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लखनऊ। भारत की जनगणना में स्पष्ट रूप से सामने आ गई है यूपी की नई तस्वीर। सामने आए नए आंकड़े विकास की सटीक योजनाएं बनाने के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं। उत्तर प्रदेश राज्य में जनसंख्या की गणना के प्रथम चरण जैसे-मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना का कार्य 16 मई से 30 जून, 2010 की अवधि में पूर्ण किया गया। इस दौरान मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना अनुसूची के माध्यम से मकानों को सूचीबद्ध करने के साथ उनमें व्यक्ति के रहने के बारे में सूचना एकत्रित की गई थी तथा परिवारों के पास उपलब्ध सुविधाएं जैसे-मकान की स्थिति, मकान के फर्श, दीवार और छत में प्रयुक्त प्रमुख सामग्री, मकान के स्वामित्व की स्थिति, परिवार के पास उपलब्ध कमरों की संख्या, पेयजल का मुख्य स्रोत, प्रकाश का मुख्य स्रोत, शौचालय सुविधा, रसोई घर की उपलब्धता, खाना पकाने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला ईंधन, रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, कंप्यूटर, लैपटाप, टेलीफोन, मोबाईल फोन, साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, मोपेड, कार, जीप, वैन, बैंकिग सेवा का उपयोग आदि के बारे में सूचना एकत्रित की गई थी।
जनगणना का कार्य दो चरणों में किया जाता है। मकान सूचीकरण का कार्य दशकीय जनसंख्या की गणना करने से पहले किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कार्य है। मकान सूचीकरण करने का एक मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भवन, संरचना और स्थान का पता लगाया जाना है, ताकि उनके उपयोग अर्थात आवासीय, गैर आवासीय अथवा अन्य का पता लगाकर जनसंख्या की गणना, जो कि मकान सूचीकरण के बाद की जाती है, के लिए एक ढांचा (फ्रेम) तैयार किया जा सके। मकान सूचीकरण कार्य के दौरान संपूर्ण प्रदेश को छोटी-छोटी इकाईयों में बांटा जाता है, जिसे गणना ब्लाक कहा जाता है, जिसमें प्रगणक को निर्धारित मकानसूची अनुसूची में सभी वांछित सूचनाएं दर्ज करनी होती हैं। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। इस राज्य में 71 जिले, 312 तहसीलें, 648 सर्वाधिक नगर, 267 जनगणना नगर एवं 1 लाख 6 हजार 773 ग्राम हैं। प्रत्येक इकाई में आंकड़ों को संकलित करने हेतु लगभग 4,00,000 कर्मियों की सेवाएं ली गईं, तत्पश्चात जनगणना निदेशालय के सैकड़ो अधिकारियों, कर्मचारियों के एक साल के अथक प्रयास एवं परिश्रम के फलस्वरूप आंकड़ों को अंतिम रूप दिया जा सका।
इस बार पहले की जनगणनाओं की तुलना में जनगणना 2011 के आंकड़ों को कम समय में संशोधित कर देश की जनता के कल्याण हेतु उपलब्ध कराया जाना संभव हो सका। वर्ष 2001 की जनगणना में जहां पर यह ऑकड़े सितंबर 2003 में जारी किये गये थे, वहीं पर जनगणना 2011 में पूर्व से लगभग डेढ़ वर्ष पहले जारी किये जा रहे हैं। पूरे भारत वर्ष में 2001 की जनगणना में लगभग 90 लाख अनुसूचियों को संशोधित कर ऑकड़े जारी किये गये थे, वही पर जनगणना 2011 में अनुसूचियों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख थी, जिसमें से उत्तर प्रदेश राज्य में 22 लाख अनुसूचियां थीं। इक्कीसवीं शताब्दी की पहली जनगणना होने तथा लोगों की जीवन शैली में भारी बदलाव आने के कारण इन सभी के बारे में जानकारी को एकत्र करने की आवश्यकता महसूस की गई, जिससे इस प्रदेश के विशाल क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों के रहन-सहन की स्थिति को समझने में सहायता मिल सके। इन आंकड़ों की सहायता से देश-प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास के क्षेत्र में उठाए गए विभिन्न कदमों के प्रभाव को भी जाना जा सकता है।
