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उत्तराखंड में रोमांचित पर्यटन के लिए जुटी सरकार

पर्यटन मंत्री अमृता रावत का नए क्षेत्रों पर भी ज्यादा जोर

श्रीगोपाल नारसन

Monday 18 March 2013 08:18:08 AM

amrita rawat

रूड़की, हरिद्वार‌। उत्तराखंड की पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने धार्मिक आस्था के तहत गंगा, यमुना और अन्य नदियों, नहरों और तालाबों में विसर्जित धार्मिक प्रतिमाओं से फैलते प्रदूषण पर गंभीर चिंता प्रकट की है। राज्य में गंगा समेत अन्य सभी जल धाराओं और जलाशयों को प्रदूषण से बचाने के लिए अमृता रावत ने पूजन के लिए देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का आकार को सीमित दायरे में लाने का आह्वान किया है।
पर्यटन मंत्री अमृता रावत चाहती हैं कि धार्मिक आस्था के कारण गंगा समेत कोई भी नदी, नहर व जलाशय प्रदूषित न हो। उन्होंने गंगा में शव विसर्जन से गंगा की पवित्रता को खतरे के साथ ही धार्मिक कलेंडरों, हवन सामग्री, फूल-मालाओं से गंगा में गंदगी रोकने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल तक जहां-जहां भी गंगा है, उसे आचमन लायक बनाए रखने के लिए राज्य स्तर से पहल की जा रही है।
उत्तराखंड में पर्यटन को शीर्ष पर लाने के लिए अमृता रावत ने अपने प्रयास गिनाए और कहा कि बद्रीनाथ, केदानाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री सहित हेमकुंड-लोकपाल, नानकमत्ता, मीठा-रीठा साहिब एवं पिरान कलियर जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों से युक्त इस प्रदेश में पर्यटन की प्रमुख विधा, प्राचीन काल से तीर्थाटन प्रभावी रहा है। भारत के उत्तरी भू-भाग को हरा-भरा करने वाली पतित पावनी गंगा-यमुना के उद्गम स्थलों के इस प्रदेश की सांस्कृतिक परंपरा, अलौकिक, नैसर्गिक सौंदर्य, शीतल प्राणदायिनी शुद्ध जलवायु, पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रमुख संसाधन है।
उत्तराखंड की पर्यटन नीति के अनुसार ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत सुनियोजित एवं त्वरित समेकित विकास हेतु विभिन्न विधाओं तथा संस्थागत व्यवस्थाओं के सुदृढ़ीकरण, अवस्थापना सुविधाओं के विकास, निजी क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि, पर्यटन संसाधन विकास, प्रचार-प्रसार एवं पर्यटन विपणन, पर्यटन आधारित शिल्प उद्योग को प्रोत्साहन, पर्यटनोपयोगी गतिविधियों को चुनौतीपूर्ण ढंग से कार्यांवित करने पर बल दिया गया है, जिससे उत्तराखंड को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यटन आकर्षण के रूप में प्रतिस्थापित किया जा सके।
उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश के विभिन्न पर्यटक स्थलों जानकी चट्टी-यमुनोत्री तथा ठुलीगाड-पूर्णागिरी रोपवे परियोजनाएं, पीपीपी मोड पर क्रियांवित करवाई जा रही हैं। जानकी चट्टी-यमुनोत्री रोपवे परियोजना पर 70 करोड़ तथा ठुलीगाड-पूर्णागिरी रोपवे परियोजना पर 35 करोड़ का व्यय प्रस्तावित है। जानकी चट्टी-यमुनोत्री रोपवे परियोजना से विभाग को प्रतिवर्ष 3 से 5 करोड़ तथा ठुलीगाड-पूर्णागिरी रोपवे परियोजना से 2 से 3 करोड़ की आय प्राप्त होगी।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के विभिन्न अल्पज्ञात पर्यटक स्थलों पर पर्यटक स्थलों, यात्रा मार्गों पर विभिन्न आधारभूत सुविधाओं के विकास हेतु पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में विभिन्न सर्किटों, डेस्टिनेशनों, मेगा सर्किट, होटल प्रबंधन संस्थान, पर्यटन ग्रामों, लार्ज रेवेन्यू ग्रीग्रेटिंग योजना के अंतर्गत मसूरी से हाथीपांव तक रज्जूमार्ग की परियोजना तथा मेले एवं त्योहारों के आयोजन हेतु कुल 160 करोड़ के प्रस्तावों पर सैद्धांतिक