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Thursday 11 July 2019 01:09:33 PM
नई दिल्ली। देशभर में अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण को गति देने के लिए केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने केंद्रीय अप्रेंटिसशिप परिषद की 36वीं बैठक का आयोजन किया। बैठक में अप्रेंटिसशिप नियम-1992 में संशोधन कर अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण में नए सुधार करने पर विचार-विमर्श किया गया। केंद्रीय अप्रेंटिसशिप परिषद रोज़गार में प्रशिक्षण प्राप्त वाले युवाओं की आशाओं को पूरा करने और रोज़गार के लिए श्रेष्ठ अवसर प्रदान करने के लक्ष्य के प्रति कार्यरत है। बैठक में केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री डॉ महेंद्रनाथ पांडे, राज्यमंत्री डॉ केपी कृष्णन, कौशल विकास और उद्यमिता सचिव राजेश अग्रवाल, संयुक्त सचिव डॉ मनीष कुमार, राष्ट्रीय कौशल विकास कार्पोरेशन के एमडी और सीईओ तथा केंद्रीय अप्रेंटिसशिप परिषद के सदस्य शामिल हुए।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री डॉ महेंद्रनाथ पांडे ने कहा कि हमारी सरकार की मुख्य आर्थिक प्राथमिकता देश की अर्थव्यवस्था को पांच बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस विषय में गहरी रूचि रखने साथ नवीन सरकार गठन के बाद से ही कौशल विकास को उच्च प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि अप्रेंटिसशिप को अभिनव सुधारों द्वारा अधिक गति प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि एक ओर जहां अप्रेंटिस को दिया जाने वाला वेतन उसके लिए पर्याप्त हो, वहीं इससे उद्योगजगत को अप्रेंटिस रखने में हतोत्साहन न मिले। बैठक में रखे जाने वाले प्रस्ताव देशभर के संस्थानों में अप्रेंटिस को बढ़ावा देने का प्रयास है। अप्रेंटिसशिप नियम-1992 में सुधार हेतु प्रमुख प्रस्ताव हैं-अप्रेंटिसशिप की ऊपरी सीमा को वर्तमान में संस्थान की कुल क्षमता के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना। संस्थानों में अनिवार्य बाध्यता के साथ अप्रेंटिस को 40 से 30 करने के साथ निचली सीमा को कम करना तथा संस्थानों में निचली सीमा को कम करना, जिससे वैकल्पिक आधार पर अप्रेंटिस 6 से 4 हो सके।
अप्रेंटिसशिप नियम-1992 में सुधार के तहत सभी श्रेणियों की अप्रेंटिसशिप में दिए जाने वाले वेतन को यथासंगत करना और कार्यक्रम को बेहतर समझने में सुविधा देने के लिए अप्रेंटिस को शैक्षणिक योग्यता के अनुरूप निर्धारित वेतन प्रदान करना। अप्रेंटिसशिप नियम-1992 में नए सुधारों की प्रशंसा करते हुए केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्यमंत्री आरके सिंह ने कहा कि ये सुधार युवाओं को स्कूलों से रोज़गार स्थल में कार्य करने की कड़ी में प्रभावी साबित होंगे और इससे उद्योगों और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच संबंधों में भी उल्लेखनीय सुधार होगा।