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रेशम के वैश्विक व्यापार को बढ़ावा

दिल्ली में सर्जिंग सिल्क पर हुआ वृहद कार्यक्रम

महिला रीलरों को बुनियाद रीलिंग मशीनें वितरित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 11 February 2019 01:19:21 PM

founded reeling machines were distributed to female reelers

नई दिल्ली। भारत सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वस्त्रमंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने कपड़ा मंत्रालय एवं केंद्रीय रेशम बोर्ड के दिल्ली में आयोजित समारोह में जनजातीय क्षेत्रों की महिला रीलरों को बुनियाद तसर सिल्क रीलिंग मशीनें वितरित कीं। स्मृति ईरानी ने इस अवसर पर कहा कि मशीन का वितरण जांघों पर रीलिंग की पुरानी परंपरा के उन्मूलन का हिस्सा है और तसर रेशम क्षेत्र में ग़रीब ग्रामीण और आदिवासी महिला रीलरों की सही कमाई सुनिश्चित करना इसका लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के चंपा के एक उद्यमी के सहयोग से सेंट्रल सिल्क टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की विकसित मशीन तसर सिल्क यार्न की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करेगी और महिलाओं के कठिन श्रम को कम करेगी। उन्होंने कहा कि रीलिंग में जांघों के इस्तेमाल को समाप्त करने और मार्च 2020 तक इसे बुनियाद रीलिंग मशीन में बदलने की योजना है।
वस्त्रमंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पारंपरिक विधि का उपयोग करने वाली महिला प्रतिदिन लगभग 125 रुपये कमाती हैं, जबकि बुनियाद मशीन का उपयोग करने वाला एक तसर रीलर प्रतिदिन 350 रुपये कमा सकता है। उन्होंने कहा कि कर और परिवहन शुल्क को छोड़कर मशीन की कीमत 8,475 रुपये प्रति यूनिट है। कार्यक्रम में रेशम उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियां पाने वालों और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को भी पुरस्कृत किया गया। रेशम कीट के बीज के क्षेत्र में गुणवत्ता प्रमाणन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन ई-कोकून लॉंच किया गया। भारतीय रेशम उद्योग और राज्य सेरीकल्चर प्रोफाइल का संकलन भी जारी किया गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और रेशम मंत्रालय को रेशम के वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सभी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि रेशम एक टिकाऊ वस्तु है और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इसकी भारी मांग है। भारतीय रेशम साड़ी की लोकप्रियता के बारे में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठकों के दौरान उनके समकक्षों ने अक्सर इन कपड़ों के रंग, पैटर्न और विभिन्न डिजाइनों के बारे में उनसे पूछा है।
सुषमा स्वराज ने कहा कि कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी का बुनियाद मशीनों के साथ तसर क्षेत्र में जांघों के इस्तेमाल की परंपरा को मिटाने का प्रयास स्पष्ट रूपसे महिलाओं के प्रति उनकी चिंता को दर्शाता है और इससे निश्चित रूपसे रेशम उत्पादन में लगे आदिवासी परिवारों की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने में मदद मिलेगी। विदेश मंत्री ने इन उपकरणों को वितरित करके इस वर्ष जांघ के इस्तेमाल की परंपरा को समाप्त करने की दिशा में प्रयास करने के लिए वस्त्र मंत्रालय से आग्रह किया। स्मृति ईरानी ने कहा कि बुनियाद रीलिंग मशीन न केवल महिलाओं को जांघों के इस्तेमाल की पीड़ादायक परंपरा से छुटकारा दिलाएगी, बल्कि उनकी आय को भी बढ़ाएगी और उन्हें एक गरिमापूर्ण जीवन जीने में मदद करेगी। स्मृति ईरानी ने कहा कि 2013-14 के बाद रेशम उत्पादन में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि मोबाइल ऐप ई-कोकून रेशम कृमि क्षेत्र में गुणवत्ता प्रमाणन में मदद करेगा।
कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग रीयल टाइम रिपोर्टिंग के माध्यम से सिस्टम और उत्पाद प्रमाणन के लिए केंद्रीय बीज अधिनियम के तहत नामित बीज विश्लेषकों और बीज अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। बड़ी संख्या में हितधारकों, पंजीकृत बीज उत्पादकों और पंजीकृत चॉकीयरर्स को कवर करने के अलावा आरएसपी, आरसीआर और रेशम के कीड़ों के अंडे के साथ अनिवार्य रूपसे आवश्यक सिस्टम रेशम कीटपालन कीड़े पर प्रभावी निगरानी रखी जाएगी। गौरतलब है कि चीन के बाद भारत रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और रेशम का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत की रेशम उत्पादन क्षमता 32,000 टन के वर्तमान स्तर से 2020 तक लगभग 38,500 टन तक पहुंचने की उम्मीद है।

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