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देश भर के गोस्वामी समाज का आगरा में मिलन

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इलाहाबाद। आगरा में 30 अप्रैल को अखिल भारतीय स्तर पर 'गोस्वामी' समाज का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। सन् 1982 में इलाहाबाद में भारत के पूर्व सॉलीसिटर जनरल आनंद देव गिरि के नेतृत्व में गोस्वामियों का एक वृहद सम्मेलन हुआ था जिसमें देश भर के हजारों गोस्वामियों ने भाग लेकर एक जागृत एवं सुसंगठित अखिल भारतीय मंच स्थापित करने का संकल्प लिया था। हालांकि उस समय भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में गोस्वामियों के संगठन सक्रिय थे और दिल्ली, अजमेर, कोटा, भोपाल, प्रयाग, इंदौर, होसंगाबाद, रूड़की, पटना, मंदसौर, गुजरात, नेपाल, मेरठ आदि स्थानों पर गोस्वामियों की पत्रिकाएं विभिन्न नामों से प्रकाशित होती आ रही थीं, तथापि गोस्वामी बंधुओं की टूटी-बिखरी क्षेत्रीय कड़ियों को जोड़ने का कार्य हुआ। आज गोस्वामियों के प्रबुद्ध-स्वाभिमानी और जागरूक लोग अपने-अपने स्तर पर समाज की अलख जगाए हुए हैं।

गोस्वामी समाज के बीसवीं सदी के इतिहास का स्मरण करें तो विभिन्न क्षेत्रों में गोस्वामियों के अनेक विख्यात नाम स्मृति पटल पर आ जाते हैं। भारत के चौथे राष्ट्रपति रहे वीवी गिरि, नेपाल के प्रधानमंत्री तुलसी गिरि, आसाम से केंद्रीय सरकार के मंत्री दिनेश गोस्वामी, आसाम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राधाकृष्ण गोस्वामी, भारतीय हिंदी सिनेमा के विख्यात अभिनेता मनोज कुमार गोस्वामी, उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधायक घनश्याम गिरि हरिद्वार, रूद्रदत्त गिरि एमएलसी, सुदामा प्रसाद गोस्वामी, गोपी नाथ कामेश्वर पुरी आदि का नाम सर्वविदित है। इसी प्रकार गोस्वामियों का देश की आजादी के संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह-दशनानी साधुओं एवं नागाओं का सन्यासी नागा विद्रोह था जिसने बंगाल एवं देश के जनमानस को इतनी गहराई से प्रभावित किया था कि सन्यासी नागा विद्रोह पर आधारित उपन्यास आनंदमठ के माध्यम से स्वाधीनता का उद्घोष मंत्र 'वंदे मातरम्' देश को प्राप्त हुआ।

इसी मंत्र का जयघोष करते हुए अनेक क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को चूम लिया था। मुगल काल में अखाड़ा नागा सन्यासी तो अपनी सैन्य शक्ति के बल पर देश के धार्मिक स्थानों-तीर्थों की रक्षा का पुनीत उत्तरदायित्व संभालते ही रहे। हिंदी साहित्य के इतिहास में आधुनिक हिंदी के पहले कहानी लेखक किशोरी लाल गोस्वामी की 'इंदुमती' और काशी के प्रसिद्ध संत कवि बाबा दीनदयाल गिरि का नाम कौन नहीं जानता? सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज देश के कोने-कोने में स्थित हजारों मठों, मंदिरों, अखाड़ों एवं आश्रमों में साधनामय जीवन व्यतीत करने वाले तमाम पूजनीय संत एवं महंत कहीं न कहीं आदि शंकराचार्य प्रवर्तित उसी गोस्वामी सन्यासी परंपरा गंगा के अभिन्न अंग हैं जो भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी पहचान है। गृहस्थ गोस्वामियों की संख्या भी एक विश्वस्तरीय अनुमान के अनुसार करोड़ से ऊपर है परंतु यह सब होते हुए भी गोस्वामियों की पहचान एवं स्वाभिमान के वर्तमान परिदृश्य पर एक प्रश्न चिन्ह चला आ है। राष्ट्रीय स्तर पर तो छोड़िए, प्रादेशिक स्तर पर भी उनकी कोई आवाज सुनाई नहीं देती है। हकीकत तो यह है कि देश के राज्यों एवं राजनीतिक गलियारों में सत्ता के बज रहे नक्कारों के बीच गोस्वामियों की आवाज़ तूती की आवाज़ है।

ऐसा नहीं है कि सन् 82 में प्रयाग में आनंद देव गिरि ने गोस्वामियों को अखिल भारतीय मंच एवं आवाज देने की जो कोशिश की थी वह पूरी तरह बेकार गई। उन्होंने अपनी विरासत जिन्हें भी सौंपी वे उसे जिंदा रखकर रस्म अदायगी करते रहे। इसमें उनका भी कोई दोष नहीं माना जाता है, शायद उनके संकल्प में इतनी ही ताकत थी कि वे कई मामलों में तो आवश्यक औपचारिकताओं का निर्वाह भी नहीं कर पाए। इस यथास्थिति वाद से निराश एवं चिंतित समाज के कुछ पुराने वरिष्ठ मार्गदर्शक एवं कार्यकर्ताओं ने अखिल भारतीय गोस्वामी महासभा के संस्थापक अध्यक्ष आनंद देव गिरि की विरासत आनंद शेखर गिरि को सौंपी। पिछले साल होली मिलन में विभिन्न प्रदेशों के पदाधिकारियों, प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव पारित कर आनंद शेखर गिरि को अखिल भारतीय गोस्वामी महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया।

