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Monday 1 April 2019 02:38:04 PM
नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को शिक्षित और जागरुक करने के लिए देशभर में 150 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से संपर्क किया है, जो अपनी तरह की अनूठी पहल है। कार्यक्रम का आयोजन इंडियन इंस्ट्टीयूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल मैनेजमेंट की ओर से सीकिंग मॉर्डन एप्लीकेशंस फॉर रीयल ट्रांसफॉरमेशन की साझेदारी में आईआईआईडीईएम द्वारका नई दिल्ली में किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं को शिक्षित और जागरुक करने में सामुदायिक रेडियो का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना था। वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि देश के आखिरी मतदाता तक पहुंचने के लिए सामुदायिक रेडियो एक बेहतरीन माध्यम है। उन्होंने कहा कि ये कार्यशालाएं एक दीर्घकालिक और निरंतर जुड़ाव की शुरुआत हैं।
उप चुनाव आयुक्त ने कहा कि सामुदायिक रेडियो मतदाताओं को प्रोत्साहित करने, मतदाता सूची में उन्हें शामिल करने, उन्हें मतदान केंद्र तक ले जाने, उन्हें उनके अधिकार और जिम्मेदारियों के प्रति शिक्षित करने तथा उन्हें जागरुक एवं शिक्षित मतदाता बनाने में सामुदायिक रेडियो एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर मतदाता देश का पहला प्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि वो सैनिक है, जो लोकतंत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि देशभर के सभी मतदाताओं के पास समान अधिकार हैं, चुनाव सबको समान अधिकार देते हैं और प्रत्येक वोट अहम होता है, चाहे वह सबसे अमीर व्यक्ति का हो या सबसे ग़रीब व्यक्ति का। उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो अपनी स्थानीय बोलियों में सामग्री विकसित करके और जमीनीस्तर तक मतदाताओं को शिक्षित करने की प्रक्रिया सुदृढ़ करने तथा लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन अब मतदाताओं को शिक्षित करने वाले कार्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बन जाएंगे।
कार्यशाला का उद्घाटन 25 मार्च को उप चुनाव आयुक्त और महानिदेशक आईआईआईडीईएम चंद्र भूषण कुमार ने किया था। उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो लोकतंत्र के उत्सव में मतदाता नामांकन और भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोई मतदाता छूट ना जाए की टैग लाइन यह सुनिश्चित करने के लिए है कि हर एक योग्य मतदाता को अपनी आर्थिक स्थिति, वर्ग, जाति या पेशे के बावजूद अपने वोट की कीमत मालूम हो। उन्होंने प्रवासी श्रमिकों, बेघरों, आदिवासी व्यक्तियों, दिव्यांगजनों, सेवा मतदाताओं, एनआरआई को शामिल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का प्रयास निष्पक्ष और निर्भीक चुनाव सुनिश्चित करना है और आयोग के इस लक्ष्य को पूरा करने में सामुदायिक रेडियो स्टेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
सीकिंग मॉर्डन एप्लीकेशंस फॉर रीयल ट्रांसफॉरमेशन की संस्थापक अर्चना कपूर ने कहा कि चुनाव आयोग का मतदाता जागरुक अभियान में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को शामिल करने का मतलब स्टेशनों द्वारा जमीनी स्तर के कार्यों की मान्यता है। अर्चना कपूर ने कहा कि रेडियो स्टेशन अपनी स्वयं की बोली में कार्यक्रम प्रसारित करेंगे और प्रचार सामग्री प्रसारित करने के अलावा 5 और कार्यक्रम भी विकसित करेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि देशभर के सामुदायिक रेडियो स्टेशन मतदाताओं को शिक्षित और जागरुक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे।