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अपशिष्ट उत्पादन और निपटान पर कार्यशाला

हरिद्वार में कई औद्योगिक कंपनियों में विचार-विनिमय

कचरा निपटान प्रतिबद्धता और आवश्यकता-सीआईआई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 26 March 2019 04:50:46 PM

cii workshop on waste generation and disposal

हरिद्वार। भारतीय उद्योग परिसंघ के सहयोग से उत्तराखंड स्टेट काउंसिल ऑफ एक्सीलेंस और सीईएसडी सेंटर फॉर एक्सिलेंस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने हरिद्वार में अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और उनके संशोधनों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उद्योग के लिए आवश्यक अनुपालन, दायित्वों की बेहतर समझ के लिए पर्यावरण प्रबंधन, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जो अधिसूचित किया है जैसे-अपशिष्ट प्रबंधन, विभिन्न अधिनियमों और नियमों और उनके संशोधनों के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारतीय उद्योग परिसंघ अपशिष्ट प्रबंधन को नियंत्रित करने वाले वर्तमान नियमों और विनियमों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है। इसका लक्ष्य मूलभूत सोच को कचरे के निपटान से कचरा प्रबंधन की ओर ले जाना है। महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड हरिद्वार से सत्यवीर सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योगजगत अब बड़े पैमाने पर कचरे को पर्यावरण को प्रभावित किए बिना इसके उचित निपटान के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वे अधिक से अधिक इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि कचरे को धन में कैसे बदला जा सकता है, वे इसे एक नए व्यापार अवसर के रूपमें देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि महिंद्रा समूह जनसमुदाय में कचरे के प्रभाव को कम करने के लिए जीरो वेस्ट टू लैंडफिल और वेस्ट टू वेल्थ प्रथाओं के लिए प्रतिबद्ध है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के प्रिंसिपल काउंसलर शिखर जैन ने कहा कि अपशिष्ट एक वैश्विक मुद्दा है, अगर यह ठीक से नहीं निपटा है तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट निपटान एक बढ़ता हुआ मुद्दा है, जो सीधे समाज के उत्पादन और उपभोग से जुड़ा हुआ है, यह सभी से जुड़ा हुआ है। शिखर जैन ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन 21वीं शताब्दी में विशेष रूपसे शहरी क्षेत्रों में समाज को कम करने वाली आवश्यक उपयोगिता सेवाओं में से एक है। उन्होंने जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के प्रभावी कार्यांवयन पर जोर दिया, जिसमें उत्सर्जन या अपशिष्ट की निगरानी के लिए ऑनलाइन प्रणाली, संशोधित सीईपीआई स्कोर और सीआरईपी शामिल थे।
काउंसलर दिव्या अग्रवाल ने कहा कि इन दिनों बड़े उद्योग उनके द्वारा उत्पन्न कचरे के प्रबंधन प्रति प्रतिबद्ध है और इसके लिए बहुत सतर्क हैं। उद्योग अपने परिचालन के पर्यावरणीय प्रभाव के साथ-साथ श्रमिकों और समुदाय के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखता है, जिसमें वे काम करते हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कंपनियों और कॉर्पोरेट जिम्मेदारियों में अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूत करने पर अंतर्दृष्टि साझा की। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 15 कंपनियों के 35 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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