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Thursday 18 April 2019 03:22:39 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भगवान महावीर के जीवन और जैन धर्म के दर्शन में समकालीन दुनिया के लिए कई महत्वपूर्ण सीख हैं। हैदराबाद में जैन सेवा संघ की ओर से महावीर जयंती पर आयोजित भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे समय के गंभीर सवालों के कुछ जवाब भगवान महावीर के दर्शन, सिद्धांतों और शिक्षाओं में प्राप्त होते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भगवान महावीर के अहिंसा, सत्य और सार्वभौमिक करुणा के संदेशों ने सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के उपदेशों की आध्यात्मिक रोशनी और नैतिक गुण सभी लोगों को शांति, सद्भाव और मानवता के लिए प्रगति के प्रयास के लिए प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर पृथ्वी के सबसे उत्कृष्ट और प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि जैन धर्म ने भारत के आध्यात्मिक विकास में बहुत योगदान दिया है और सत्य, अहिंसा एवं शांति के आदर्शों के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को मजबूत करने में मदद की है। उपराष्ट्रपति ने भारत की गौरवशाली प्राचीन सभ्यता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत कई प्रकार से दुनिया में अग्रणी देश था। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी था, जो प्रेम, शांति, सहिष्णुता और भाईचारे के उच्चतम मानवीय मूल्यों, गहन ज्ञान, ज्ञान का स्रोत और दुनिया के लिए विश्वगुरु था। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया में नेतृत्व का अपना सही स्थान फिर से प्राप्त करना है। वेंकैया नायडू ने कहा कि हम एक अराजक समय में रह रहे हैं।उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया एक तरफ आतंकवाद, उग्रवाद और गृहयुद्धों जैसे कई रूपों में हिंसात्मक लड़ाई लड़ रही है और दूसरी ओर संसाधनों के अनियंत्रित दोहन, असंतुलित और निम्न ढंग से बनाई गई विकास योजनाओं के दुष्परिणामों से जूझ रही है। उन्होंने सावधान किया कि हमें या तो अपने जीने के तरीके को बदलना होगा या अपने कार्यों के दुष्परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोग देश और दुनिया के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने के लिए आतंकवाद में लिप्त हैं। उन्होंने इच्छा जताई कि सभी देश एकजुट होकर आतंकवाद के खतरे से लड़ें। उन्होंने लोगों से शांति का प्रचार करने और अभ्यास करने का आग्रह किया, क्योंकि यह प्रगति के लिए एक पूर्व शर्त है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व आज की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों के मामले में हमें जो कुछ भी विरासत में मिला है, हम केवल उसके संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें सर्वश्रेष्ठ परिस्थितियों में अपनी संतति को सौंपें जिससे कि जीवन की निरंतरता के लिए बाधित न हो। वेंकैया नायडू ने लोगों से शांति प्राप्त करने के लिए प्रयास करने और प्रकृति के साथ अपने संबंधों में सामंजस्य बिठाने की हर संभव कोशिश करने की अपील की। प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के प्रचुर संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को रोकना चाहिए तथा अपने जीवन जीने के तरीके में संयम लाना चाहिए।
वेंकैया नायडू ने कहा कि अत्यावश्यक मुद्दों के समाधान के लिए लोगों को आत्मनिरीक्षण करने और प्राचीन मूल्यों पर फिर से विचार करने एवं उनमें से सर्वश्रेष्ठ को पहचानने का समय है। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन हमेशा प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने में विश्वास करता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्ति को अपनी जड़ों की तरफ वापस जाना चाहिए और प्रकृति के साथ प्रेम करना एवं जीना सीखना चाहिए। इस अवसर पर जैन सेवा संघ के अध्यक्ष विनोक कीमती, जैन सेवा संघ के महासचिव योगेश सिंघी, भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के मुख्य संयोजक अशोक बेरमिच्छा, जैन सेवा संघ के संयोजक और समन्वयक प्रवीण पंड्या भी उपस्थित थे।