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Thursday 20 June 2019 03:19:20 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने कुछ समाचारपत्रों में प्रकाशित आईजीएसटी में बड़े पैमाने पर हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए दस्ती नियंत्रण की शुरुआत के कारण जीएसटी के अंतर्गत निर्यातकों को स्वचालित प्रकिया से रिफंड में कथित रुकावट की जानकारी का खंडन करते हुए कहा है कि यह जानकारी खेदजनक तरीके से भ्रामक धारणा पैदा करती है कि सत्यापन की नई प्रणाली के कारण ईमानदार निर्यातकों को परेशानी उठानी पड़ेगी।
सीबीआईसी ने हाल ही में सीमा शुल्क और जीएसटी विन्यासों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे कुछ निर्यातकों द्वारा माल की खरीद पर चुकाए गए कर (आईटीसी) के सही फायदे का सत्यापन करें, जिन्हें पूर्व परिभाषित जोखिम मानदंडों के आधार पर कथित ‘खतरनाक’ माना गया है। अभी तक केवल 5,106 खतरनाक निर्यातकों की पहचान की गई है, जबकि निर्यातकों की कुल संख्या 1.42 लाख है, अत: कुल निर्यातकों का केवल 3.5% खतरनाक हैं। पिछले दो दिन यानी 17.06.2019 और 18.06.2019 को कुल 925 निर्यातकों द्वारा दायर किए गए लदान पत्रों पर रोक लगाई गई है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि करीब 9000 निर्यातकों द्वारा अनुमानत: 20,000 लदान पत्र दायर किए गए हैं, हस्तक्षेप नगण्य है। यहां तककि इन खतरनाक निर्यातकों को निर्यात की तत्काल इजाजत दे दी गई है, तथापि आईटीसी के सत्यापन के बाद अधिकतम 30 दिन के भीतर रिफंड जारी किया जाएगा। सत्यापन की नई प्रक्रिया का उद्देश्य राजकोष को छल से लूट रहे उन निर्यातकों को रोकना है जो निर्यातकों के एक बड़े समुदाय का नाम खराब कर रहे हैं। सीबीआईसी सभी ईमानदार निर्यातकों को आश्वासन दिया है कि उन्हें पूर्ण स्वचालित प्रक्रिया के जरिये समय पर उनके आईजीएसटी रिफंड मिलते रहेंगे।