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Monday 29 April 2019 01:26:10 PM
नई दिल्ली। गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर आशुतोष मोहन ने हिंदू कालेज की हिंदी नाट्य संस्था अभिरंग के दीक्षांत समारोह में दार्शनिक विचार प्रकट करते हुए कहा है कि नाटक दार्शनिक सम्बद्धता के साथ जीवन से संवाद है और यदि हम यथार्थ का जीवन देखना और समझना चाहते हैं तो हमें रंगमंच की तरफ जाना ही होगा। प्रोफेसर आशुतोष मोहन ने कहा कि कला को जानना, समझना और जीवन में उतारना बहुत कठिन है, हमें इसके लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि अभिनेता और रंगकर्मी अनूप त्रिवेदी थे, जिन्होंने अपने गुरु हबीब तनवीर के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि रंगमंच पढ़ने से ज्यादा करने की कला है। अनूप त्रिवेदी ने हिंदू कालेज की रंगकर्म गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि इस अभ्यास से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में निश्चित ही सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। अनूप त्रिवेदी ने प्रोफेसर असग़र वजाहत के प्रसिद्ध नाटक 'जस लाहौर नी वेख्या' से एक ग़ज़ल भी गाकर सुनाई।
अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने दीक्षांत समारोह में सत्र 2018-19 की गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सत्र में नाटक और नुक्कड़ नाटक के साथ-साथ शैक्षिक और सह शैक्षणिक गतिविधियों में भी अभिरंग की सक्रियता बनी रही है। अभिरंग के नाटक 'जात-जात की बात' के निर्देशक हिरण्य हिमकर ने राहुल सहाय और काजल साहू को इस सत्र के श्रेष्ठ अभिनेता और अभिनेत्री का पुरस्कार दिया। दीक्षांत समारोह में डॉ धर्मेंद्र और डॉ नौशाद ने विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। समारोह में अभिरंग से जुड़े पुराने विद्यार्थी और शिक्षक भी उपस्थित थे। सचिव विकास मौर्य ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।