स्वतंत्र आवाज़
word map

राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर?

कांग्रेस ने घोषणा पत्र में नामुमकिन वादों की झड़ी लगाई

देशभर में जहां-तहां बिखर रहा है मोदी विरोधी गठबंधन

Tuesday 2 April 2019 03:06:14 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

rahul gandhi releases congress 2019 lok sabha election manifesto

नई दिल्ली। सत्रहवें लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने आज अपना चुनाव घोषणापत्र जारी कर दिया है, जिसमें उसने बेरोज़गारी दूर करने पर खास फोकस किया है। घोषणापत्र की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि उसने देश से ऐसे आर्थिक वादे किए हैं, जो आज की स्थिति में कांग्रेस पूरे ही नहीं कर सकती है। घोषणा पत्र से लगता तो यह है कि कांग्रेस मान चुकी है कि उसका केंद्र की सत्ता में आना नामुमकिन है, इसलिए देश की जनता से लुभावने और बड़े-बड़े वादे करके लोगों को भरमाने में हर्ज ही क्या है। कांग्रेस का यह घोषणा पत्र उसकी इस सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है कि भारत की जनता बहुत जल्दी लालच में आ जाती है, जैसे कांग्रेस ने देश के बीस प्रतिशत गरीबों को प्रतिवर्ष उनके खाते में सीधे 72000 रुपये भेजने का वादा किया है, लेकिन ये रुपये कांग्रेस सरकार कहां से लाएगी, इसपर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा एवं उनकी टीम के पास कोई विश्वसनीय और सही उत्तर नहीं है। वे देश की जनता को अभी तक यह भी विश्वास नहीं दिला पाए हैं कि कांग्रेस किस प्रकार से देश की सत्ता में आएगी, क्योंकि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में तो उनका जनाधार ही लगभग समाप्त है और राहुल गांधी को अमेठी में हार जाने के भय से केरल में चुनाव लड़ना पड़ रहा है।
कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के समय मंच पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी, कांग्रेस गठबंधन सरकार में दस साल प्रधानमंत्री रहे सरदार मनमोहन सिंह, कांग्रेस के काबिल वित्तमंत्री रहे पी चिदंबरम थे, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कांग्रेस के कोरग्रुप के लगभग सभी नेता सामने मौजूद थे। प्रियंका गांधी वाड्रा मंच पर नहीं थीं, जबकि वे कांग्रेस की खेवनहार के रूपमें कांग्रेस की रणनीति के साथ प्रचार मैदान में उतारी गई हैं। कांग्रेस के इसी पाखंड को जनता बहुत अच्छी तरह पकड़ती है। प्रियंका गांधी वाड्रा यूं तो कांग्रेस की संजीवनी के रूपमें घोषित तौरपर राजनीति में आई हैं, लेकिन वे इस बात से भी डरी हुई लगती हैं कि यदि उनका भी कार्ड विफल हुआ तो फिर कांग्रेस के पास अब कोई चमत्कारिक कार्ड नहीं बचा है। कांग्रेस की अंतिम नैय्या और स्टार प्रचारक कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा क्या कांग्रेस की वापसी की गारंटी हैं? घोषणा पत्र समिति के संयोजक ने घोषणा पत्र के प्रारूप और विजन पर प्रकाश डाला और कहा कि यह बहुत अच्छा चुनावी घोषणा पत्र है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस के घोषणा पत्र ‌को खारिज करते हुए कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यह झूंठ का पुलिंदा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार बनने पर कश्मीर से धारा 370 नहीं हटाई जाएगी। सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस सरकार ऐसा कर पाएगी और उसने यूपीए सरकार के दौरान ऐसा क्यों नहीं किया, जबकि उसीके नेतृत्व में दस साल तक गठबंधन की सरकार थी। कांग्रेस का घोषणा पत्र किसी भी मायने में भाजपा के वादों से ज्यादा भरोसेमंद नहीं माना जा रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में इन पांच वर्ष में जो बुनियादी कार्य किए हैं, वह कांग्रेस साठ साल में भी नहीं कर पाई है। घोषणा पत्र में कांग्रेस अपने प्रधानमंत्री पद के दावेदार का नाम भी घोषित करने से दूर भाग गई और यह दावा चुनाव परिणाम पर छोड़ दिया। