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Tuesday 23 April 2019 02:54:13 PM
बेंगलुरु। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारत, श्रीलंका और विश्व के विभिन्न देशों में हो रहे आतंकवादी हमलों पर दुख व्यक्त किया है और संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों का आतंकवाद के खात्मे पर समग्र समझौते, आतंकवाद के सभी स्वरूपों को अपराध करार देने, आतंकवादियों को आर्थिक सहायता धन, हथियारों तक उनकी पहुंच संभव बनाने वाले और उन्हें सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने वालों को नकारने के लिए भारत द्वारा प्रस्तुत योजना से संबंधित विचार-विमर्श का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने विश्व समुदाय से अनुरोध किया कि वह धरती से आतंकवाद के खात्मा के लिए सम्मिलित कार्रवाई शुरू करे। बैंगलोर विश्वविद्यालय के 54वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने ये विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राष्ट्रीय नीति के तौरपर आतंकवाद भड़काने और उसको प्रोत्साहन देने को वाले देशों को अलग-थलग करते हुए विश्व समुदाय आतंकवाद की अमानवीय बुराई से निपटने के लिए सम्मिलित कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि केवल भर्त्सना करना और मुआवजा देना ही पर्याप्त नहीं होगा, हमें आतंकवाद पर काबू पाना होगा और इसके सभी स्वरूपों को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। उपराष्ट्रपति ने श्रीलंका में हुए बर्बर आतंकवादी हमलों में अनेक मासूम लोगों के मारे जाने पर दुख प्रकट किया और कहा कि भारत दुख की इस घड़ी में श्रीलंका सरकार और जनता के साथ है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस अवसर पर कहा कि उच्च शिक्षा को जाति, नस्ल, धर्म और लिंग की बाधाओं से ऊपर उठना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक उच्च शिक्षा का संबंध है, सामाजिक एकता और लड़के-लड़कियों में समानता का सिद्धांत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मानदंडो के अनुरूप अच्छी शिक्षा उपलब्ध करना समय की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत के अतीत के गौरव को फिर से बहाल करें और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के विस्तार, मैसिव ओपन ऑन लाइन कोर्सिस और दूरस्थ शिक्षा के जरिए उच्च शिक्षा के डिजिटीकरण जैसी पहलों के माध्यम से ज्ञान के सृजन और प्रसार का कार्य बड़े पैमाने पर करें। उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं से विविध विशेषज्ञता और विषयों के एकीकरण की सुविधा से युक्त इंटरैक्टिव शैक्षणिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा प्रणाली युवाओं को इतना समर्थ बनाए कि वे मौजूदा तकनीकी-पूंजीवादी विश्व व्यवस्था और उसकी ज्ञान पर आधारित अर्थव्यवस्था को सेवाएं प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि ज्ञान पर आधारित विकास की अवधारणा भारत को अपने जबर्दस्त जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने में समर्थ बनाएगी। उन्होंने कहा कि स्किल, रिस्किल एंड अनस्किल की तीन आयामी कार्यनीति साथ ही साथ लर्न, रीलर्न और अनलर्न को शामिल करके कौशल आधारित शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।
वेंकैया नायडू ने कहा कि न सिर्फ हमारी शैक्षणि संस्थाओं को वैश्विक ज्ञान के केंद्र बनाने, बल्कि छात्रों को रोज़गार पाने योग्य कौशलों से संपन्न करने के लिए भी हमारी उच्च शिक्षा में आमूलचूल बदलाव और सुधार की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन अनुपात मात्र 27 प्रतिशत, जबकि अमरीका और चीन में क्रमशः 85.8प्रतिशत और 43.4 प्रतिशत होने पर बात पर चिंता प्रकट करते हुए सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाने के उपायों का आह्वान किया। दीक्षांत समारोह में कर्नाटक के राज्यपाल और बैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति वजुभाई वाला, बैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केआर वेणुगोपाल, बैंगलोर विश्वविद्यालय के पंजीयक प्रोफेसर बीके रवि, बैंगलोर विश्वविद्यालय के पंजीयक मूल्यांकन प्रोफेसर सी शिवराजू, मानद डिग्री से सम्मानित होने वाले विशिष्ट जन, सिंडीकेट के सदस्य, अकादमिक परिषद, आमंत्रित गणमान्य व्यक्ति, संकाय और स्टाफ के सदस्य, छात्र और उनके माता-पिता उपस्थित थे।