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Saturday 23 February 2019 03:06:42 PM
बेंगलुरु। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने बेंगलुरु के येलाहंका एयरफोर्स स्टेशन पर अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी एयरो इंडिया 2019 की शुरुआत की। एयरो इंडिया के इस संस्करण में रक्षा एवं नागरिक उड्डयन मंत्रालय की साझा भागीदारी है। एशिया के सबसे बड़े एयर शो में 600 भारतीय कंपनियां एवं 200 विदेशी कंपनियां भागीदारी कर रही हैं। निर्मला सीतारमण ने इस अवसर पर विश्वभर के देशों की नुमाइंदगी कर रहे प्रतिनिधिमंडलों के साथ विदेश मंत्रियों एवं उप मंत्रियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एयरो इंडिया के इस संस्करण में भारत को विश्व मानचित्र पर स्थापित करने का एवं लाक्षणिक रूपसे 'रनवे टू ए बिलियन अपोर्च्युनिटी' बनाने का मनोरथ प्रयास है। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत ने स्वयं को विभिन्न विश्वस्तरीय वैमानिकी उपकरणों के उत्पादन एवं निर्यात के बड़े केंद्र के रूपमें स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि भारत के पास नोज़ टू टेल प्रोडक्शन यानी किसी उपकरण को शुरुआत से अंत तक संपूर्ण रूपसे बनाने की योग्यता है।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता में वृद्धि करने हेतु गति प्रदान करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पहल की प्रशंसा की और ऐसे प्रावधान बनाने पर बल दिया, जिनसे एक सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला तंत्र की रचना करने के लिए डिज़ाइन एवं उत्पादन सुविधाओं का उपयोग तथा संस्थापन करनेवाले पारितंत्र की रचना हो पाए। रक्षा अधिग्रहणों के बारे में बताते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि इन चार वर्ष के दौरान सशस्त्र बलों के लिए रक्षा उपकरणों के अधिग्रहण हेतु भारतीय व्यापारियों के साथ 1,27,500 करोड़ रुपये के 150 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने बाइ एंड मेक श्रेणियों के अंतर्गत केवल भारतीय व्यापारियों को 2,79,950 करोड़ रुपये के 164 प्रस्तावों के लिए एओएन की सहमति प्रदान की है। उन्होंने बताया कि आयुध निर्माणी बोर्ड एवं रक्षा क्षेत्र में कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए वीओपी में 2013-14 में 43,746 करोड़ रुपये से 2017-18 में 58,163 करोड़ रुपये की वृद्धि हो गई, जिसमें से 40 प्रतिशत उत्पादन का कार्य निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया है एवं सरकार ने निजी क्षेत्र में सात निर्धारित प्रकार के गोलाबारूद के उत्पादन के लिए आरएफपी भी जारी कर दिया है।
रक्षामंत्री ने मेक इन इंडिया के अंतर्गत सरकार की अनेक नीतिगत शुरुआतों की प्रशंसा की, जैसे रक्षा उत्पादन में 100 प्रतिशत एफडीआई, डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी 2016, रक्षा क्षेत्र के आइटमों के लिए लाइसेंस का निरसन, आईडेक्स एवं डिफेंस इंवेस्टर सेल। रक्षामंत्री ने भारतीय पैवेलियन की हालिया सफलताओं के रूपमें एस 92 हेलिकॉप्टर केबिन, एडवांस एयरक्राफ्ट कॉकपिट, डॉर्नियर के लिए ग्लास कॉकपिट एवं बोइंग हेतु सीएच-47 पाइलॉन का उदाहरण दिया। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय उपक्रमों की एलसीए, एलसीएच, एएलएच, सी 295 इत्यादि समेत 4000 विमान बनाने के लिए प्रशंसा भी की। उन्होंने 10,000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की प्रशंसा की, जिन्होंने जटिल हथियार प्रणालियों एवं विमानों के 80 प्रतिशत पुर्ज़े, समुच्चय एवं संयोजन बनाए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि 424 कंपनियों ने रक्षा उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया है, जो कि इ चार वर्ष के दौरान प्राप्त किए गए लाइसेंस की संख्या का लगभग दोगुना है। रक्षामंत्री ने व्यापार करने की सुगमता में वृद्धि के लिए जनवरी 2018 में स्थापित ‘रक्षा निवेशक सेल’ के बारे में बताया कि अबतक 350 उद्योगों को सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने आयुध कारखानों में बनने वाले 275 आइटमों की अधिसूचना रद्द किए जाने का ज़िक्र भी किया एवं बताया कि निजी उद्योगों के लिए रक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं आयुध कारखानों की सुविधाएं खोली जा चुकी हैं।