Monday 8 April 2019 04:35:15 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने देश में सत्रहवें लोकसभा चुनाव में जहां विकसित भारत और देशवासियों के तमाम बुनियादी मुद्दों पर औरों से ज्यादा फोकस किया है, वहीं उसने देशभर की भावनाओं के केंद्र 'राष्ट्रवाद' का मार्ग अख्तियार किया है और आज जारी अपने बहुप्रतीक्षित 'चुनाव संकल्प पत्र' में राष्ट्रवाद को प्रमुख स्थान दिया है। भाजपा ने स्पष्ट कहा है कि उसकी सरकार कश्मीर की मूल समस्या धारा 35ए और 370 को खत्म कर देगी, देश में कॉमन सिविल कोड लागू करेगी और देश की सुरक्षा एकता और अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए समुचित कदम उठाएगी। भाजपा ने श्रीराम मंदिर पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है और सबरीमाला मुद्दे को भी सुप्रीम कोर्ट में उचित तरीके से पेश करने को कहा है। बहरहाल 'भाजपा के राष्ट्रवाद' में वह सबकुछ आ जाता है, जिसकी देश की जनता इच्छा रखती है, क्योंकि राष्ट्रवाद के बिना विकसित भारत और प्रत्येक नागरिक की खुशहाली की आशा नहीं की जा सकती। भारत में इस समय राष्ट्रवाद पर बड़ा संकट है और भाजपा ने इसी में देश की तमाम समस्याओं का हल खोजने की रणनीति बनाई है।
दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर आज सवेरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली एवं भारतीय जनता पार्टी के अनेक बड़े नेताओं की मौजूदगी भाजपा ने अपना बहुप्रतीक्षित चुनाव संकल्प पत्र जारी कर दिया। भाजपा के चुनाव संकल्प पत्र में 75 नए संकल्प हैं। अड़तालीस पन्नों के इस चुनाव संकल्प पत्र में भाजपा ने देश की जनता को भरोसा दिया है कि देश उसकी सरकार के हाथों में न केवल सुरक्षित रहेगा, अपितु भारत विकसित भारत भी होगा। भाजपा ने इसके लिए किसानों और महिलाओं, राष्ट्रीय सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, युवाओं, आम लोगों के आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य योजनाओं, रोज़गार के अवसर बढ़ाने एवं ग़रीबी कम करने जैसे मुद्दों पर सिलसिलेवार और विस्तारपूर्वक फोकस किया है। चुनाव संकल्प पत्र में नरेंद्र मोदी सरकार के पांच साल के कार्यों और उपलब्धियों की भी जानकारी दी गई है। चुनाव संकल्प पत्र देश के छह करोड़ से अधिक लोगों की अनुशंसाओं पर आधारित है, इसमें कॉरपोरेट से लेकर अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ और आम लोगों का विज़न शामिल है। गौरतलब है कि भाजपा ने सुझाव पेटियां लगाकर लोगों से संकल्प पत्र के लिए अपनी सलाह देने को आमंत्रित किया था और सोशल मीडिया पर भी लोगों से सुझाव मांगे गए थे।
चुनाव संकल्प पत्र में भाजपा ने ऐसे वायदे नहीं किए हैं, जिनपर विरोधी दलों को हंगामा करने का मौका मिले, यद्यपि इस चुनाव संकल्प पत्र पर भी कांग्रेस ने जबरदस्त हमला बोला है। कांग्रेस की इसपर सबसे बड़ी समस्या यह है कि भाजपा ने राष्ट्रवाद के जरिए देश को एकजुट करने की कोशिश की है और इस एकजुटता में देश भाजपा के साथ खड़ा होता दिखाई पड़ रहा है। भाजपा ने चुनाव संकल्प पत्र में लोकलुभावन जुमलों से परहेज किया है और देश की जनता को नाहक ही किसी लोभलालच में फंसाने की कोशिश नहीं की है, जिस प्रकार कांग्रेस ने देश के बीस प्रतिशत ग़रीबों के खाते में छह हजार रुपये महीना जमा करने का एक असंभव वादा किया है। इसी प्रकार सपा-बसपा गठबंधन भी भाजपा के चुनाव संकल्प पत्र से विचलित है, क्योंकि उसे लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा के पहले चरण में उनके गठबंधन से ध्रुवीकरण होता दिख रहा है, जिसका उसे बड़ा नुकसान हो सकता है। चुनाव संकल्प पत्र में बाकी वह सबकुछ है, जिनपर मोदी सरकार पहले से ही काम करती आ रही है और उसमें कुछ नए संकल्प जोड़े गए हैं, जो बाकी राजनीतिक दलों के चुनाव घोषणा पत्रों पर भारी पड़ रहे हैं। भाजपा ने व्यापारी वर्ग के कल्याण के लिए पहले से और भी ज्यादा स्कीम फोकस की हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने बारबार कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी, आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस। कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की वापसी सुनिश्चित की जाएगी। तीन तलाक को कानून बनाकर खत्म किया जाएगा। इंजीनियरिंग