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Monday 11 March 2019 03:52:00 PM
सैन जोस/ नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सैन जोस में कोस्टारिका गणराज्य की कांग्रेस की प्रेसीडेंट कोरोलिना हिडालगो हेरेरे से मुलाकात की और कहा कि भारत और कोस्टारिका के लोकतंत्र, बहुवाद, बहुसंस्कृतिवाद, प्रेस की आजादी एवं समान मानव अधिकारों के लक्ष्यों की दिशा में हमारी साझा प्रतिबद्धता पर आधारित घनिष्ठ एवं आत्मीय संबंध हैं। कोस्टारिका मध्य अमेरिका में भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार देश है। उपराष्ट्रपति ने सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल, हाइड्रो इलेक्ट्रिक जनरेटर, पावर प्लांट उपकरण एवं रेल निर्माण सहित भारत के उन मजबूत क्षेत्रों को रेखांकित किया, जिनसे कोस्टारिका लाभ उठा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और कोस्टारिका के बीच संबंधों को और सुदृढ़ करने की विशाल संभावना है। उपराष्ट्रपति ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच सतत संवाद के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कोस्टारिका के संसदीय शिष्टमंडल को भारत का दौरा करने को आमंत्रित किया।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कोस्टारिका की उपराष्ट्रपति इप्सी कैम्पबेल बार्र द्वारा आयोजित दोपहर के भोजन में भाग लिया। दोनों नेताओं ने युवा अधिकारिता, पर्यटन को प्रोत्साहन, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय समावेश, ई-गवर्नेंस, अंतरिक्ष कार्यक्रम, आरंभिक बाल शिक्षा कार्यक्रम, सार्वजनिक यातायात एवं ई-गतिशीलता जैसे विषयों पर चर्चा की। उपराष्ट्रपति ने सैन जोस में कोस्टारिका में रह रहे भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कोस्टारिका में प्रवासी भारतीयों की अपने एवं भारत के लिए उच्च व्यावसायिक क्षमता से अर्जित प्रतिष्ठा के लिए सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रवासी भारतीयों को भारत की विकास की गति को और तेज बनाने में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत अनादिकाल से शांति और अहिंसा का पुजारी रहा है। उन्होंने से पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद के विध्वंसात्मक तत्वों की निंदा की, जो विकास से ध्यान भटकाकर लगातार चुनौती बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर आतंकी तत्वों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो शांति नहीं बनी रहेगी।
वेंकैया नायडू ने विचार व्यक्त किया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, जलवायु परिवर्तन, अवैध धन एवं शस्त्र प्रवाह और मादक द्रव्य शांति स्थापना के खिलाफ युद्ध हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्तराष्ट्र संघ को इन तत्वों से मुकाबला करने के लिए एक समान रणनीति बनानी चाहिए और आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों का नाम उजागर किया जाना चाहिए, उन्हें शर्मिंदा किया जाना चाहिए एवं उन्हें अलग-थलग किया जाना चाहिए। पुलवामा में हिंसक घटना एवं संयुक्तराष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के शिविरों पर भारत के बचाव संबंधी स्ट्राइक पर प्रतिक्रिया जताते हुए उपराष्ट्रपति ने आतंकवाद के खतरे के प्रति एक समेकित, वैश्विक प्रतिक्रिया की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर विश्व के सभी देश एक सुर से आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाएं तो हम एक अधिक शांतिपूर्ण विश्व का सृजन करने में सफल रहेंगे, जिसमें हम सार्थक, शांतिपूर्ण, डर और हिंसामुक्त खुशहाल जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक ऐसी लड़ाई है, जिसे सामूहिक रूपसे लड़ा जाना चाहिए, यह एक ऐसी लड़ाई है, जिसे इसके खात्मे तक लड़ा जाना चाहिए।