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सेना, नौसेना एवं वायुसेना से संबंधित 34 परियोजनाओं को पहले ही मेक-II श्रेणी के अंतर्गत सैद्धांतिक अनुमति प्रदान की जा चुकी है। रक्षामंत्री ने बताया कि एफडीआई नीति का नवीनीकरण कर दिया गया था एवं अब ऑटोमैटिक रूट के माध्यम से 49 प्रतिशत तक तथा 49 प्रतिशत तक सरकारी रास्ते से विदेशी निवेश को अनुमति प्रदान कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इन चार वर्ष में रक्षा एवं वैमानिकी के क्षेत्रों में छह कंपनियों ने 237 करोड़ रुपये की सरकारी अनुमति प्राप्त की, जबकि ऑटोमैटिक रूट के माध्यम से 200 करोड़ रुपये प्राप्त किए गए। रक्षामंत्री ने देशभर में रक्षा नवाचार केंद्रों के नेटवर्क की रचना करने एवं रक्षा तथा वैमानिकी से संबंधित विषयों के समाधान के लिए 12 अप्रैल 2018 को प्रारंभ की गई आईडैक्स योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कोयम्बटूर में पहले ही शुरू किए जा चुके प्रथम नवाचार केंद्र तथा उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में दो रक्षा गलियारों की स्थापना के बारे में जानकारी प्रदान की, जिनमें से सबसे नवीन 20 जनवरी 2019 को तिरुचिरापल्ली में शुरू किया गया है, जिसके लिए रक्षा उद्योग ने 3200 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की प्रतिबद्धता की है। उन्होंने अधिक क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने के लिए एवं रक्षा व वैमानिकी के क्षेत्रों में पेटेंट संबंधी प्रविष्टियों को प्रोत्साहन देने के लिए रक्षा मंत्रालय के प्रारंभ मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति के बारे में भी बताया।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार रक्षा उत्पादन के घरेलू पारितंत्र की रचना करने के लिए सक्षम वातावरण बनाने के प्रति प्रतिबद्ध थी, जिसके परिणाम पहले ही दृष्टिगोचर हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि नीतिगत शुरुआतों एवं प्रक्रियागत सुधारों से मुझे विश्वास है कि भारत वैश्विक रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख देश के रूपमें उभरेगा, हम ऐसे पारितंत्र का निर्माण करेंगे, जिसमें विदेशी रक्षा मौलिक उपकरण निर्माताओं के साथ सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की परिष्कृत तकनीकी सहकार्यता होगी। कौशल, प्रणालियों, तकनीकों एवं उत्पादन क्षमताओं के अधिक समेकन के साथ रणनीतिक साझेदारियां की जाएंगी। एयर शो के दौरान एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टरों ने भारतीय ध्वज तिरंगा, वायुसेना का ध्वज तथा एयरो इंडिया का झंडा लेकर मंच के सामने से गुज़रते हुए विक्ट्री फॉरमेशन बनाया। हवाई प्रदर्शनों की शुरुआत विंटेज डाकोटा की उड़ान के साथ हुई। इसके बाद एलयूएच, एएलएच एमके-III एवं IV व एलसीएच समेत अनेक स्वदेश निर्मित हेलिकॉप्टरों की उड़ान ने आकाश को अपने जेटवॉश से भर दिया। हॉक-आई एवं एचटीटी-40 के बगल में स्वदेशी डॉर्नियर 228 के फ्लाईपास्ट के बादकल सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम की अभ्यास उड़ान के दौरान हवा में हुई एक घातक टक्कर में जान गंवाने वाले विंग कमांडर साहिल गांधी को श्रद्धांजलिस्वरूप तेजस तथा जैग्वार के साथ मिसिंग मैन फॉर्मेशन में सुखोई विमानने उड़ान भरी। इसके बाद आसमान में अनेक प्रकार की एयरोबैटिक कलाबाज़ियों का प्रदर्शन करते हुए लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई, तत्पश्चात स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस, अमेरिकी एफ-16 फॉल्कन एवं फ्रांसीसी राफेल विमान आए।
एयरो इंडिया एलयूएच, एलसीएच, एएलएच एमके-IV एवं सारंग हेलिकॉप्टर की टीम फाइनल एयरबस 330 नियो के हवाई करतबों के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद 1950 के विंटेज विमान बी-52 बम्बर्स ने मनमोहक उड़ान भरी। इस दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री सुरेश प्रभु, रक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष भामरे, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियांवयन मंत्री सदानंद गौड़ा, थलसेना, वायुसेना व नौसेना के प्रमुख, रक्षा सचिव संजय मित्रा, रक्षा उत्पादन सचिव डॉ अजय कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष एवं सचिव डॉ सतीश रेड्डी, विदेशों से विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, सेना के तीनों अंगों के सेवारत अधिकारी, पूर्व सैनिक एवं रक्षा उद्योगों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।