 वर्ष के दौरान हजारों मशीन ऑपरेटरों, तकनीशियनों और पॉलिमर इंजीनिय‍रों को प्रशिक्षण दिया है। उन्‍होंने कहा कि प्लास्टिक और प्लास्टिक आधारित उत्पाद विश्व अर्थव्यवस्था के अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग हैं, इसका कारण यह है कि प्‍लास्टिक कम वजन वाला, टिकाऊ और बहुपयोगी होता है। उन्होंने कहा कि एयरोनॉटिक्‍स, चिकित्‍सा विज्ञान और 3-डी प्रिंटिंग जैसे तमाम महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में प्‍लास्टिक की बहुत उपयोगिता है और इसने दैनिक जीवन को बदल दिया है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के इतिहास में प्‍लास्टिक उद्योग ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि भारत का प्‍लास्टिक निर्यात 2018-19 में 8 अरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच जाएगा, देश के प्‍लास्टिक उद्योग में क्षमता, संरचना और कुशल श्रमशक्ति के मद्देनज़र अपार क्षमता मौजूद है। उपराष्‍ट्रपति ने सिपेट से कहा कि वह निर्यात वृद्धि के लिए स्‍वदेशी प्रौद्योगिकियों और नवाचार के विकास पर ध्यान दे। उन्‍होंने सिपेट को सुझाव दिया कि प्लास्टिक को री-साइकिल करने और प्लास्टिक उत्पादों के दोबारा इस्तेमाल के विषय के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करने और उन्‍हें शिक्षित करने के लिए आवश्‍यक कदम उठाए। इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, तमिलनाडु के मछलीपालन एवं कार्मिक तथा प्रशासनिक सुधार मंत्री डी जयकुमार, सांसद जे जयवर्धन और विशिष्‍टजन उपस्थित थे।

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