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Saturday 6 April 2019 05:07:17 PM
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद यानी सीएसआईआर के बीच नौसेना के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के संयुक्त अनुसंधान और विकास कार्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। यह सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं, भारतीय नौसेना और भारतीय उद्योग के बीच सहयोगात्मक व्यवस्था होगी। समझौते पर भारतीय नौसेना में वीएसएम चीफ ऑफ मैटरियल और वाइस एडमिरल जीएस पब्बी तथा सचिव डीएसआईआर और महानिदेशक सीएसआईआर शेखर सी मांडे ने हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के निदेशक, भारतीय नौसेना के फ्लैग ऑफिसर, निदेशालयों के प्रमुख और प्रतिष्ठित सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक उपस्थित थे।
भारतीय नौसेना और सीएसआईआर के बीच यह समझौता बातचीत के लिए एक औपचारिक ढांचा है, इससे मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, संचार, कंप्यूटर विज्ञान, प्रोपल्शन सिस्टम, मेटालर्जी और नैनो टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और विकास गतिविधियों की सुविधा उपलब्ध होगी। वाइस एडमिरल जीएस पब्बी ने इस अवसर पर सीएसआईआर को वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास क्षेत्र में राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए बधाई दी और विकसित की जा रही कुछ भविष्य की तकनीकों का उल्लेख भी किया, जिनका उपयोग नौसेना प्लेटफार्मों की परिचालन उपलब्धता और लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने में किया जा सकता है। उन्होंने सशस्त्रबलों और सीएसआईआर जैसे विश्वस्तरीय राष्ट्रीय संस्थानों के बीच इस तरह की साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे मेक इन इंडिया और अन्य अभिनव कार्यक्रम भी संयुक्त रूपसे जुड़ सकेंगे।
वाइस एडमिरल जीएस पब्बी ने कहा कि इस समझौते से भविष्य में नई तकनीकों के विकास और विचारों के आदान-प्रदान के लिए आधार तैयार होगा। शेखर सी मांडे ने संयुक्त प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सीएसआईआर के लिए रक्षा क्षेत्र हमेशा से प्राथमिकता का क्षेत्र रहा है, इसका उद्देश्य उन्नत तकनीकों में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता हासिल करना है। समझौते के तहत तत्काल शुरू की जानेवाली कुछ परियोजनाओं में अल्टरनेटिव डिसेलिनेशन टेक्नोलॉजी विकसित करना, रिमोट संचालन के लिए वायरलेस एमईएमएस आधारित सेंसर की स्थापना, विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए गैस टर्बाइन जनरेटर ब्लेड के रेसीडूएल लाइफ असेसमेंट का अध्ययन शामिल है।