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Wednesday 17 July 2019 05:43:26 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज राजभवन में स्वामी विवेकानंद की भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर घोषणा की कि स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के दर्शन हेतु राजभवन के दरवाजे आम दर्शकों के लिए 17 से 19 जुलाई 2019 तक सांय 5 बजे से 7 बजे तक खुले रहेंगे। राज्यपाल ने कहा कि मेरे कार्यकाल में आज का दिन सबसे स्वर्णिम दिवस है, देश के किसी भी राजभवन में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति नहीं है, उत्तर प्रदेश पहला प्रदेश है जहां राजभवन में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगाई गई है और प्रतिमा के साथ राजभवन की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि कल्पना को साकार करना मुश्किल कार्य है, मुख्यमंत्री ने मेरी सलाह को स्वीकार किया, इसलिए मैं उनका अभिनंदन करता हूं, राजभवन में स्वामीजी की प्रतिमा की स्थापना मेरे लिए सुखद स्मृति है, जो सदैव जीवंत रहेगी।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार पावर हाउस हैं, जो नए विचारों की ऊर्जा देते हैं। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 30 वर्ष की अल्पायु में शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा था कि भारतीय संस्कृति में सबको समाहित करने की क्षमता है, उन्होंने यह बात उस समय कही थी जब विकसित देश भारतीयों के प्रति सम्मानजनक दृष्टि नहीं रखते थे, वसुधैव कुटुम्बकम् के माध्यम से उन्होंने पूरा विश्व एक परिवार है की नई अवधारणा रखी। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का संदेश उठो, जागो और तब तक मत रूको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए, महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी धैर्य, नम्रता, बिना पक्षपात एवं आपसी सौहार्द का संकल्प ले। राज्यपाल ने मूर्तिकार एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय ललित कला अकादमी उत्तम पाचारणे का परिचय देते हुए कहा कि महाराष्ट्र निवासी उत्तम पाचारणे ने स्वामी विवेकानंद की पहली मूर्ति बोरिवली में बनाई थी। राज्यपाल ने कहा कि मजदूर का बेटा अपनी कला के आधार पर कैसे राष्ट्रीय ललित कला अकादमी का अध्यक्ष बनता है, यह उनके कौशल का परिणाम है।
राज्यपाल ने अपनी पुस्तक चरैवेति!चरैवेति!! में उनके बारे में ‘झोपड़ी में मिला शिल्पी’ के शीर्षक से उनका विस्तृत परिचय कराया है। उन्होंने भावनात्मक कार्य की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे लखनऊ मध्य कमान में परमवीर चक्र विजेताओं के भित्ति चित्र, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अमर उद्घोष की स्मृति में लखनऊ में कार्यक्रम का आयोजन, उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का आयोजन, इलाहाबाद का प्रयागराज और फैजाबाद का अयोध्या नाम परिवर्तन की सलाह सहित अन्य कार्य किए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की हजारों वर्ष प्राचीन संस्कृति को विश्व में स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद को वे नमन करते हैं, उनके नाम से नई स्फूर्ति और नई उमंग का प्रस्फुट्टन होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय एवं वैदिक परम्परा पर तेजस्वी और ओजस्वी भाव से शिकागो के धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद ने अपनी बात रखी तो भारत के बारे में दुनिया की धारणा बदली, पूरा विश्व उन्हें प्राचीन धरोहर के संरक्षक के रूपमें देखता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के संदेश शाश्वत और चिरस्थाई हैं। उन्होंने कहा कि राजभवन लखनऊ के नाम से अनेक स्मृतियां हैं, पर जितनी रचनात्मकता का केंद्र पिछले पांच साल में देखा गया है उसी की एक कड़ी है स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजभवन व्यवस्था का मार्गदर्शक होता है, आमतौर से लोक कल्याणकारी योजना या आम जनमानस से राजभवन का सीधा सरोकार नहीं होता। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल राम नाईक की सराहना करते हुए कहा कि राज्यपाल रहते हुए उन्होंने राजभवन में नई परम्परा रखी, हर पीड़ित व्यक्ति राजभवन आ सकता है, उनसे सीधे संवाद कर सकता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस की शुरुआत हुई, जिसके आधार पर सरकार ने ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना शुरु की और इसने प्रदेश के हर जिले के परम्परागत उत्पाद को नई पहचान दी है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्यपाल की सलाह एवं प्रेरणा से कुष्ठ पीड़ितों को पेंशन और आवास की सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति के रूपमें राज्यपाल की बड़ी भूमिका होती है और राम नाईक ने व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर उच्चशिक्षा में गुणात्मक सुधार किए हैं, कई प्रदेश उच्च शिक्षा में पीछे हैं, जबकि पांच वर्ष में उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदली है, छोटे को सम्मान देकर बड़ा बनाना उनकी महानता है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति तक निरंतर चलते रहने की सलाह देने वाले स्वामी विवेकानंद तथा चरैवेति!चरैवेति!! दोनों रचनात्मकता की प्रेरणा देते हैं। संस्कृति मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश का राजभवन अपने आप में एक इतिहास है, इसमें स्वामी विवेकानंद की मूर्ति भी ऐतिहासिक है।
संस्कृति मंत्री ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया और राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने मूर्तिकार उत्तम पाचारणे को सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य सचिव डॉ अनूप चंद्र पांडेय, चिकित्सा शिक्षामंत्री आशुतोष टंडन, सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, नगरविकास मंत्री सुरेश खन्ना, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहरलाल मन्नू कोरी, पूर्व मंत्री डॉ अम्मार रिज़वी, लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, रामकृष्ण मठ के स्वामी मुक्तिनाथानंद, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव, अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति जितेंद्र कुमार, निदेशक सूचना एवं संस्कृति विभाग शिशिर और विशिष्ट जन उपस्थित थे।