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Friday 5 July 2019 06:19:07 PM
मथुरा। संस्कृति यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कृषि एवं बायोटेक्नोलाजी के छात्र-छात्राओं के सपनों को नया आयाम देने के लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी के प्रबंधन ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्यरत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च हैदराबाद के साथ एक करार किया है, जिससे कृषि एवं बायोटेक्नोलाजी में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग और अनुसंधान कार्य में मदद मिलेगी। इस अनुबंध से अब इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च के विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के व्याख्यानों से संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं भी लाभांवित हो सकेंगे।
संस्कृति यूनिवर्सिटी प्रबंधन अपने छात्र-छात्राओं को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से रू-ब-रू कराने के लिए प्रतिबद्ध है, इसी परिप्रेक्ष्य में कृषि एवं बायोटेक्नोलाजी के स्नातक और परास्नातक छात्र-छात्राएं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च हैदराबाद जाकर वहां प्रशिक्षण और अनुसंधान कर सकेंगे। अनुबंध पर आईआईएमआर हैदराबाद के निदेशक डॉ विलास ए टोनापि और संस्कृति यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ राणा सिंह ने हस्ताक्षर किए। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के आईसीएआर के अंतर्गत वर्ष 1914 में पूर्ववर्ती डायरेक्टरेट ऑफ़ मेज़ रिसर्च को पुनर्नामित कर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च के रूपमें स्थापित की गई और इस संस्थान का मुख्यालय हैदराबाद में बनाया गया।इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च का मुख्य उद्देश्यमिल्लेट्स यानि बाजरा का विकास, खोज और सर्वेक्षण करना है। यह देश के वैज्ञानिकों से तालमेल रखकर देश के विभिन्न क्षेत्रों सेमिल्लेट्स संसाधनों को एकत्र करता है। बहुत समय पहले जब इस विषय का संस्थान नहीं बना था, तबभी मिल्लेट्स के बारे में शोध आईसीएआर के अंतर्गत होता था।
दरअसल कृत्रिम रीति से परागण कराकर मिल्लेट्स केनए पौधे प्राप्त करने की क्रिया एवं उत्पादकता बढ़ाने के दिशा में यहां शोध किया जाता है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च हैदराबाद संस्थान के शोध और प्रकाशन कृषि क्षेत्र की उन्नति में बहुत ही सहायक होते हैं। संस्थान में मिल्लेट्स के ऐसेपौधों का पर्याप्त विकास किया गया है, जो हर वातावरण में अपने को ठीक रख सकें। कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने संस्कृति यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च हैदराबाद के साथ अनुबंध को संस्कृति यूनिवर्सिटी की सफलता के पथ में एकमील का पत्थर करार देते हुए कहा कि इससे युवा पीढ़ी को मिल्लेट्स रिसर्च के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने का भरपूर अवसर मिलेगा, छात्र नए एवं आधुनिक तकनीक से परिचित होकर स्वयं भी अनुसंधान के क्षेत्र में रुचि लेते हुए कुछ नया करने की ओर अग्रसर होंगे।
उपकुलाधिपति राजेश गुप्ता का कहना है कि भारत कृषि प्रधान देश है, ऐसे में संस्कृति यूनिवर्सिटी युवा पीढ़ी को आधुनिक कृषि की आधुनिकतम प्रणाली से परिचित कराकर देश के सर्वांगीण विकास में प्रमुख योगदान देना चाहती है। राजेश गुप्ता ने कहा कि हमारा प्रयास है कि युवा कृषि को जीविकोपार्जन का जरिया मानते हुए इस क्षेत्र में अपना करियर बनाएं और कृषि क्षेत्र में शोध एवं प्रकाशन कर भारत का नाम रौशन करें। कुलपति डॉ राणा सिंह ने कहा कि इस अनुबंध से ब्रज मंडल उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश के छात्र ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों के छात्र भी मिल्लेट्स अनुसंधान की तरफ आकर्षित एवं अग्रसर होंगे। उन्होंने कहा कि आज कृषि क्षेत्र को ऐसी युवा पीढ़ी की दरकार है, जोकि कृषि के हर क्षेत्र में शोधकर प्रति एकड़ उत्पादकता बढ़ाए एवं ऐसे बीजों का उत्पादन करे, जिन्हें कम पानी में भी उगाया जा सके, ताकि नवीन एवंउन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर भारत विश्वस्तरीय मिल्लेट्स उत्पादन कर सके।