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Wednesday 26 June 2019 05:22:20 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक से राजभवन लखनऊ में भारतीय प्रशासनिक सेवा बैच 2018 के 16 एवं भारतीय वनसेवा बैच 2016 के 6 परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने मुलाकात की। राज्यपाल राम नाईक ने प्रशिक्षुओं को प्रेरणाप्रद संबोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, ऐसे राज्य में जनहित को समर्पित निष्पक्ष व पारदर्शी प्रशासनिक सेवाओं पर उन्हें गर्व होना चाहिए और उनका पद ही प्रशासनिक सेवा का है। उन्होंने कहा कि सेवा में बहुत आनंद है, ठीक से काम करें तो समाधान भी बहुत होता है, जनहित को अपनी दृष्टि बनाए, छोटी से छोटी बात बहुत महत्वपूर्ण होती है, केवल नौकरी न करके कुछ अलग से करें, जिससे खुद की पहचान बने। राम नाईक ने प्रशिक्षुओं को अपने अनुभव बताते हुए कहा कि ऐसी दृष्टि बनाने की आवश्यकता है, जो जनहित को समर्पित हो। उन्होंने बताया कि लोकसभा में प्रथम बार निर्वाचित होने पर उन्होंने यह महसूस किया कि कुछ सदस्य शपथ लेते समय ‘हिंदोस्तान’ शब्द का प्रयोग करते हैं, जबकि संविधान में ‘भारत’ और ‘इंडिया’ ही लिखा है। उन्होंने कहा कि उनकी आपत्ति के बाद शपथपत्र का प्रारूप बदला गया।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि उन्होंने देश की आजादी के 42 साल बाद संसद में ‘वंदे मातरम्’ और ‘जन-मन-गण’ के गायन की शुरुआत कराई, इसी प्रकार उन्होंने मुंबई में दो तल के शौचालय का निर्माण करवाया, जिसकी सराहना विश्व बैंक ने भी की थी। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि ऐसा कुछ नया सोचे और करें जिससे नई पहचान बने। राज्यपाल ने बताया कि 40 वर्ष से सार्वजनिक जीवन में रहते हुए हर साल अपना वार्षिक कार्यवृत्त उन्होंने अपने मतदाताओं को प्रस्तुत किया है, यह परम्परा राज्यपाल रहते हुए भी जारी रखी, जिसमें ‘राजभवन में राम नाईक’ के नाम से वे अपना वार्षिक कार्यवृत्त प्रदेश की जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपालों के सम्मेलन में राष्ट्रपति ने उनके वार्षिक कार्यवृत्त की सराहना की तथा अन्य राज्यपालों को भी अनुसरण करने की बात कही। राज्यपाल ने कहा कि ऐसा करने से अपने काम का हिसाब करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और आत्मसंतोष होता है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि आप जो भी करें वह स्वयं को भी मालूम हो और दूसरे भी आपकी कार्यप्रणाली से अवगत हो। राम नाईक ने प्रशिक्षुओं को व्यक्तित्व विकास एवं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मंत्र बताए। उन्होंने ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि निरंतर चलते रहने में ही सफलता का मर्म निहित है।
गौरतलब है कि परिवीक्षाधीन अधिकारियों को 8 सप्ताह का प्रशिक्षण अकादमी में दिया जाता है तदोपरांत 6 माह के लिए उन्हें जिले के कार्य से परिचित होने के लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों में तैनात किया जाता है। जिले के प्रशिक्षण के बाद उन्हें पुनः 3 सप्ताह का प्रशिक्षण अकादमी में दिया जाता है। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव, महानिदेशक उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी कुमार अरविंद सिंह देव, अपर निदेशक संजय कुमार सिंह यादव और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। महानिदेशक कुमार अरविंद सिंह देव ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा अपर निदेशक संजय यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। राज्यपाल ने सभी परिवीक्षाधीन अधिकारियों को अपना चतुर्थ वार्षिक कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक 2017-18’ की प्रति भी भेंट की।