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Tuesday 16 April 2019 01:29:39 PM
नई दिल्ली। फाउंडेशन फ़ॉर क्रिएटिविटी एंड कम्युनिकेशन के सहयोग से हिंदू कालेज की नाट्य संस्था अभिरंग ने सांस्कृतिक भ्रमण का आयोजन किया। इस यात्रा का शीर्षक था-'कुछ दूर तो चलकर देखो'। जाने-माने नाटककार और यात्रा आख्यानकार प्रोफेसर असग़र वजाहत के निर्देशन में युवा कलाकारों ने ग़ालिब की हवेली, जामा मस्जिद और गुरुद्वारा शीशगंज साहिब के दर्शन किए। असग़र वजाहत ने जामा मस्जिद के प्रांगण में मध्यकाल के अनेक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सभ्यता और संस्कृति सभी समुदायों, सभी लोगों को साथ लेकर चलने से बनती है। उन्होंने सूफी संत सरमद, मौलाना आज़ाद और जामा मस्जिद से जुड़ी किंवदंतियां सुनाईं। जामा मस्जिद से चावड़ी बाज़ार होते हुए गली कासिमजान जाते हुए प्रोफेसर असग़र वजाहत ने 1857 की क्रांति और मराठों के दिल्ली शासन से जुड़े अनेक प्रसंग भी सुनाए।
ग़ालिब की शायरी का महत्व बताते हुए प्रोफेसर असग़र वजाहत ने कहा कि वे भारत के पहले आधुनिक लेखक हैं, जो मनुष्य जीवन को अत्यधिक सम्मान देते हैं। उन्होंने गुरु तेगबहादुर की शहादत और गुरुद्वारे की ऐतिहासिकता के कुछ प्रसंग भी सुनाए। प्रोफेसर असग़र वजाहत ने सांस्कृतिक भ्रमण में हिंदू कालेज के युवा रंगकर्मियों की अनेक जिज्ञासाओं के उत्तर भी दिए। अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने विद्यार्थियों को पर्यटन और सांस्कृतिक-सामाजिक पर्यटन में भेद बताते हुए प्रोफेसर असग़र वजाहत की सराहना की और कहा कि वे हमारी संस्कृति के उन दुर्लभ लेखकों में से हैं, जो साहित्य को सामाजिकता से अभिन्न मानते हैं। अभिरंग के संयोजक विनीत कांडपाल ने आभार प्रदर्शित किया।