सहमति प्राप्त हुई है। इसके अंतर्गत 16 परियोजनाएं विकसित की जाएंगी। पर्यटन मंत्री के अनुसार 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत पर्यटन विकास कार्यों हेतु 14.77 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसके अंतर्गत चीला एवं कौड़ियाला में ईको टूरिज्म के रूप में विकास, गढ़वाल मंडल एवं कुमाऊं मंडल के विभिन्न स्थलों पर सुलभ शौचालयों का उच्चीकरण, सुद्ढ़ीकरण, नव निर्माण कार्य करवाया जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटक स्थलों एवं यात्रा मार्गों के प्रत्येक 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर सुलभ शौचालय बनाए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए एक मास्टर प्लान तैयार करवाया गया है। इसके अतिरिक्त जानकी चट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग, गौरीकुंड-केदारनाथ तथा गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर प्रत्येक एक किलोमीटर के अंतराल पर विभिन्न 50 स्थलों पर बायोडायजेस्टर शौचालयों का निर्माण करवाया जा रहा है। एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) ने उत्तराखंड प्रदेश में प्रथम बार पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अधारभूत पर्यटन सुविधाओं के विकास हेतु 350 करोड़ की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की है, जिसके अंतर्गत आसन बैराज, यमुना सर्किट के अंतर्गत टाईगर फॉल, देवबन, हनोल, महासू मंदिर एवं लाखा मंडल, वाटर स्पोर्ट्स के अंतर्गत हरिद्वार में पुरानी गंगनगर में जल क्रीड़ाओं में सुविधाएं, जगजीतपुरा नहर का सौंदर्यीकरण, नौकुचियाताल में पर्यटक आवास गृह का निर्माण एवं अन्य पर्यटक सुविधाएं, पिथौरागढ़ फोर्ट का संरक्षण, मोस्टमानु मंदिर पिथौरागढ़ पिकनिक स्पॉट के चंडाक टैंक एवं व्यू प्वाईंट्स का विकास, कोटद्वार से प्रवेश सुविधाओं का विकास, डाक पत्थर, पिरान कलियर रूद्रपुर, भीमताल, पिथौरागढ़, कोटद्वार, टिहरी, अल्मोड़ा, रायपुर में एडवेंचर टूरिस्ट सेंटर्स का विकास एवं निर्माण की परियोजनाओं को सम्मिलित किया गया है।
परियोजना के संचालन हेतु उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के स्तर से पीएमयू का गठन किया गया है। योजना के क्रियांवयन हेतु 3 प्रोजेक्ट इंप्लिमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) के गठन का प्रस्ताव है, जो भीमताल, कोटद्वार एवं देहरादून में स्थापित होंगी। वाह्य सहायतित योजना में एशियन डेपलपमेंट बैंक के माध्यम से 2 अप्रैल 2012 को आर्थिक मंत्रालय भारत सरकार के साथ समझौता किया जा चुका है। साहसिक पर्यटन के अंतर्गत 546 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न विधाओं रीवर राफ्टिंग, टैकिंग, माउंटेनियरिंग, रॉक क्लाइमिंग आदि प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। अप्रैल 2012 से अब तक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में विभिन्न जनपदों में जिला चयन समितियों ने 151 आवेदकों को लाभांवित किया गया है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में पर्वतीय क्षेत्रों में गैर वाहन मद अर्थात पर्यटन अवस्थापना सुविधाओं के सृजन हेतु अनुदान धनराशि 25 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रूपए से बढ़ाकर 33 प्रतिशत अधिकतम 15 लाख रूपए की गई है। टिहरी झील को एक नए पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित किए जाने का प्रस्ताव है। साहसिक पर्यटन की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए टिहरी झील का पर्यटन के क्षेत्र में समग्र विकास तथा राजीव गांधी एडवेंचर अकादमी का शिलान्यास किया गया है।

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