और कानून की गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जाएंगी। ग़रीब परिवारों को एलपीजी और हर घर में पेयजल। सौ फीसद लोगों को बिजली। सीमांत किसानों के लिए पेंशन योजना का ऐलान। छोटे दुकानदारों को पेंशन की सुविधा। रोज़गार और स्वरोज़गार का संकल्प। पांच किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाएं होंगी। छोटे मझोले किसानों को 60 साल बाद पेंशन मिलेगी। देश में 75 नए मेडिकल और पीजी कॉलेज खोले जाएंगे। उच्चशिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। वर्ष 2022 तक देश के राष्ट्रीय राजमार्ग दोगुने हो जाएंगे। सभी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण होगा। नागरिकता संशोधन बिल पारित किया जाएगा और गैरकानूनी अप्रवासियों पर और भी ज्यादा सख्ती होगी। वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2032 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का चुनाव संकल्प पत्र में उल्लेख किया गया है। भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के सहयोगियों ने जहां भाजपा के चुनाव संकल्प पत्र की तारीफ की है, उसे राष्ट्र और राष्ट्र की प्रगति के लिए उल्लेखनीय और जरूरी बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा का संकल्प पत्र मात्र घोषणा नहीं है, हम महात्मा गांधी के ग्रामस्वराज्य का सपना पूरा करेंगे और श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए सारी संभावनाएं तलाश करेंगे। गौरतलब है कि भाजपा ने श्रीराम मंदिर विवाद को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस के सामने भाजपा के पांच साल पर तगड़ा हमला किया है और भाजपा के हर एक संकल्प पर सवाल उठाए हैं। कहने का मतलब है कि भाजपा सरकार ने कांग्रेस के हिसाब से देश के लिए कुछ नहीं किया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने दावों को सिद्ध करने के लिए भारत सरकार की कई रिपोर्ट्स का हवाला दिया। रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी का मूल मंत्र है झांसे में फांसों। उन्होंने कहा कि यह भाजपा का संकल्प पत्र नहीं है, मोदीजी 125 झूंठे वादों का हिसाब दें, देश को भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार पर भरोसा करना भारी पड़ रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार ने देश के विश्वास में विष घोल दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा को संकल्प पत्र नहीं, बल्कि माफीनामा जारी करना चाहिए था, क्योंकि भाजपा ने झूंठे वादे किए हैं। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह संकल्प पत्र नहीं, बल्कि झांसा पत्र है। उन्होंने पूछा कि नरेंद्र मोदी ने जीएसटी, नोटबंदी पर एक भी शब्द क्यों नहीं बोला है और उनके कालेधन पर किए हुए वादों का क्या हुआ।
चुनाव संकल्प पत्र इस बार कोई सामान्य चुनाव घोषणा पत्र नहीं है। मालूम हो कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं होने के कारण भाजपा के पिछले घोषणा पत्र के कई वादे अधूरे रह गए, जिनमें राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दे हैं। तीन तलाक, सामान नागरिकता विधेयक, अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण, कश्मीर की धारा 35ए जैसे वो अनेक मुद्दे जिनका समाधान केवल दोनों सदनों के समर्थन पर टिका है, केवल इसलिए हल नहीं हो सके, क्योंकि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं था। सत्रहवीं लोकसभा में भाजपा का राज्यसभा में भी बहुमत हो जाएगा, जिसके बाद भाजपा के लिए संसद में कोई भी कानून पारित कराने की शक्ति हासिल हो जाएगी। भाजपा के विरोधी दलों की यही समस्या है कि भाजपा को राज्यसभा में बहुमत मिलने से उनका प्रभाव समाप्त हो जाएगा और फिर भाजपा को कोई भी नहीं रोक पाएगा। इस बार सम्पूर्ण विपक्ष भाजपा के खिलाफ खड़ा है, लेकिन जनता भाजपा के साथ दिखाई पड़ रही है। माना जा रहा है कि भाजपा के चुनाव संकल्प पत्र में राष्ट्रवाद का मुद्दा सभी पर भारी पड़ गया है, इसीलिए जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, गुलामनबी आज़ाद, हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी, बंगाल में ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की सांसे उखड़ती दिखाई दे रही हैं।