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Thursday 4 July 2019 06:33:10 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने आज स्वामी विवेकानंद की 125वीं पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। विवेकानंद पालीक्लीनिक एवं इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईंस लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल हुए। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने देश और दुनिया में लोगों को नई सोच और नई दिशा दी, उन्होंने देशवासियों में स्वाभिमान एवं राष्ट्रीय चेतना का संचार किया तथा भारतीय वेदांत दर्शन और अध्यात्म पर विश्व के सामने अपने विचार रखे। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसे समाज की कल्पना करते थे, जिसमें धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो, उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म परिषद में जो व्याख्यान दिया था, उससे पूरे विश्व में भारत एवं भारतीयता की एक मजबूत और समृद्धशाली छवि बनी, उनके स्वाभिमान और अभिव्यक्ति के कारण आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण हुआ।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि यदि भारत को जानना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद को पढ़िए। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान और शब्दों के आधार पर सबका सम्मान प्राप्त किया, धार्मिक एवं सांस्कृतिक राजदूत के रूपमें जब उन्होंने शिकागो में अपनी बात रखी तो पूरा माहौल बदल गया, 'भाइयों-बहनों' के सम्बोधन से लेकर उन्होंने भारतीय संस्कृति की अवधारणा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात कहकर भारत को ऐसे देश में नई पहचान दिलाई, जहां भारतीय लोगों का सम्मान नहीं होता था। राम नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने पूरा विश्व एक परिवार है कहकर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति में सभी धर्मों को समाहित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि संसद के द्वार पर लिखा यह श्लोक आज भी संसद में प्रवेश करने वालों को प्रेरणा देता है कि बिना भेदभाव के काम करें तथा पूरे विश्व को एक परिवार के रूपमें देखें।
लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, रामकृष्ण सेवा मिशन सेवाश्राम के सचिव मुक्तिनाथानंद और विशिष्टजन कार्यक्रम में उपस्थित थे। संयुक्ता भाटिया ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अल्प समय में पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि युवा स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेकर भारत को विश्वगुरू बनाने की दिशा में कार्य करें। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन स्वामी मुक्तिानाथानंद ने दिया। उन्होंने कहा कि जगत के कल्याण के लिये स्वामी विवेकानंद के विचारों को सदैव याद रखें।