पारिवारिक स्तर पर विभिन्न मदों से संबंधित एकत्र की गई जानकारी से लोगों को उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं और परिसंपत्तियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी। इन आंकड़ों से यह पता लगाने में सहायता मिलेगी कि लोगों के कैसे हालात हैं। इन आंकड़ों से उत्तर प्रदेश के लगभग 20 करोड़ जनसंख्या के जीवन स्तर की गुणवत्ता और जीवन स्तर में परिवर्तन को जाना जा सकता है। जीवन स्तर के कई संकेतकों को इसमें लाया गया है, ताकि आगे आने वाली पीढ़ियों को इसकी जानकारी मिल सके। मकान सूचीकरण और मकानों की गणना के आंकड़ों की असीम उपयोगिता इसलिए भी है, क्योंकि यह मानव आवास की स्थितियों, आवास की कमी के व्यापक आंकड़े उपलब्ध करायेगी और परिणामस्वरूप आवास नीतियां तैयार करते समय आवास की आवश्यकताओं का ध्यान में रखा जायेगा। यह परिवारों को उपलब्ध सुख-सुविधाओं और परिसंपत्तियों के व्यापक आंकड़े उपलब्ध करायेगी, जिनकी केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों तथा अन्य गैर सरकारी एजंसियों के विकास और स्थानीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर योजना बनाने में सहायता मिलेगी।
मकान सूचीकरण के इन आंकड़ों को राज्य, जिला, तहसील, नगर स्तरों तक की सभी सारणियां इलैक्ट्रानिक फार्मेट में तैयार की गई हैं। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के परिवारों की भी अलग-अलग सारणियां तैयार की गई हैं। सभी मकानसूची सारणियां सैंपल गणना पर आधारित न होकर शत प्रतिशत गणना पर आधारित हैं। वर्ष 2011 जनगणना की सारणियां प्रयोक्ताओं के अनुरोध पर उनके अनुकूल पद्धति पर ही तैयार की गई हैं। कंप्यूटर की नवीनतम तकनीकी के प्रयोग के कारण आंकड़ों को अल्प समय में अंतिम रूप देने में मदद मिली। इस जनगणना की एक खास विशेषता यह है कि आंकड़े तैयार करने के लिए मकान सूचीकरण फार्मों को स्कैनर के अनुरूप आकार दिया गया था, ताकि उच्च गति वाले स्कैनरों के उपयोग के माध्यम से आंकड़ों को संसाधित करने में बहुत आसानी हुई।
जनगणना 2011 के मकान सूचीकरण आंकड़े मकानों की स्थिति, उनमें उपलब्ध सुविधाएं और व्यक्तियों की विशिष्ट परिसंपत्तियों के अनुसार परिवारों के रहने की स्थितियों से संबंधित आंकड़ों का एक व्यापक सेट है। इन आंकड़ों के सेट का जिला, उपजिला और नगर स्तर पर उपलब्ध होना ऑकड़े प्रयोकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। जनगणना 2011 के दशक में मकान सूचीकरण के जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं जनगणना 2001 में जनगणना मकानों की कुल संख्या 34,301,455 थी, जनगणना 2011 में इसमें 10,870,988 जनगणना मकानों की वृद्धि होकर 45,172,443 पर पहुंच गई। इसी प्रकार इसमें लगभग 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नगरीय क्षेत्रों की वृद्धि दर ग्रामीण की तुलना में अधिक है। ऑकड़ों की मुख्य विशेषताएं-पेयजल के मुख्य स्रोत के रूप में