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि यह देश तय करेगा कि पीएम कौन होगा। उन्होंने कहा कि पीएम का उम्मीदवार देश के ऊपर है, यह मेरे ऊपर नहीं है और यह सवाल आपको देश से पूछना चाहिए मैं अपना काम करता हूं। राहुल गांधी के इस जवाब का कांग्रेस पर क्या असर पड़ेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, क्योंकि प्रियंका गांधी वाड्रा तो कह चुकी हैं कि कांग्रेस में राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। राहुल गांधी ने अपने दावे पर चुप्पी मारकर यह संदेश तो दे ही दिया है कि वे असमंजस की स्थिति में हैं, जबकि भाजपा का प्रधानमंत्री पहले से ही घोषित और अवश्यसंभावी है।
राहुल गांधी ने कांग्रेस सरकार के वायदों में कहा कि देश में 22 लाख सरकारी रोजगार खाली पड़े हैं और कांग्रेस दस लाख बेरोजगारों को पंचायतों में रोज़गार देगी, कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदीजी ने देश की अर्थव्यवस्था को जाम कर दिया है, आज रोज़गार के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार आने पर हिंदुस्तान के युवाओं को बिजनेस करने के लिए किसी की परमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी, हम उनके लिए बैंकों के दरवाजे खोलेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश की जनता को पंद्रह लाख रुपए देने का वादा झूंठा था। कांग्रेस ने घोषणा पत्र का नाम जन आवाज़ दिया है। राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार 1 साल में ₹72000 सीधे गरीबों के खाते में डालेगी। कांग्रेस ने यह एक तरह से गरीबों को रिश्वत देने की घोषणा की है, जिसके पूरा होने में शक ही शक है। उन्होंने चुनौती दी कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे चर्चा करें, बीजेपी गरीबी और रोजगार के मुद्दे से देश की जनता का ध्यान हटाना चाहती है, मोदी सरकार बिजनेसमैन की सरकार है, जबकि कांग्रेस गरीबों को फायदा नहीं पहुंचाना चाहती है। राहुल गांधी की घोषणाओं से यह माना जा रहा है कि उनका केवल एक चुनावी वादा है, जिसके पूरे होने की कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि कांग्रेस की सरकार आनी ही नहीं है।
राहुल गांधी कह रहे हैं कि वह 72000 रुपये की गारंटी देते हैं, जबकि यहां यह बात गौर करने वाली है कि कांग्रेस की देश के 3 राज्यों राजस्थान छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में किसानों के कर्ज माफी की घोषणा पूरी नहीं कर पाई है और इसके नाम पर वहां के लोगों को सौ-सौ दो-दो सौ रुपये के कर्ज माफी के चेक दिए जा रहे हैं, इसलिए राहुल गांधी का गरीबों के खाते में सीधे पैसा भेजने का जो वादा है, उस पर सभी को शक है। उन्होंने फिर ‌कहा कि चौकीदार ने चोरी करवाई है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर जम्मू-कश्मीर से देशद्रोह कानून खत्म होगा, नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लिया जाएगा जिसके तहत केवल गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में रहने या शरण देने का प्रावधान है, कश्मीर में स्पेशल आर्म्ड फोर्स एक्ट की भी समीक्षा की जाएगी। कांग्रेस के इस वादे से देशभर में कांग्रेस के प्रति गुस्सा उबल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस और नेशनल कॉंफ्रेंस पर जमकर हल्ला बोला हुआ है। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर अलग से किसान बजट लाया जाएगा, जिसमें कर्ज चुकाने वालों पर आपराधिक कार्रवाई नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि मनरेगा में सौ दिन के बजाए अब 150 दिन रोजगार की गारंटी होगी।
