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Wednesday 24 April 2019 02:03:11 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आईईपीएफ प्राधिकरण को एक बड़ी कामयाबी मिली है, वह द पीयरलेस जनरल फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड से लगभग 1514 करोड़ रुपये की जमा राशि आईईपीएफ में हस्तांतरित कराने में समर्थ साबित हुआ है। जमाकर्ताओं की यह रकम 15 वर्ष से कंपनी में अटकी हुई थी। यह मामला हाल ही में प्राधिकरण के संज्ञान में आया था और प्राधिकरण के सक्रिय प्रयासों के बदौलत छोटी सी अवधि में ही यह धनराशि आईईपीएफ में हस्तांतरित कर दी गई है। कंपनी ने यह धनराशि लगभग 1.49 करोड़ जमा प्रमाणपत्र जारी कर इकट्ठी की थी और इसमें एक करोड़ से भी ज्यादा व्यक्तिगत निवेशक शामिल थे।
द पीयरलेस जनरल फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से यह पता चला है कि कुल राशि का 50.77 प्रतिशत 2000 रुपये अथवा उससे कम मूल्य के जमा प्रमाणपत्रों के रूपमें प्राप्त किया गया था। संख्यावार ये जमा प्रमाणपत्र जारी किए गए कुल जमा प्रमाणपत्रों का 85.32 प्रतिशत हैं। इनमें से ज्यादातर निवेशक आम नागरिक हैं, जो निम्न एवं मध्यम आय वाले तबकों के हैं, इनमें दिहाड़ी मजदूर इत्यादि भी शामिल हैं। यदि भौगोलिक दृष्टि से देखें तो ये निवेशक देश के 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के रहने वाले हैं। ज्यादातर निवेशक पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। आईईपीएफ प्राधिकरण एक ऑनलाइन सुविधा शुरू करने की तैयारी में है, जिससे कि उन जमा राशियों के बारे में सीधे रिटेल अथवा छोटे निवेशकों से आरंभिक सूचनाएं प्राप्त की जा सकें, जो या तो परिपक्व हो चुकी हैं अथवा पुनर्भुगतान या ब्याज की अदायगी के लिए अब भी विभिन्न निकायों के यहां अटकी पड़ी हैं। आईईपीएफ प्राधिकरण इस तरह की सभी कंपनियों और अन्य निकायों से कंपनी अधिनियम के प्रावधानों अथवा अन्य संबंधित सहायक कानूनी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठा सकता है।
आईईपीएफ प्राधिकरण ने उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की हुई है, जिन्होंने अदा न की गई लाभांश राशि आईईपीएफ को हस्तांतरित तो कर दी है, लेकिन वे कंपनी अधिनियम की धारा 124(6) के अनुसार शेयरों को हस्तांतरित करने में विफल रही हैं। कुछ अन्य मामलों में कंपनियां अपनी-अपनी बैलेंस शीट में बगैर दावे वाली राशियां एवं अदा न की गई रकम दर्शा तो रही हैं, लेकिन उन्होंने सात वर्ष की लंबी अवधि गुजर जाने के बाद भी इस तरह की धनराशियां आईईपीएफ को हस्तांतरित नहीं की हैं। जानकारी अनुसार आईईपीएफ प्राधिकरण ने कंपनी अधिनियम की धारा 206(4) के तहत कंपनियों को 4000 से भी ज्यादा नोटिस जारी किए हैं, ताकि उनसे आवश्यक सूचनाएं प्राप्त की जा सकें। यह बात संज्ञान में आई है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित ऐसी अनेक कंपनियां हैं, जिन्होंने न तो इस तरह की धनराशियां अपने संबंधित निवेशकों को रिफंड की हैं और न ही इन्होंने सात वर्ष की अवधि गुजर जाने के बाद भी इस तरह की रकम आईईपीएफ को हस्तांतरित की है।
कंपनी अधिनियम 2013 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूपमें भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अधीन आईईपीएफ प्राधिकरण की स्थापना की गई थी और इसको निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है एवं इसके पीछे मुख्य उद्देश्य निवेशक शिक्षा, जागरुकता और संरक्षण को बढ़ावा देना है। यह प्राधिकरण निवेशक जागरुकता कार्यक्रमों के साथ-साथ विभिन्न अन्य माध्यमों जैसेकि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया, सामुदायिक रेडियो इत्यादि के जरिए अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न तरह के प्रयास करता रहता है। आईईपीएफ कोष का आकार एक साल के भीतर ही लगभग दोगुना हो गया है, इसकी संचित राशि लगभग 4138 करोड़ रुपये है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव इस प्राधिकरण के चेयरमैन हैं, जबकि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।