हैंडपंप ही मुख्य स्रोत है। इससे 64.9 प्रतिशत परिवारों में पानी पिया जाता है। इसके पश्चात टेप वाटर का दूसरा स्थान आता है। कुओं की संख्या में काफी कमी आई है। प्रकाश के स्रोत के रूप में मिट्टी के तेल का ही सर्वाधिक प्रयोग अब भी हो रहा है। यह स्रोत 2001 में भी मुख्य था। जनगणना 2011 में भी है। बिजली का प्रयोग बढ़ा तो है, लेकिन सर्वोपरि स्थान नहीं ले सका। जनगणना 2001 में 31.9 प्रतिशत परिवारों को प्रकाश के रूप में बिजली उपलब्ध थी, उसमें थोड़ी वृद्धि के साथ 36.8 प्रतिशत परिवारों को उपलब्ध है।
जनगणना मकान की हालत के अनुसार परिवार की संख्या का जो लेखा-जोखा सामने आया है, उससे ज्ञात होता है कि 42.8 प्रतिशत परिवारों को अच्छी हालत वाले मकान, 50.6 प्रतिशत परिवारों को रहने योग्य मकान तथा 6.6 प्रतिशत परिवारों को जीर्ण-क्षीर्ण हालत के मकान उपलब्ध है। जहां तक जनगणना मकानों के स्वामित्व की स्थिति का प्रश्न है, आंकड़ों से पता चलता है कि 94.7 प्रतिशत परिवार अपने मकान में 4.1 प्रतिशत परिवार किराये के मकान में और 1.2 प्रतिशत परिवार अन्य प्रकार के मकानों में रहते हैं। जहां तक परिसर में शौचालय की सुविधा के प्रकार की उपलब्धता की बात है तो इस बारे में जनगणना आंकड़ों से पता चलता है कि 35.6 प्रतिशत परिवारों को परिसर के अंदर तथा 64.4 प्रतिशत परिवारों को परिसर में सुविधा उपलब्ध नहीं है। केवल 63 प्रतिशत परिवारों को खुले में सुविधा उपलब्ध है। खाना पकाने के लिए प्रयुक्त ईंधन के प्रकार के आंकड़ें बताते हैं कि अभी भी जलाऊ लकड़ी का प्रयोग 47.7 प्रतिशत परिवारों में किया जा रहा है। एलपीजी, पीएनजी का प्रयोग मात्र 18.9 प्रतिशत परिवारों में किया जा रहा है। बैंकिंग सेवा का उपयोग कर रहे परिवारों की कुल संख्या 72.0 प्रतिशत है। रेडियो, ट्रांजिस्टर की संख्या में कमी आई है, जबकि टेलीविजन, इंटरनेट की संख्या में वृद्धि हुई है। टेलीफोन, मोबाइल फोन का प्रयोग 66.9 प्रतिशत परिवार कर रहे हैं। जनगणना मकान के छत, दीवार फर्श की सामग्री के रूप में प्रयुक्त होने वाले सामग्री में पक्की ईंट, पत्थर कंक्रीट सीमेंट आदि का प्रयोग बढ़ा है जबकि घास, फूल बांस, मिट्टी आदि का प्रयोग आनुपातिक रूप से घटा है।
प्रदेश में परिवारों की कुल संख्या 32,924,266 हैं। इनके 3.8 प्रतिशत परिवारों के पास रहने के लिए कोई अलग कमरा नहीं है, जबकि 32.6 प्रतिशत परिवारों के पास केवल एक कमरा है। दो कमरे वाले परिवारों की संख्या 31.2 प्रतिशत, तीन कमरे वाले परिवारों की संख्या 14.8 प्रतिशत, चार और पांच कमरे वाले परिवारों की संख्या क्रमशः 9.2 प्रतिशत और 3.8 प्रतिशत है। छह कमरे और उससे अधिक कमरे वाले परिवारों की संख्या 4.7 प्रतिशत ही है। इससे स्पष्ट होता है कि बड़े आकार के मकान बना पाना बहुत कम लोगों तक ही सीमित है। राज्य में परिवार के सदस्यों का औसत आकार छह के करीब है। परिवार के विवाहित दंपत्तियों की संख्या के आंकड़ों से पता चलता है कि एक दंपत्ति वाले परिवारों की संख्या 64 प्रतिशत है जो सर्वाधिक है। दो दंपत्ति वाले परिवारों की संख्या 18.7 प्रतिशत है। तीन दंपत्ति वाले परिवारों की संख्या 5.9 प्रतिशत, चार दंपत्ति वाले परिवार, 1.7 प्रतिशत और पांच और उससे अधिक दंपत्ति वाले परिवारों की संख्या मात्र 0.7 प्रतिशत हैं। इससे स्पष्ट होता है कि संयुक्त परिवार का दायरा कम होता जा रहा है।