कांग्रेस ने घोषणा पत्र में अनेक वादे किए हैं। दरअसल कांग्रेस के घोषणा पत्र को बनाने वाले ये वही लोग हैं, जिन्होंने यूपीए की सरकार के दौरान भ्रष्टाचार फैलाने के अलावा कोई काम नहीं किया है और जिनके प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह ने केवल कांग्रेस नेताओं का लिखा हुआ भाषण ही पढ़ा है। यह बात भी यूपीए के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर सटीक बैठती है कि जो केवल प्रधानमंत्री बने रहने के लिए समझौता वादी प्रधानमंत्री बने रहे, यह प्रश्न कांग्रेस से उत्तर मांगता है कि यूपीए सरकार 10 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने में क्यों विफल रही, जबकि उसके पास देश के जाने-माने अर्थशास्त्री सरदार मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में मौजूद थे। कांग्रेस का इतिहास भारतीय रक्षा सौदों में दलाली खाने का रहा है देश की नई पीढ़ी को अब जाकर यह बात पता चली है। अब समझा जा रहा है कि यूपीए की सरकार में राफेल डील क्यों नहीं हो सकी? दरअसल कांग्रेस परिवार को उसमें मनमाना कमीशन नहीं मिल रहा था। नरेंद्र मोदी की सरकार जब कांग्रेस सरकारों के समय में हुए देश के रक्षा सौदों की तह में गई तो पता चला कि कांग्रेस के नेता और कांग्रेस नेतृत्व कमीशनखोरी में लिप्त रहे हैं, जिससे देश की रक्षा के मामले में सरकार चुप्पी साधे रही। अब जब कांग्रेस के रक्षा सौदों में कमीशनखोरी के सारे रास्ते बंद हो गए हैं तो सोनिया गांधी परिवार ने राफेल डील को मुद्दा बना लिया है। सच्चाई तो यह बताई जाती है कि कांग्रेस परिवार ने रक्षा सौदों को अपनी आमदनी का जरिया बनाया हुआ था।
कांग्रेस ने आज जब घोषणा पत्र जारी किया तो उसके वादों पर भाजपा सपा-बसपा और दूसरे दलों को उनपर यकीन करने का कोई आधार नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि जब कांग्रेस की सरकार आने की दूर-दूर तक संभावना नहीं दिख रही है तो ये वादे केवल लोगों को भ्रम में डालने वाले वायदे ही लग रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र की खिल्ली उड़ाई है और इस घोषणापत्र पर कई सवाल खड़े किए हैं। यद्यपि अकेले कांग्रेस ही नहीं, बल्कि देश के जनमानस में भी कांग्रेस के घोषणा पत्र पर यकीन नहीं हो रहा है। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी किसी भी प्रकार से देश की जनता को भ्रम में डालने की कोशिश कर रहे हैं और उनके पीछे कई ऐसी ताकतें हैं, जो केंद्र में फिर से भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी की सरकार की वापसी नहीं चाहती हैं, इनमें भारत का दुश्मन पाकिस्तान भी शामिल है, जो भारत में राहुल गांधी की सरकार बनने की कैम्पेन चला रहा है। भारत के लोकसभा चुनाव का सच यह है कि यह चुनाव सारे गठबंधन से ऊपर जा चुका है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को अपनी जमीन बचानी मुश्किल पड़ रही है और कांग्रेस बिन मांगे सपा-बसपा गठबंधन को 7 सीटें देने की घोषणा कर रही है। कांग्रेस की नीति अपनी साख बचाने पर आ‌धारित है। लोकसभा चुनाव की दिशा धीरे-धीरे सामने आ रही है, चुनाव में जिस प्रकार तेजी से ध्रुवीकरण होता दिख रहा है, उसे देखते हुए कांग्रेस की घोषणाएं निष्प्रभावी होती दिख रही हैं। राहुल गांधी केवल लोगों में भ्रम पैदा कर रहे हैं, जबकि उनके सामने उत्तर प्रदेश से ही अपनी दोनों सीट बचाने की चुनौती है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]