स्वतंत्र आवाज़
word map

आर्थिक समीक्षा में वित्तीय मजबूती व निवेश पर जोर

समीक्षा में अगले पांच वर्ष के लिए विकास और रोज़गार का खाका पेश

न्‍यायिक सुधार और डाटा की भूमिका स्‍वागत योग्‍य-डॉ बिबेक देबराय

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 4 July 2019 05:01:49 PM

dr. bibek debroy

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्‍यक्ष डॉ बिबेक देबराय ने आर्थिक समीक्षा में वित्तीय मजबूती, वित्तीय अनुशासन और निवेश पर जोर दिए जाने का स्‍वागत किया है। उन्होंने कहा कि इन पांच वर्ष में भारत का वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद विकास की औसत दर 7.5 प्रति‍शत रही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक आकलन है कि 4 प्रतिशत वार्षिक मुद्रास्फीति के साथ 2024-25 तक अर्थव्यवस्‍था 5 ट्रिलि‍यन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी, जिसमें वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद विकास 8 प्रतिशत होगा, इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकता है, लेकिन हमें वित्तीय मजबूती के मार्ग से हटना नहीं है, जो मध्‍यकालीन वित्तीय नी‍ति में व्‍यक्‍त किया गया है। इसे वित्तीय घाटा/ सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात और ऋण/ सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात में भी प्रकट किया गया है।
डॉ बिबेक देबराय ने कहा कि बढ़े हुए घाटे से निजी निवेश को नुकसान पहुंचता है, निजी पूंजी की लागत बढ़ती है तथा घरेलू क्षेत्र वित्तीय बचत में रुकावट आती है। उन्होंने कहा कि आर्थिक आकलन के अनुसार 2018-19 में भारत की विकास दर 6.8 प्रतिशत रहेगी तथा च‍क्रीय सार्वजनिक खर्च को कम करने का अवसर मिलेगा, इसलिए वित्तीय मजबूती और निवेश को बढ़ावा देने, खासतौर से निजी निवेश को बढ़ावा देने का प्रावधान स्‍वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि समीक्षा में अगले पांच वर्ष के दौरान विकास और रोज़गार का ब्‍लूप्रिंट यानी खाका पेश किया गया है, यह 2014 और 2019 के बीच पहली नरेंद्र मोदी सरकार के कदमों के अनुरूप है, जिसमें व्‍यवहार में बदलाव की पहलों को शामिल किया गया है। वर्ष 2014 से 2019 के बीच नीतियों में निरंतरता है और 2019 से 2024 तक प्रस्‍तावित नीतियां इसमें शामिल हैं।
डॉ बिबेक देबराय ने कहा कि समीक्षा में संघवाद, व्‍यय सुधार, एमएसएमई के लिए नीतियां, जीएसटी और प्रत्‍यक्ष कर सुधार के जरिये सरकार का दृष्टिकोण उजागर होता है तथा इसके तहत न्‍यायिक सुधार और डाटा की भूमिका का प्रावधान भी पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक समीक्षा में अतीत से हटकर काम करने के दृष्टिकोण का हवाला दिया गया है, जिसे संस्‍कृत के उद्धरणों से व्‍यक्‍त किया गया है। इन उद्धरणों में सुशासन संबंधी अनेक सूचनाएं मौजूद हैं और समीक्षा को पूरा करने के लिए केवल कौटिल्‍य का उद्धरण देने तक सीमित नहीं रहना है, बल्कि कामंदकीय नीतिसार का भी ध्‍यान रखना है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]