विगत एक वर्ष से आनंद शेखर गिरि उत्तर प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों में गोस्वामियों को जागृत एवं संगठित कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ गोस्वामी समुदाय के सामाजिक/आर्थिक उत्थान एवं सम्मान का ही प्रश्न नहीं है बल्कि हजारों साल पहले जिस गंगोत्री से यह गोस्वामी गंगा निकली थी उसके मूल अर्थात भारतीय धर्म-संस्कृति की रक्षा का भी मुद्दा इससे जुड़ा है और गोस्वामी समुदाय की सार्थकता भी इसी में है। पहली बार यह कोशिश होगी कि मठों-मंदिरों, आश्रमों एवं अखाड़ों से जुड़ा गोस्वामी समाज, करोड़ों गृहस्थ गोस्वामियों से सेतुबंध कर उनका संरक्षक एवं मार्गदर्शक भी बने। उन्होंने गोस्वामी बंधुओं, आग्रह किया है कि वे भारी संख्या में 30 अप्रैल 2011 को सुबह 9:30 बजे कैलाश मंदिर आगरा गोस्वामी समाज के राष्ट्रीय अधिवेशन में पहुंचे और समाज के 'आत्म-मंथन' में अपने बहुमूल्य सुझाव के साथ मार्गदर्शन करें।

अधिवेशन में भाग लेने वालों में प्रमुख रूप से किशन गिरि गोस्वामी, मनीष सूरी, विश्राम गिरि गोस्वामी राजस्थान, सतीश चंद्र गिरि उत्तर प्रदेश, आशुतोष गिरि, पूरन गिरि, मंसुख पुरी, महेंद्र गिरि, इंजीनियर हरिश्चंद्र गिरि गुजरात, अनिल गिरि, द्वारिका प्रसाद गिरि गोस्वामी, शंकर पुरी, लक्ष्मण पुरी, बाबू लाल गिरि, शंकर गिरि, रूद्र गिरि मध्य प्रदेश, आदेश गिरि, राम पुरी उत्तराखंड, जसवीर भारती हरियाणा, शिव कुमार गोस्वामी हरियाणा, जीवी भार्गव महाराष्ट्र, मूल चंद्र गोस्वामी दिल्ली, टुन्नू गिरि, मनोरंजन गिरि बिहार, भगवती चरण भारती पश्चिम बंगाल, नीता गोस्वामी, श्याम बिहारी गिरि, जनार्दन गिरि झारखंड, सोम प्रकाश गिरि छत्तीसगढ़, राज कुमार गिरि आसाम, सतीश गिरि, पंजाब, दिनेश चंद्र गिरि, सुधाकर भारती, सुभाष चंद्र गोस्वामी, हिमाचल प्रदेश, राजदेव गिरि अंडमान निकोबार, वीरेंद्र गिरि, नवल गिरि, दिनेश गिरि गोस्वामी आंध्र प्रदेश, अनीता गिरि गोस्वामी शिलांग 'मेघालय', अर्चना गिरि गोस्वामी उड़ीसा, पृथु गिरि-एडवोकेट दार्जिलिंग, वीपी गोस्वामी तमिलनाडु, कृष्ण गिरि कनिष्ठ भ्राता डॉ तुलसी गिरि, अनुराम गिरि पुत्र-डॉ तुलसी गिरि नेपाल, राज किशोर भारती-पूर्व प्रथम राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय गोस्वामी महासभा, सीताराम गिरि-प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय दशनाम गोस्वामी समाज पंचदशनाम जूना अखाड़ा, डॉ संत गिरि-अध्यक्ष अवध गोस्वामी समाजोत्थान समिति शामिल हैं।

अधिवेशन की आयोजन समिति में राम मिलन गिरि-राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, बजरंग बली गिरि-राष्ट्रीय महासचिव, जय प्रकाश गिरि-राष्ट्रीय सचिव, सतेंद्र गोस्वामी-राष्ट्रीय संगठन सचिव, सीताराम गिरि-राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, महंत निर्मल गिरि-अध्यक्ष उत्तर प्रदेश, वीजी गिरि, फूलचंद्र भारती, रामाशीष भारती, राम औतार गिरि, राजेश गिरि महासचिव प्रदेश, प्रवीण कुमार गिरि प्रदेश कोषाध्यक्ष, कैलाश गिरि महासचिव प्रदेश, अशोक गिरि, महात्म गिरि, योगेंद्र गिरि, कपिल गोस्वामी, प्रमोद कुमार गिरि, मुनेंद्र गिरि, सुरेंद्र गिरि, रूप नारायण गिरि संगठन सचिव उत्तर प्रदेश, राममणि गिरि-एडवोकेट प्रदेश अध्यक्ष महिला इकाई, जयंती भारती उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश, दीपा गोस्वामी महासचिव, रेखा गोस्वामी संगठन मंत्री उत्तर प्रदेश हैं।

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